भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन
- प्रश्न 1 भारत में गाँधी जी का प्रथम सत्याग्रह कहाँ हुआ था -
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- (अ) चम्पारण
- (ब) अहमदाबाद
- (स) खेड़ा
- (द) इलाहाबाद
उत्तर : चम्पारण
व्याख्या :
महात्मा गाँधी ने भारत में सत्याग्रह का अपना प्रथम सफल प्रयोग 1917 में बिहार के चम्पारन जिले में तिनकठिया पद्धति के खिलाफ किया। यहाँ के किसानों को अपनी जमीन के 3/20 हिस्से पर नील की खेती करना अनिवार्य था। इसे तिनकठिया पद्धति कहते थे। 1917 में राजकुमार शुक्ल ने गाँधी जी को चम्पारन बुलाया। गाँधी जी ने अपने सहयोगियों के साथ चम्पारन जिले के गाँवों का दौरा किया। सरकार द्वारा किसानों की समस्याओं के निराकरण हेतु चम्पारन एग्रेरियन एक्ट 1917 बनाकर तिनकठिया पद्धति समाप्त कर दिया। इस सत्याग्रह की सफलता से अभिभूत रविन्द्रनाथ टैंगोर ने गाँधी जी को महात्मा की उपाधि प्रदान की।
- प्रश्न 2 ‘चौरी चौरा कांड’ कब हुआ था -
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- (अ) 1915
- (ब) 1910
- (स) 1930
- (द) 1922
उत्तर : 1922
व्याख्या :
चौरी चौरा कांड 5 फरवरी, 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा नामक स्थान पर घटित हुआ था। असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह पुलिस के साथ भिड गया था। जवाबी कार्यवाही में प्रदर्शनकारियों ने हमला किया और एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी जिसके कारण 22 पुलिस कर्मियों की मौत हो गयी। इस हिंसक घटना को देखकर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन (1920-22) को वापस ले लिया था।
- प्रश्न 3 भारत में किसके शासन के अंतर्गत खिलाफत आन्दोलन का आरंभ हुआ था -
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- (अ) लॉर्ड माउंटबेटन
- (ब) लॉर्ड डलहौजी
- (स) लॉर्ड चेम्सफोर्ड
- (द) लॉर्ड कर्जन
उत्तर : लॉर्ड चेम्सफोर्ड
व्याख्या :
लार्ड चेम्सफोर्ड (1916-1921 ई.) के काल में ही खिलाफत एवं असहयोग आन्दोलन की शुरुआत हुयी जो खलीफा के समर्थन में चलाया गया खिलाफत आंदोलन कहलाया। शौकत अली व मो. अली तथा महात्मा गाँधी ने खिलाफत आंदोलन का नेतृत्व किया।
- प्रश्न 4 गांधी-इरविन समझौते में निम्नलिखित में से कौन सी एक शर्त नहीं रखी गई थी -
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- (अ) नमक टैक्स हटाना, कानूनी तौर पर उत्पादन, व्यापार और बिक्री करने की अनुमति देना
- (ब) खादी उत्पादन पर टैक्स हटाना
- (स) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा गोल मेज सम्मेलन में भाग लेना
- (द) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को सविनय अवज्ञा आंदोलन रोकना होगा
उत्तर : खादी उत्पादन पर टैक्स हटाना
व्याख्या :
‘गाँधी-इरविन पैक्ट’ या ‘दिल्ली समझौता’ की शर्त निम्न है-- नमक टैक्स हटाना, कानूनी तौर पर उत्पादन, व्यापार और बिक्री की अनुमति देना।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा गोलमेज सम्मेलन में भाग लेना।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित करना।
- भारतीय शराब व विदेशी वस्त्रों की दुकानों पर कानून के सीमा के भीतर धरना दे सकते हैं।
- राजनीतिक बंदियों को रिहा करना।
- भारतीय समुद्र के किनारे नमक बना सकते हैं।
- सरकारी नौकरी छोड़ने वालों को सरकार वापस लेने में उदारता दिखायेगी।
- प्रश्न 5 निम्नलिखित में से किस वर्ष, सूरत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस विभाजित हुई और जिसके कारण सत्र स्थगित हुआ -
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- (अ) 1907
- (ब) 1929
- (स) 1915
- (द) 1903
उत्तर : 1907
व्याख्या :
कांग्रेस का सूरत अधिवेशन (1907 ई.) ऐतिहासिक दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण था। गरम दल तथा नरम दल के आपसी मतभेदों के कारण इस अधिवेशन में कांग्रेस दो भागों में विभाजित हो गई। इस कारण सूरत अधिवेशन की कार्यवाही पूर्ण न हो सकी। इसका पुनः आयोजन मद्रास में 1908 में किया गया। इसकी अध्यक्षता रास बिहारी घोष ने की थी। वर्ष 1916 के ‘लखनऊ’ अधिवेशन में पुनः दोनों दलों का आपस में विलय हुआ।
- प्रश्न 6 1942 में महात्मा गांधी द्वारा ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ निम्नलिखित में से किस स्थान पर आरंभ किया गया था -
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- (अ) अगस्त क्रांति मैदान
- (ब) जलियाँवाला बाग
- (स) शिवाजी पार्क
