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7. कार्बन C

पृथ्वी पर पाए जाने वाले तत्वों में कार्बन एक प्रमुख एवं महत्वपूर्ण तत्व है। इसके प्राकृतिक रूप में तीन(6C12, 6C13, 6C14) समस्थानिक है। इसे जिवन का आधार कहा जाता है।

कार्बन में कैटिनेशन नामक एक विशेष गुण पाया जाता है जिसके कारण इसके प्रमाणु आपस में संयोग कर लम्बी श्रंखला बनाते हैं। कार्बन के इसी गुण के कारण पृथ्वी पर कार्बनिक पदार्थों की संख्या सबसे अधिक है। यह मुक्त एवं संयुक्त दोनों अवस्थाओं में पाया जाता है। इसके बहुरूपों में हिरा, ग्रेफाइट, फुलेरिन, काजल, कोयला प्रमुख है।

उपयोग

पुरातात्विक अवशेषों की आयु ज्ञात करने में।

मनुष्य के शरीर में 18.5 प्रतिशत कार्बन होता है।

प्रकृति में कार्बन यौगिकों की संख्या 10 लाख से भी अधिक है।

कार्बन के कुछ यौगिक निम्न है -

कार्बनडाई आॅक्साइडCO2

यह गंधहीन, रंगहीन गैंस है। सामान्य ताप व दाब पर यह गैंसीय अवस्था में रहती है। वायुमण्डल में इसकी मात्रा 0.03-0.04 प्रतिशत तक पाई जाती है।यह एक ग्रीन हाउस गैस है। क्योंकि सुर्य से आने वाली किरणों को तो यह पृथ्वी पर पहुंचने देती है लेकिन पृथ्वी से गर्मी को अंतरिक्ष में जाने से रोकती है।

पृथ्वी पर सभी सजीव श्वसन में कार्बन डाइआक्साइड को छोड़ते है। जबकि पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते समय इस गैस को ग्रहण कर कार्बोहाइड्रेट बनाते हैं।

उद्योगों में इसे चुना पत्थर को गरम करके बनाया जाता है। और सामान्यतः वायु में कार्बन (लकड़ी, कोयला) को जलाने पर यह गैंस बनती है।

कार्बन डाईआक्साइड का ताप कम करने पर यह शुष्क ठोस में परिर्तित हो जाती है जिसे शुष्क बर्फ कहा जाता है। इसका उपयोग वस्तुओं को ठण्डा रखने में किया जाता है। इसका उपयोग अग्निशमन में भी किया जाता है।

इसका उपयोग यूरिया निर्माण में भी किया जाता है।

कार्बन मोनोआक्साइडCO

इसे वायु की अल्प मात्रा में कार्बन जलाने पर प्राप्त किया जा सकता है। उद्योंगों में इसे कोक पर भाप प्रवाहित कर बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में कार्बन मोनोआक्साइड के साथ हाइड्रोजन गैस भी निकलती है। इस मिश्रण को वाटर गैंस भी कहते हैं। यदि भाप के स्थान पर वायु का प्रयोग करें तो कार्बन डाईआॅक्साइड के साथ नाइट्रोजन निकलती है जिसे प्रोडयूसर गैंस कहते हैं।

इसका उपयोग औद्योगीक ईंधन में किया जाता है। कार्बनमोनो आक्साइड रक्त में हीमोग्लोबीन के साथ मिलकर संकुल बनाती है। जिससे शरीर में आक्सीजन प्रवाह रूक जाता है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

सी. फ. सी.(क्लोरो फ्लूरो कार्बन CFC)

यह कार्बन, क्लोरिन, फ्लोरिन परमाणुओं का यौगीक है। यह अक्रिय अज्वलनशील एवं विषहीन कार्बनिक यौगिक है। इसके यौगिक ओजोन गैस के अणुओं का विघटन कर पृथ्वी के वायुमण्डल में ओजोन परत को नष्ट करतें है। इसलिए इसके निर्माण पर मानट्रीयल प्रोटोकोल के अन्तर्गत चरणबद्ध रूप से रोक लगा दि गई है।

