कंप्यूटर हार्डवेयर कंप्यूटर के भौतिक घटकों को संदर्भित करता है जिसे उपयोगकर्ता द्वारा देखा और छुआ जा सकता है। हार्डवेयर घटक कंप्यूटर सिस्टम में उपयोग किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल डिवाइस हो सकते हैं।
जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह वह डिवाइस है जिनके द्वारा हम कम्प्यूटर को निर्देश देते हैं. इनसे संदेश लेकर कम्प्यूटर उन पर प्रोग्राम के अनुरूप काम करता है. जैसे माउस, स्कैनर, जाॅयस्टिक, लाइटपेन, टच स्क्रीन, ट्रैकबाल,कीबोर्ड, वेवकैम, माइक्रोफोन, किमबाॅल, टैगरीडर MICR,OMR,OCR,जॉय स्टिक आदि.
इसके दवारा हम alphabetical, numbers, symbols, special characters को computer में फ़ीड कर सकते हैं।
की-बोर्ड टाइपराटर जैसा उपकरण होता है जिसमें कम्प्यूटर में सूचनाए दर्ज करने के लिए बटन दिये गये होते हैं जिन्हें हम की (key) कहते है ।
टाइपराइटर कीज(alphabetical Key A to Z)- ये की बोर्ड का मुख्य हिस्सा होता है, यह मुख्यत टाइपिंग सम्बन्धी कार्य को करने में काम आता है, इन्हीं की से हम किसी भी भाषा में टाइप कर सकते हैं, इसके लिये सिर्फ हमको कम्प्यूटर में फान्ट बदलना होगा।
फक्शन कीज(F1 to F12) - टाइपराइटर की के सबसे ऊपरी भाग में एक लाइन में एफ-1 से लेकर एफ-12 संख्या तक रहती है। किसी भी साफ्टवेयर पर काम करते समय इनका प्रयोग उसी साफ्टवेयर में दी गयी सूची के अनुसार अलग अलग तरीके से किया जाता हैा
कर्सर कंट्रोल कीज - इन कीज से कम्प्यूटर के क्रर्सर को नियंत्रित किया जाता है, इससे आप कर्सर को अप, डाउन, लेफ्ट, राइट आसानी से ले जाया जा सकता है, यह की बोर्ड पर ऐरो के निशान से प्रर्दशित रहती है।
← - इस की का प्रयोग कर्सर को एक अक्षर बांई ओर ले जाने के लिए किया जाता है।
Ctrl + ← - इस की का प्रयोग कर्सर को एक शब्द बांई ओर ले जाने के लिए किया जाताा है।
→ - इस की का प्रयोग कर्सर को एक अक्षर दांई ओर ले जाने के लिए किया जाता है।
Ctrl + → - इस की का प्रयोग कर्सर को एक शब्द दांई ओर ले जाने के लिए किया जाता है।
↑ - इस की का प्रयोग कर्सर को एक लाइन ऊपर ले जाने के लिए किया जाता है।
Ctrl + ↑ - इस की का प्रयोग कर्सर को एक पैराग्राफ ऊपर ले जाने के लिए किया जाता है।
↓ - इस की का प्रयोग कर्सर को एक लाइन निचे ले जाने के लिए किया जाता है।
Ctrl + ↓ - इस की का प्रयोग कर्सर को एक पैराग्राफ निचे ले जाने के लिए किया जाता है।
की-बोर्ड पर ऐरो कीज के ठीक ऊपर कुछ और कर्सर कन्ट्रोल कीज भी मौजूद रहती है। ये इस प्रकार है-
पेज अप कीज - इनका प्रयोग डाक्यूमेंट के पिछले पृष्ठ पर जाने के लिए किया जाता है।
पेज डाअन कीज - इनका प्रयोग अगले पृष्ठ पर जाने के लिए किया जाता है।
होम(Home) की - इसका प्रयोग कर्सर लाइन के शुरू में लाने के लिए होता है।
Ctrl + होम(Home) की - इस की का प्रयोग कर्सर को डोक्यूमेंट(Document) के शुरू में ले जाने के लिए किया जाता है।
