घड़ी वह यंत्र है, जो संपूर्ण स्वयंचालित प्रणाली द्वारा किसी न किसी रूप में वर्तमान समय को प्रदर्शित करती है।
घड़ी में तीन सूईयां होती है घण्टे, मिनट व सेकण्ड की। घड़ी में 1 से 12 तक के अंक होते हैं। जो 12 घण्टों को व्यक्त करते हैं। इन 1 से 12 अंकों को 60 भागों में बांटा जाता है। यानी सुईयों के चलने का मार्ग बराबर 60 भागों में बंटा होता है।
घड़ी में घण्टे की सुई सबसे छोटी व मोटी होती है। यह घण्टे में समयन्तराल को व्यक्त करती है। यदि घण्टे की सूई 7 पर है और मिनट की सुई 12 पर है तो समय 7 बजे हैं।
मिनट की सुई घण्टे की सुई से बड़ी व कम मोटी होती है। यह सुई मिनट के अन्तराल को व्यक्त करती है। यदि घण्टे की सुई 7 पर है और मिनट की सुई 12 पर है तो समय 7 बजे है। यदि घण्टे की सुई 7 से थोड़ा आगे है और मिनट की सुई 3 पर है तो समय 7 बज कर 3*5 = 15 मिनट है।
सैकण्ड की सुई मिनट की सुई से बड़ी व सबसे पतली होती है। यह सुई सैकण्ड के अन्तराल को दर्शाती है। यदि घण्टे की सुई 7 से थोड़ा आगे है मिनट की सुई 3 पर है तथा सैकण्ड की सुई 6 पर है तो समय होगा 7 बजकर 3*5 = 15 मीनट 6*5 = 30 सैकण्ड।
घड़ी की सभी सुईयां दक्षिणावर्त दिशा में घुमती हुई 60 भागों को पार कर चक्कर पुरा करती है।
इस प्रकार जब सैकण्ड की सुई एक चक्कर पुरा करती है तो मिनट की सुई एक भाग को पार कर लेती है। यानी मिनट की सुई को एक भाग पार करने में 60 सैकण्ड लगते हैं।
इसी प्रकार मिनट की सुई जब 60 भागों को पार करती है तो घंटे की सुई 5 भाग पार कर लेती है। इस प्रकार घंटे की सुई का घण्टा पुरा होता है। यानी घण्टे की सुई 1 घण्टे को पुरा करने में 60 मिनट का समय लेती है।
घड़ी परिक्षण में गति के आधार पर 4 प्रकार की घड़ीयां होती हैं -
1. सही घड़ी - जब घड़ी द्वारा व्यक्त किया गया समय वास्तविक समय के बराबर हो।
2. तेज घड़ी - जब घड़ी द्वारा व्यक्त किया गया समय वास्तविक समय से अधिक हो।
3. मन्द घड़ी - जब घड़ी द्वारा व्यक्त किया गया समय वास्तविक समय से कम हो।
4. बन्द घड़ी - जब घड़ी की सुईयां नहीं चल रही हो।
रविवार दोपहर 12 बजे मेरी घड़ी 5 मिनट आगे थी तथा अशोक की घड़ी 6 मिनट मन्द थी। बुधवार शाम को 8 बजे पता चला कि मेरी घड़ी 1 मिनट मन्द तथा अशोक की घड़ी 3 मिनट तेज हो गई। बताइए मेरी तथा अशोक की घड़ियों ने कब समान समय बताया होगा? (समय की गणना सही समय के सापेक्ष करनी है?
(A)मंगलवार सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर
(B) मंगलवार शाम 10 बजकर 40 मिनट पर
(C) सोमवार 10 बजे
(D) मंगलवार 10 बजे
उत्तर
जब किसी घड़ी का काल्पनिक प्रतिरूप बनता है, तो उसे घड़ी का प्रतिबिम्ब कहते हैं।
प्रतिबिम्ब दो प्रकार के होते हैं।
1. दर्पण प्रतिबिम्ब
2. जल प्रतिबिम्ब
जब हम घड़ी को दर्पण में देखते हैं, तो घड़ी का प्रतिबिम्ब उल्टा दिखाई देता है। यानी दायां भाग बांई तरफ व बायां भाग दांई तरफ दिखता है।
घड़ी में 7 बज रहे हैं तो दर्पण में 5 बजते हुए दिखाई देते हैं।
यह दर्पण प्रतिबिम्ब लम्बव्त दर्पण प्रतिबिम्ब भी कहलाता है।
जल प्रतिबिम्ब में घड़ी का दायां व बायां भाग तो परिवर्ती नहीं होता बल्कि ऊपर का भाग निचे दिखाई देता है और निचे का भाग ऊपर दिखाई देताह है।
यह जल प्रतिबिम्ब क्षैतीज दर्पण प्रतिबिम्ब भी कहलाता है।
यदि किसी घड़ी में 6ः00 बज रहे हैं, तो प्रतिबिम्ब समय क्या होगा ?
12:00
6:00
6:30
12:00
उत्तर
घड़ी के डायल में 12 अंक होते हैं जो 60 भागों में बंटे होते हैं, और जब कोई सुई किसी अंक से शुरू हो कर दोबारा उसी अंक तक पहुंचती है तो 360 डिग्री का कोण बनाती है। दुसरे शब्दों में घड़ी की परिधि 360o की होती है।
इस प्रकार घड़ी के किन्ही निकटवर्ती दो अंकों के बीच(5 खाने) का कोण
360/12=30oहोता है।
इस प्रकार एक खाना
360/60 = 6o का होता है।घण्टे की सुई 12 घण्टे में 360o घुमती है तो 1 घण्टे में घुमेगी 360/12 = 30o
इस प्रकार 60 मिनट में घण्टे की सुई घुमती है 30o
अतः 1 मिनट में घुमेगी 30/60 = (1/2)o
इस प्रकार घण्टे की सुई 1 मिनट में 1/2o का कोण तय करती है।
प्रति मिनट सुईयों में विचलन
सैकण्ड की सुई 360o
मिनट की सुई 6o
घण्टे की सुई 1/2o
0o 72o 360o 720o
उत्तर
सवा पाँच बजे दोनों सुइयों के बीच क्या कोण होगा ?
35o
45o
67.5o
75o
उत्तर
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