इसका उपयोग रेफ्रीजरेटर, एयर कण्डीशनर में शीतलक के रूप में, कम्प्युटर के पुर्जो की सफाई में, फोम निर्माण में किया जाता है।

हाइड्रोकार्बन

हाइड्रोकार्बन यौगिक वे कार्बन है जो हाइड्रोजन और कार्बन के परमाणुओं से मिलकर बने है। इनका मुख्य स्त्रोत भूतैल है। प्राकृतिक गैंस में भी हाइड्रोकार्बन पाये जाते है। हाइड्रोकार्बन संतृप्त व असंतृप्त होते है।

प्रमुख हाइड्रोकार्बन निम्न है -

एल. पी. जी. (L.P.G.)- रसाई गैंस

एज. पी. जी. कई हाइड्रोकार्बन का मिश्रण है। यह एक ज्वलनशील गैस है। जो घरों में खाना पकाने, वाहनों में ईंधन के रूप में प्रयोग कि जाती है। अब एल. पी. जी. का प्रयोग सी. फ. सी. के स्थान पर होने लगा है। इसमें मुख्य रूप से प्रोपेनC3H8, व ब्युटेन C4H18 गैंस होती है। इसका क्वथनांक कमरे के तापमान से भी कम होता है। यह एक गंधहीन गैंस है। रिसाव का पता लगाने के लिए इसमें इथेन थायोल या थायाडीन या मार्केप्टेन मिलाते है।

सी. एन. जी.(C.N.G.)

यह भी हाइड्रोकार्बन का मिश्रण है। यह प्राकृतिक गैंस है। जिसे उच्च दाब पर संपीड़ीत किया जाता है। इसमें 80 प्रतिशत मिथेन CH4का प्रयोग होता है। मिथेन एक सरल हाइड्रोकार्बन है। जो दलदली भूमी से निकलती है। इसलिए इसे मार्श(दलदल) गैंस भी कहते है।

सी. एन. जी. में 15-16 प्रतिशत इथेन C2H6 होती है। सी. एन. जी. एक रंगहीन, गंधहीन व विषहीन गैंस है। इसका उपयोग वाहनों में ईधन के रूप में करने के लिए इसे उच्च दाब(200-250 किग्रा/वर्ग सेमी.) पर दबाया जाता है।

ट्राईक्लोरो मिथेन CHCl3 -क्लोरोफाॅम

यह भी कार्बन का यौगीक है। यह रंगहीन व सुगंधीत पदार्थ है। जिसका प्रयोग पहले चिकित्सा क्षेत्र में शल्यचिकित्सा से पहले मरीज को बेहोश करने में किया जात था। लेकिन आधुनिक युग में इसके अन्य विकल्पों का प्रयोग किया जाता है।

क्लोरोफाॅम के अधिक प्रयोग से शरीर के कई अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

प्लास्टिक

यह भी कार्बन का यौगिक है। यह हमारे दैनिक जिवन में काम आने वाली वस्तुओं थैलियों, बाल्टी, जुते आदि मनाने में प्रयोग किया जाता है। टेफलाॅन का उपयोग नाॅन - स्टिक बर्तन बनाने में किया जाता है।

नायलाॅन

यह भी कार्बन का एक यौगिक है। यह हेक्सामेथिलीन डाइऐमीन तथा ऐडिपिक अम्ल का संघन्न करवाने पर प्राप्त होता है।

इसका प्रयोग वस्त्र उद्योग में, टायर बनाने में, रसियां बनाने में, ब्रुश क बाल बनाने में किया जाता है।

टेरिलीन - यह एक पालीएस्टर है जिसका प्रयोग रस्सी, नावों के पाल, सुरक्षा बेल्ट आदि बनाने में किया जाता है।

साबुन

यह भी कार्बन का यौगीक है। रासायनिक रूप से साबुन उच्च वसा - अम्लों के सोडियम अथवा पोटेशियम लवण होते हैं। साबुन के निर्माण में ग्लिसराॅल नामक सहउत्पाद भी प्राप्त होता है। पारदर्शी साबुन बनाने में एथेनाॅल तथा दाढ़ी बनाने के साबुन में रोजिन नामक पदार्थ मिलाया जाता है।