एंड(End) की - यह की कर्सर को लाइन के अंत में ले जाती है।
Ctrl + एंड(End) की - इस की का प्रयोग कर्सर को डोक्यूमेंट के अंत में ले जाने के लिए किया जाता है।
न्यूमेरिक की पैड - की-बोर्ड की दार्इ ओर न्यूमेरिक की-पैड होता है जिसमें कैलुक्यूलेटर के समान कीज होती है। इनसे से कुछ कीज दो काम करती हैं। न्यूमेरिक कीज के दोनो कार्यो को आपस में बदलने के लिए नम लोक की का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए-संख्या 7 युक्त की, होम की के रूप में केवल तभी काम करती है। जब नम लोक की आफ होती है। जब नम लोक की आन होती है। तो 1,2,3,4,5,6,7,8,9,0 चिनिहत कीज, न्यूमेरिक कीज के रूप में काम करती है। इनमें से किसी को भी दबाने पर स्क्रीन पर एक संख्या दिखार्इ देता है।
कैप्स लाक की - सामान्यतया अक्षर लोअर केस मे ही टाइप होता है। यदि आप एक बार कैप्स लाक की को दबा दे तो टाइप किया जानेाला अक्षर अपर केसा में टाइप केस में टार्इप होता है। इसे वापस लोअर केस में टाइप करने के किए एक बार फिर कैप्स लोक दबा दें।
शिप्ट की - इसको दबाकर यदि आप कोर्इ अक्षर की दबाए तो वह अपर केस अक्षर में ही टाइप होगी। यदि कैप्स लाक आन की सिथति में हो तो यह कि्रया उलट जाएगी। जब एक की पर दो चिन्ह या कैरेक्टर बने हों तब शिप्ट की दबाने से ऊपरी चिन्ह स्क्रीन पर दिखार्इ देगा।
कंट्रोल एंव आल्ट कीज - कंट्रोल एंव आल्ट कीज का प्रयोग अकसर कोर्इ विशेष काम करने के लिए अन्य की के साथ संयुक्त् रूप में किया जाता है। जैसे- कंट्रोल और सी को एक आप डोस प्राम्प्ट पर लौट आते है। कंट्रोल आल्ट और डिलीट कीज को एक साथ क्रमवार दबाने से मशीन स्वयं ही दोबारा शुरू हो जाती है।
एंटररिटर्न(Enter) - एंटर की को रिर्टन की भी कहा जाता है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से दो कार्यो के लिए किया जाता है। पहला यह पीसी को सूचना देता है कि आपने निर्देश देने का काम छोड दिया है। अत: वहा दिए गए निर्देशों को प्रोसेस या एक्जीक्यूट करें। दूसरा माइक्रोसाफ्ट वर्ड प्रोग्राम का प्रयोग करते समय एन्टर की दबाने पर नया पैराग्राफ या पंकित शुरू हो जाती है।कर्सर को अगली लाइन में ले जाने के लिए Shift+Enter का प्रयोग किया जाता हैं
टैब की - यह कर्सर को एक पूर्वनिर्धारित स्थान पर आगे ले जाती है। इसके द्वारा आप पैराग्राफ शुरू कर सकते है तथा कालम, टैक्स्ट या संख्याओं को एक सीध में लिख सकते है। कुछ साफ्टवेयरों में यह मेन्यू में एक विकल्प से दूसरे विकल्प पर जाने में मदद करती है।
डिलीट(Delete) की - कर्सर की दार्इ ओर लिखे कैरेक्टर या स्पेस को आप इसको दबाकर मिटा सकते है।
Ctrl + डिलीट(Delete) की - इस की का प्रयोग कर्सर के दाई ओर से शब्द मिटाने के लिए किया जाता है।