- (द) प्रगति मैदान
उत्तर : अगस्त क्रांति मैदान
व्याख्या :
मौलाना अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में 8 अगस्त, 1942 को बम्बई के ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान/अगस्त क्रान्ति मैदान में अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यसमिति ने 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' प्रस्ताव पास कर दिया। इसके बाद कांग्रेस के सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। गाँधी जी, कस्तूरबा गाँधी, महादेव देसाई, सरोजनी नायडू को गिरफ्तार कर आगा खाँ पैलेस में रखा गया। जवाहर लाल नेहरू, जी.वी. पंत, आचार्य कृपलानी अहमदनगर फोर्ट में रखे गये। गिरफ्तारी 9 अगस्त सुबह आपरेशन जीरो आवर के तहत की गयी।
- प्रश्न 7 1942 में जब क्रिप्स मिशन भारत आया, उस समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री कौन थे -
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- (अ) ए. वी. अलेक्ज़ेंडर
- (ब) विंस्टन चर्चिल
- (स) पैथिक लॉरेंस
- (द) क्लीमेंट एट्ली
उत्तर : विंस्टन चर्चिल
व्याख्या :
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जापान की लगातार बढ़ती शक्ति से मित्र राष्ट्र चिन्तित हो उठे। अमेरिका, चीन, आस्ट्रेलिया ने ब्रिटेन पर दबाव डाला कि वह भारत को शीघ्र स्वतन्त्र करे। परिणामस्वरूप ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने 11 मार्च, 1942 को स्टेफोर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में एक मिशन की घोषणा की। 23 मार्च, 1942 को क्रिप्स मिशन भारत पहुँचा। लेबर पार्टी के क्रिप्स के प्रस्तावों को कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग दोनों ने अस्वीकार किया। महात्मा गाँधी ने इन प्रस्तावों को “दिवालिया होने वाले बैंक का उत्तरतिथिय चेक” कहा।
- प्रश्न 8 रौलट एक्ट की प्रतिक्रिया के रूप में, ______ को राष्ट्रीय अपमान दिवस के रूप में आयोजित किया गया था।
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- (अ) 14 जून 1921
- (ब) 2 फरवरी 1913
- (स) 6 अप्रैल 1919
- (द) 8 मई 1920
उत्तर : 6 अप्रैल 1919
व्याख्या :
भारत में क्रांतिकारियों के प्रभाव को समाप्त करने तथा राष्ट्रीय भावना को कुचलने के उद्देश्य से न्यायाधीश सिडनी रौलेट की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की गई थी। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर ब्रिटिश भारत की केन्द्रीय विधान परिषद द्वारा रौलेट बिल पारित किया गया। इस अधिनियम के आधार पर ब्रिटिश सरकार किसी को भी शक के आधार पर गिरफ्तार कर सकती थी। इस अधिनियम को ‘बिना वकील, बिना अपील, बिना दलील’ कानून कहा गया। इस अधिनियम के विरोध स्वरूप 6 अप्रैल, 1919 को राष्ट्रीय अपमान दिवस के रूप में मनाया गया। इसकी चरम परिणति जलियाँवाला बाग नर संहार के रूप में हुई।
- प्रश्न 9 किस वर्ष में कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने ऐतिहासिक लखनऊ समझौते पर हस्ताक्षर किये थे -
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- (अ) 1906
- (ब) 1915
- (स) 1917
- (द) 1916
उत्तर : 1916
व्याख्या :
1916 ई. को लखनऊ में मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना तथा कांग्रेस के मध्य एक समझौता हुआ। इस समझौते के अन्तर्गत कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व की माँग स्वीकार की गयी। मुस्लिम लीग की अध्यक्षता मो. अली जिन्ना ने की जबकि 1916 ई. को लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता अम्बिका चरण मजूमदार ने किया। लखनऊ समझौता का विरोध मदन मोहन मालवीय ने किया। यह अधिवेशन नरम दल और गरम दल के मिलन के लिए जाना जाता है।
- प्रश्न 10 बंगाल में सामाजिक-धार्मिक सुधारों में अग्रणी ‘आत्मीय सभा’ की शुरुआत किसने की थी -
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- (अ) विवेकानंद
- (ब) दयानंद सरस्वती
- (स) राजा राममोहन राय
- (द) अरबिंदो
उत्तर : राजा राममोहन राय
व्याख्या :
राजाराम मोहन राय जिन्हें भारतीय राष्ट्रवाद का जनक, आधुनिक भारत का पिता, नवजागरण का अग्रदूत कहा जाता है ने सन् 1814-15 में एकेश्वरवादी मत के प्रचार हेतु आत्मीय सभा का गठन किया। जिसमें उनके साथ द्वारिकानाथ ठाकुर भी शामिल थे। 1809 में प्रकाशित उनके द्वारा लिखित पुस्तक ‘तुहफत-उल-मुवाहिदीन’ जिसका अर्थ ‘एकेश्वरवादियों को उपहार होता है’ आत्मीय सभा की आधारभूत पुस्तक है।
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