साबुन बनाने के लिए वनस्पति तेलों(सरसों, मुंगफली) की कास्टिक सोडे से क्रिया करवाई जाती है। तथा इसमें साधारण नमक NaCl डालकर इसे पृथक कर लिया जाता है।

अपमार्जक - साबुन रहित साबुन

अपमार्जक भी साबुन की तरह ही धुल मिट्टी व चिकनाई हटाने का कार्य करते है। ये लम्बी हाइड्रोकार्बन श्रंखला युक्त सल्फूरिक अम्ल अथवा सल्फानिक अम्ल के सोडियम लवण होते है।

तथ्य

आर्वत सारणी पर q व j के नाम से कोई तत्व नहीं है।

कैंसर में उपयोगी धातु - कोबाल्टCo-60

कैरोसीन में रखी जाने वाली धातु - सोडियमNa , पोटेशियम K

पत्तियों का रंग हरा क्लोरोफिल के कारण होता है, क्लोरोफिल में पायी जाने वाली धातु - मैग्निशियम Mg

पानी में रखा जाने वाला तत्व - फास्फोरस

सर्वाधिक पायी जाने वाली अक्रिय गैंस - आर्गन Ar

सबसे क्रियाशील हेलोजन गैस फ्लोरीन है।

हिमोग्लोबिन में पायी जाने वाली धातु - लोहा Fe

मनुष्य के आंसू में सोडियम क्लोराइड पाया जाता है।

सबसे कठोर तत्व - टंगस्टन W

हीरा सबसे कठोर अधातु है।

सबसे महंगी धातु - प्लेटिनम Pt

सबसे आॅक्सीकरण अवस्था दिखाने वाली तत्व -

प्लास्टर आॅफ पेरिस CaSO4.1/2H2O का उपयोग हड्डी जोड़ने में किया जाता है।

आतिशबाजी के दौरान हरा रंग बेरियम व लाल रंग स्ट्रांन्शियम के कारण होता है।

यूरिया प्रयोगशाला में निर्मित पहला कार्बनिक यौगिक है। इसका उपयोग उर्वरक के रूप में होता है।

धुंए के बादल बनाने में पीला फास्फोरस उपयोग किया जाता है।

कृत्रिम वर्षा कराने में सिल्वर आयोडाइड का उपयोग किया जाता है।

चुहे मारने की दवा का वैज्ञानिक नाम जिंक फास्फाइड है।

जिंक क्लोराइड का उपयोग लकड़ी को किड़ों से बचाने में किया जाता है।

कपूर को ही नैप्थेलिन कहते है जिसका उपयोग कपड़ों से किड़ों को दुर रखने में किया जाता है।

पोटेशियम परमेगनेट KMnO4 को लाल दवा के नाम से भी जाना जाता है। यह पानी में किटाणुओं को नष्ट करने में काम आती है।

सैकरीन चीनी से 500 गुणा मिठा होता है।

शुद्ध जल विधुत का कुचालक होता है।

कच्चे फलों को पकाने में एथिलीन एवं एसीटिलीन गैंस प्रयुक्त कि जाती है।

रेर्फिजरेटरों में बर्फ जमाने में द्रवित अमोनिया का उपयोग किया जाता है।

पृथ्वी पर सर्वाधिक पाई जाने वाजी गैंस/अधातु - आक्सीजन है।

लोहे पर जंग लगने से लोहे का वजन बढ़ जाता है।

भारी जल का उपयोग परमाणु भट्टी में होता है।

अश्रु गैंस में एक्रोलिन व एल्फा क्लोरो एसीटो फिनाॅल आदि का प्रयोग होता है।

नाइट्रस अॅाक्साइड को सूंघने पर आदमी हंसने लगता है।

रैक्सिन(रेग्जिन) एक कृत्रिम चमड़ा है।

अभ्रक उष्मा का सुचालक एवं विधुत का कुचालक है।

प्रकृति में कार्बन यौगिकों की संख्या 10 लाख से भी अधिक है।

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