बैकस्पेस(Backspace) की - इसे दबाकर आप कर्सर के बार्इ और लिखे अक्षर को मिटा सकते है। ऐसा करने पर कर्सर अन्त में टाइप किए गए अक्षर को मिटाने हुए बार्इ ओर लौटता है।
Ctrl + बैकस्पेस(Backspace) की - इस की का प्रयोग कर्सर के बाई ओर से शब्द मिटाने के लिए किया जाता है।
Esc Key - इस की का प्रयोग माइक्रोसाफ्ट पावर प्वाइंट में शलाइड शो को बंद करने के लिए किया जाता है।
Insert Key - इस की का प्रयोग कर्सर की वर्तमान स्थिति से insertion शुरू करने के लिए किया जात है। यह एक टोगल की है।
Window Key - इस की का प्रयोग स्टार्ट बटन को लाॅन्च करने या प्रोग्राम की लिस्ट को देखने के लिए किया जाता है।
PrtScr Key - इस की का प्रयोग वर्तमान विन्डो की कोपी करने के लिए किया जाता है।
QWERTY कीबोर्ड में कुल 104 कुंजियाँ होती हैं।
कैप्स लॉक, इन्सर्ट, स्क्रॉल लॉक, न्यूम लॉक को toggle keys कहा जाता है क्योंकि जब इन्हें दबाया जाता है, तो ये अपनी स्थिति को एक स्थिति से दूसरी स्थिति में टॉगल या बदल देती हैं।
Shift, Ctrl और Alt कुंजियों को modifier keys के रूप में भी जाना जाता है।
कीबोर्ड विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे QWERTY, DVORAK और AZERTY।
माउस एक पोइंटिंग डिवाइस है। इसके दवारा हम कर्सर को हेंडल करते है । माउस को पोइंट एण्ड ड्रा डिवाइस भी कहते हैं।
इसका आविष्कार 1963 में स्टैनफोर्ड रिसर्च सेंटर में डगलस एंगेलबार्ट द्वारा किया गया था।
माउस की चार क्रियाएं इस प्रकार हैं -
Trackball एक पोइंटिंग डिवाइस है। इसे अप-साइड डाउन माउस भी कहते हैं। यह उलटे माउस के समान दिखाई देता है।
स्कैनर के दवारा हम image व लिखे हुए data को computer में डाल सकते हैं । यह डाटा को पिक्चर या इमेज के रूप में सेव करता है।
जोय-स्टिक भी एक पोइंटिंग device है, और ये भी कर्सर कि पोजीशन को स्क्रीन पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाता है।
बायोमेट्रिक सेंसर एक ऐसा उपकरण है जो व्यक्ति के शारीरिक लक्षणों को पहचानता है। बॉयोमीट्रिक सेंसर का उपयोग संगठनों/संस्थानों में कर्मचारियों/छात्रों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए किया जाता है। बायोमेट्रिक सेंसर या एक्सेस कंट्रोल सिस्टम को फिजियोलॉजिकल बायोमेट्रिक्स और बिहेवियरल बायोमेट्रिक्स जैसे दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है। फिजियोलॉजिकल बायोमेट्रिक्स में मुख्य रूप से फेस रिकग्निशन, फिंगरप्रिंट, हैंड ज्योमेट्री, आइरिस रिकग्निशन और डीएनए शामिल हैं। जबकि बिहेवियरल बायोमेट्रिक्स में कीस्ट्रोक, सिग्नेचर और वॉइस रिकग्निशन शामिल हैं।
इसके दवारा हम data को computer में transfer कर सकते है। पंच कार्ड का उपयोग इनपुट और आउटपुट दोनों के लिए किया जाता था।
इसके दवारा हम sound को computer में डाल सकते हैं ।
वेब कैमरा या वेबकैम एक वीडियो कैमरा होता है। जिसके माध्यम से हम दूर बैठे व्यक्ति से Video call आदि कर पाते हैं।
एक प्रकार का इनपुट डिवाइस है जिसका इस्तेमाल किसी वस्तु या सामान में लगे हुए बारकोड को scan करने और read करने के लिए किया जाता है। बारकोड रीडर को Barcode Scanner या Point-of-sale (POS) के नाम से भी जाना जाता है। यह लेजर का उपयोग करके बारकोड को scan और read करता है। बार कोड की माप इसकी चौड़ाई के अनुसार होती है। इसकी लंबाई से इसके कोड का कोई संबंध नहीं होता।
यह एक इनपुट उपकरण है जो प्रकाशीय व्यवस्था द्वारा अक्षरों और चिन्हों को पहचान कर डाटा इनपूट करता है।
इसमें स्क्रीन को छुकर निर्देश दिया जाता है। और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करवाया जाता है। इसका प्रयोग बैंक के ए. टी. एम. में किया जाता है।
पेन के आकार का प्वांइटिंग डिवाइस जिसका प्रयोग स्क्रीन पर लिखने या चित्र बनाने में किया जाता है।
यह इनपुट डिवाइस है जो फाॅर्म पेपर पर रिक्त स्थानों या बाॅक्स पर लगे पेंसिल, पेन के चिन्ह को पढ़कर कम्प्युटर में डाटा प्रवेश कराती है। आज कर हो रही प्रतियागी परिक्षाओं के परिणाम इसी विधि से ज्ञात किये जाते है।
बैंक चैक पर लिखे गये विशेष प्रकार के कोड को पढ़ने के काम आता है। Micr कोड के पहले 3 अंक शहर को प्रदर्शित करते हैं।
Digitizing tablet एक drawing सतह है। इसके साथ एक पेन या माउस होता है। इस टेबिल पर पतले तारों का जाल होता है। जिस पर पेन चलाते ही संकेत कंप्यूटर में चले जाते है।
जिस प्रकार इनपुट डिवाइस प्रयोक्ता (User) से निर्देश लेने के लिये काम आती है उसी प्रकार आउटपुट डिवाइस वो डिवाइस है जिनके द्वारा हम कंम्यूटर द्वारा प्रोसेस्ड जानकारी को देखते या ग्रहण करते हैं। मुख्य रूप से स्क्रीन (मॉनीटर) प्रिन्टर, प्लाॅटर, मोनिटर, स्पिकर, कार्डरीडर, टेपरीडर, स्क्रीन इमेज, प्रोजेक्टर इसके उदाहरण है।
कम्प्यूटर को हम जो भी निर्देश देते हैं या जिस प्रोसेस्ड जानकारी को हम ग्रहण करते हैं उसे हम मोनीटर पर देखते हैं।
इसे विजुअल डिस्प्ले यूनिट (वीडीयू) के नाम से भी जाना जाता है। परिणाम प्रदर्शित करने के लिए कंप्यूटर के साथ मॉनिटर प्रदान किया जाता है। मॉनिटर पर एक इमेज डॉट्स के कॉन्फिगरेशन द्वारा बनाई जाती है, जिसे पिक्सल भी कहा जाता है।
मॉनिटर दो प्रकार का होता है - मोनोक्रोम डिस्प्ले मॉनिटर और कलर डिस्प्ले मॉनिटर।
एक मोनोक्रोम डिस्प्ले मॉनिटर टेक्स्ट प्रदर्शित करने के लिए केवल एक रंग का उपयोग करता है और कलर डिस्प्ले मॉनिटर एक समय में 256 रंगों को प्रदर्शित कर सकता है।
छवि की स्पष्टता (clarity of image) तीन कारकों पर निर्भर करती है जो इस प्रकार हैं
मॉनिटर के लोकप्रिय प्रकार इस प्रकार हैं
1. कैथोड रे ट्यूब (CRT) : यह एक विशिष्ट आयताकार आकार का मॉनिटर है जिसे आप डेस्कटॉप कंप्यूटर पर देखते हैं। CRT एक टेलीविजन की तरह ही काम करता है। CRT में एक वैक्यूम ट्यूब होती है। CRT की स्क्रीन फॉस्फोरसेंट तत्वों की एक महीन परत से ढकी होती है, जिसे फॉस्फोरस कहा जाता है।
2. लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (LCD) : इन स्क्रीन का उपयोग लैपटॉप और नोटबुक के आकार के पीसी में किया जाता है। दो प्लेटों के बीच में एक खास तरह का तरल पदार्थ दबा होता है। यह एक पतली, सपाट और हल्के वजन की स्क्रीन है जो किसी प्रकाश स्रोत के सामने व्यवस्थित कितने भी रंग या मोनोक्रोम पिक्सेल से बनी होती है।
3. थिन-फिल्म ट्रांजिस्टर (TFT) : यह एक प्रकार का फ्लैट पैनल मॉनिटर है जिसकी स्क्रीन काफी पतली और लम्बी होती है। TFT मॉनिटर में मौजूद सभी pixel को नियंत्रित (control) करने के लिए चार प्रकार के ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता है।
एक प्रिंटर कंप्यूटर से सूचना और डेटा को कागज पर प्रिंट करता है। यह दस्तावेजों को रंग के साथ-साथ काले और सफेद रंग में भी प्रिंट कर सकता है। प्रिंटर की गुणवत्ता प्रिंट की स्पष्टता से निर्धारित होती है।
एक प्रिंटर की गति वर्ण प्रति सेकंड (CPS), लाइन प्रति मिनट (LPM) और पृष्ठ प्रति मिनट (PPM) में मापी जाती है। प्रिंटर रिज़ॉल्यूशन प्रिंट गुणवत्ता का एक संख्यात्मक माप है जिसे डॉट्स प्रति इंच (DPI) में मापा जाता है।
प्रिंटर को दो बुनियादी श्रेणियों में बांटा गया है जो इस प्रकार हैं -
इस प्रकार का प्रिंटर एक टाइपराइटर की तरह एक अक्षर बनाने के लिए कागज और रिबन को एक साथ टकराता है। इम्पैक्ट प्रिंटर एक बार में एक कैरेक्टर या पूरी लाइन प्रिंट कर सकता है। वे पिन या हथौड़े का उपयोग करते हैं जो कागज के खिलाफ एक स्याही वाले रिबन को दबाते हैं। वे कम खर्चीले, तेज हैं और मल्टीपार्ट पेपर के साथ कई प्रतियां बना सकते हैं।
इम्पैक्ट प्रिंटर चार प्रकार के होते हैं जो हैं-
1. डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर : यह पिनों की पंक्तियों का उपयोग करके वर्ण बनाता है जो कागज के शीर्ष पर रिबन को प्रभावित करता है इसलिए इसे पिन प्रिन्टर भी कहा जाता है। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर एक बार में एक अक्षर प्रिंट करता है। यह वर्णों और छवियों को डॉट्स के पैटर्न के रूप में प्रिंट करता है। कई डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर द्वि-दिशात्मक होते हैं, यानी वे वर्णों को किसी भी दिशा से प्रिंट कर सकते हैं, अर्थात बाएं या दाएं।
2. डेजी व्हील प्रिंटर : डेजी व्हील प्रिंटर में अक्षर पूरी तरह से पंखुड़ियों पर टाइपराइटर कुंजियों की तरह बनते हैं। ये प्रिंटर उच्च रिज़ॉल्यूशन आउटपुट देते हैं और डॉट मैट्रिक्स की तुलना में अधिक विश्वसनीय होते हैं।
3. लाइन प्रिंटर : यह एक हाई-स्पीड प्रिंटर है जो एक समय में एक या अधिक वर्णों के बजाय एक बार में टेक्स्ट की पूरी लाइन को प्रिंट करने में सक्षम है। लाइन प्रिंटर की प्रिंट गुणवत्ता उच्च नहीं होती है।
4. ड्रम प्रिंटर : ड्रम प्रिन्टर में बेलनाकार आकृति का ड्रम होता है, जिस पर छापे जाने वाले अक्षर अलग-अलग बैण्ड (Bands) पर उभरे हुए रहते हैं। यह ड्रम तीव्र गति से घूमता है व इसके बैण्ड भी अलग-अलग घूम सकते हैं। प्रत्येक बैण्ड पर अक्षरों का एक पूर्ण सेट उभरा रहता है। ड्रम के घूमने पर जब निश्चित अक्षर प्रिंट स्थिति (Print Position) से गुजरते हैं तो धातु के छोटे हथौड़ों (Print Hammers) द्वारा कागज पर चोट की जाती है, कागज स्याही के रिबन से टकराता है व अक्षर छप जाता है। इनकी प्रिन्टिंग गति 300 से 2000 लाइन प्रति मिनट होती है।
इस प्रकार का प्रिंटर इलेक्ट्रोस्टैटिक रसायनों और इंकजेट प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है। वे प्रिंट करने के लिए रिबन को हिट या प्रभावित नहीं करते हैं। यह इम्पैक्ट प्रिंटर की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाले ग्राफिक्स और अक्सर फोंट की एक विस्तृत विविधता का उत्पादन कर सकता है।
नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर निम्न प्रकार के होते हैं -
1. इंकजेट प्रिंटर : यह एक ऐसा प्रिंटर है जो एक छवि बनाने के लिए स्याही की बहुत छोटी बूंदों को कागज पर रखता है। यह अक्षर बनाने के लिए कागज पर स्याही छिड़कता है और उच्च गुणवत्ता वाले टेक्स्ट और ग्राफिक्स को प्रिंट करता है।
2. थर्मल प्रिंटर : यह अक्षर को बनाने के लिए रासायनिक उपचारित कागज पर गर्मी का उपयोग करता है।
3. लेजर प्रिंटर : वे विभिन्न फोंट में प्रिंट कर सकते हैं, जैसे कि प्रकार, शैली और आकार। लेजर प्रिंटर प्रिंटिंग के लिए फोटो सेंसिटिव सतह पर लेजर बीम का उपयोग करता है। यह उच्च गुणवत्ता वाले ग्राफिक्स प्रिंट करता है।
4. इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रिंटर : इन प्रिंटर को इलेक्ट्रोग्राफिक या इलेक्ट्रो-फोटोग्राफिक प्रिंटर के रूप में भी जाना जाता है। ये बहुत तेज़ प्रिंटर होते हैं और पेज प्रिंटर की श्रेणी में आते हैं। इलेक्ट्रोग्राफिक तकनीक पेपर कॉपियर तकनीक से विकसित हुई है।
5. इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रिंटर : ये प्रिंटर आमतौर पर बड़े प्रारूप की छपाई के लिए उपयोग किए जाते हैं। वे तेजी से प्रिंट करने और कम लागत बनाने की क्षमता के कारण बड़ी छपाई की दुकानों के पक्षधर हैं।
नोट: चक हल (chuck Hull) ने 1984 में पहला 3D प्रिंटर डिज़ाइन किया और बनाया। इन प्रिंटर का उपयोग वास्तविक मॉडल में लगभग कुछ भी प्रिंट करने के लिए किया जा सकता है।
ये भी एक output device है इसके दवारा graphic और designs कि hard कॉपी को प्राप्त किया जाता है। ये मुख्य रूप से निर्माण योजनाओं, यांत्रिक वस्तुओं के लिए ब्लूप्रिंट, ऑटोकैड, सीएडी / सीएएम जैसे बड़े चित्र बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
प्लॉटर आमतौर पर निम्न दो रूपों में आते हैं -
एक आउटपुट उपकरण जो कम्प्युटर स्क्रीन पर दिखाई देने वाली सूचना को बड़ी स्क्रीन पर स्तुत करता है।
यह एक आउटपुट डिवाइस है जो ध्वनि को विद्युत धारा के रूप में ग्रहण करता है। इसे सीपीयू से जुड़े साउंड कार्ड की जरूरत होती है, जो ध्वनि उत्पन्न करता है। ये आंतरिक या बाह्य रूप से एक कंप्यूटर सिस्टम से जुड़े होते हैं। इनका उपयोग संगीत सुनने, प्रस्तुतियों के दौरान संगोष्ठियों में श्रव्य होने आदि के लिए किया जाता है।
ये छोटे लाउडस्पीकरों की एक जोड़ी या आम तौर पर एक स्पीकर होते हैं, जो उपयोगकर्ता के कानों के करीब होते हैं और ऑडियो एम्पलीफायर, रेडियो, सीडी प्लेयर या पोर्टेबल मीडिया प्लेयर जैसे सिग्नल स्रोत से जुड़े होते हैं। उन्हें स्टीरियो फोन, हेडसेट के रूप में भी जाना जाता है।
इनपुट/आउटपुट पोर्ट बाहरी इंटरफेस हैं जिनका उपयोग इनपुट और आउटपुट डिवाइस जैसे प्रिंटर, मॉनिटर और जॉयस्टिक को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए किया जाता है। I/O डिवाइस विभिन्न पोर्ट के माध्यम से कंप्यूटर से जुड़े होते हैं जिनका वर्णन नीचे किया गया है
1. Parallel Port (समानांतर पोर्ट) : यह आठ या अधिक डेटा तारों को जोड़ने के लिए एक इंटरफ़ेस है। डेटा एक साथ तारों के माध्यम से बहता है। वे समानांतर में आठ बिट डेटा संचारित कर सकते हैं। नतीजतन, समानांतर पोर्ट उच्च गति डेटा संचरण प्रदान करते हैं। पैरेलल पोर्ट का उपयोग प्रिंटर को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए किया जाता है। समांतर पोर्ट 25-पिन डी-आकार वाले कनेक्टर का उपयोग करता है, या आमतौर पर DB25 कनेक्टर के रूप में जाना जाता है।
2. सीरियल पोर्ट: यह एक तार के माध्यम से एक बिट डेटा प्रसारित करता है। चूंकि, डेटा एकल बिट के रूप में क्रमिक रूप से प्रसारित होता है। यह धीमी गति डेटा संचरण प्रदान करता है। सीरियल पोर्ट एक मानक 9-पिन डी-आकार के कनेक्टर का उपयोग करता है और इसका उपयोग बाहरी मोडेम, प्लॉटर, बारकोड रीडर आदि को जोड़ने के लिए किया जाता है।
3. यूनिवर्सल सीरियल बस (USB) : यह कंप्यूटर के साथ उपलब्ध एक सामान्य और लोकप्रिय बाहरी पोर्ट है। आम तौर पर, एक पीसी पर दो से चार यूएसबी पोर्ट दिए जाते हैं। USB में प्लग एंड प्ले फीचर भी है, जो उपकरणों को चलाने के लिए तैयार करता है। यूएसबी का आविष्कार अजय भट्ट ने 1995 में किया था, जो उस समय इंटेल के एक कर्मचारी थे।
4. फायरवायर पोर्ट : इसका उपयोग वीडियो कैमरा जैसे ऑडियो और वीडियो मल्टीमीडिया उपकरणों को जोड़ने के लिए किया जाता है। फायरवायर एक महंगी तकनीक है जिसका उपयोग बड़े डेटा संचलन के लिए किया जाता है। हार्ड डिस्क ड्राइव और नई डीवीडी ड्राइव फायरवायर के माध्यम से जुड़ते हैं। इसकी डाटा ट्रांसफर दर 400 एमबी/सेकंड तक है।
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