भारतीय वायु सेना (IAF) उच्च प्रबलता वाले अभियानों के लिये अपनी क्षमताओं व तैयारियों का परीक्षण करने के लिये 10 दिवसीय (1-10 अप्रैल, 2024) अभ्यास 'गगन शक्ति-2024' (Gagan Shakti-2024) का आयोजन कर रही है। इस अभ्यास के दौरान IAF द्वारा "यथार्थवादी परिवेश में" अपनी शक्ति एवं क्षमता का प्रदर्शन किया जाता है, जिसमें देश भर में मौजूद सभी वायु सेना अड्डों और परिसंपत्तियों को भी शामिल किया जाता है। इससे पूर्व 'गगन शक्ति' अभ्यास का आयोजन वर्ष 2018 में किया गया था जब भारतीय वायुसेना ने दो चरण के हवाई युद्धाभ्यास के दौरान 11,000 से अधिक उड़ानें भरीं, जिसमें बल की तैनात परिसंपत्तियों का संकेंद्रण 48 घंटे से भी कम समय में पश्चिमी क्षेत्र से पूर्वी मोर्चे तक पहुँच गया।
हाल ही में अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड ने राजस्थान में ग्रुप कैप्टिव योजना के तहत 100 मेगावाट (MW) सौर ऊर्जा परियोजना को पूरा करने की घोषणा की। अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन नेटवर्क से अपनी कैप्टिव खपत के लिये विद्युत प्राप्त करने की यह कंपनी की पहली परियोजना है। इस परियोजना से विद्युत राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा सहित अन्य में कंपनी की इकाइयों को उपलब्ध होगी। कंपनी के पास अब 612 MW नवीकरणीय ऊर्जा और 278 MW वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम (WHRS) की क्षमता है। WHRS, ऊर्जा-बचत विद्युत उत्पादन प्रणालियाँ हैं जो मुख्य इंजन की निकास गैस से ऊर्जा पुनर्प्राप्त और पुन: उपयोग करती हैं। अल्ट्राटेक सीमेंट ने वर्ष 2030 तक अपने हरित ऊर्जा मिश्रण को 85% तक बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध किया है और यह परियोजना नवाचार, स्थिरता तथा सभी के लिये एक उज्जवल, स्वच्छ भविष्य की खोज के प्रति इसके समर्पण की पुष्टि करती है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), मैन-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) हथियार प्रणाली का सफल परीक्षण करके एक महत्त्वपूर्ण मील के पत्थर पर पहुँच गया है। MPATGM जिसकी मारक क्षमता 2.5 किलोमीटर है, जिसमें पैदल सेना के उपयोग के लिये फायर-एंड-फॉरगेट और शीर्ष हमले की क्षमताएँ हैं। राजस्थान में पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज (PFFR) में किये गए परीक्षणों ने उपयोगकर्त्ता टीम के सामने MPATGM के प्रभावशाली प्रदर्शन को प्रदर्शित किया। DRDO द्वारा भारत में निर्मित, MPATGM हथियार प्रणाली में MPATGM, मैन पोर्टेबल लॉन्चर, लक्ष्य अधिग्रहण प्रणाली (TAS) और फायर कंट्रोल यूनिट (FCU) शामिल हैं। परीक्षण से साबित हुआ है कि सिस्टम भारतीय सेना के जनरल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स (GSQR) द्वारा उल्लिखित पूर्ण परिचालन विशिष्टताओं के भीतर कार्य कर सकता है।
राजस्थान खान और भूविज्ञान विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष (FY25) के दौरान राजस्व बढ़ाने के लिये एक रणनीति विकसित की है। राजस्थान खनिजों की उपलब्धता और विविधता के मामले में सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है, जो 57 से अधिक प्रकार के खनिजों का उत्पादन करता है। वित्त वर्ष 2024 के दौरान खान विभाग ने 7,490 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व अर्जित किया। अन्वेषण, ड्रिलिंग, नीलामी के लिये ब्लॉक एवं भूखंड तैयार करने, नीलामी कैलेंडर बनाने और राजस्व संग्रहण के लिये रोड मैप तैयार कर दैनिक निगरानी सुनिश्चित करने की योजना बनाई गई है। योजना के अनुसार अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिये वन, ज़िला प्रशासन और पुलिस प्रशासन सहित संबंधित विभागों के साथ बेहतर समन्वय मज़बूत किया जाएगा।
हाल ही में कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CREDAI) ने राजस्थान सरकार से उभरते औद्योगिक और आवासीय केंद्र भिवाड़ी को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से जोड़ने की सुविधा देने का आग्रह किया है। CREDAI NCR भिवाड़ी नीमराना ने न केवल आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने, बल्कि वस्तुओं और लोगों की सुचारु आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिये अनुरोध किया, जिससे क्षेत्रीय विकास तथा समृद्धि को बढ़ावा मिले। यह CREDAI NCR के चैप्टरों में से एक है जो भिवाड़ी, धारूहेड़ा और नीमराना के डेवलपर्स का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर इंटरचेंज के साथ डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) के साथ एक सड़क विकसित करने की संभावना तलाशने का भी सुझाव दिया।
राजस्थान सरकार एक 'एकीकृत क्लस्टर विकास योजना' लागू करने की योजना बना रही है, जो हस्तशिल्प, हथकरघा और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्रों की उत्पादकता तथा गुणवत्ता को बढ़ावा देने में मदद करेगी। इसके लिये एक प्रारूप पहले ही तैयार किया जा चुका था और हितधारकों से सुझाव मांगे जा रहे थे। MSME को समर्थन देने के लिये केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों जैसे MSME, वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना एवं प्रौद्योगिकी और वाणिज्य एवं उद्योग द्वारा क्लस्टर विकास योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य से "वन भूमि के रूप में ओरान, दी-वान, रूंध और अन्य उपवनों की पहचान वन सर्वेक्षण के लिये उठाए जा रहे कदमों" को उज़ागर करने के लिये कहा। इसके प्रत्युत्तर में राजस्थान सरकार ने अंततः अपने पवित्र उपवनों, जिन्हें ओरण के नाम से जाना जाता है, को "मानित वन" के रूप में अधिसूचित किया। राजस्थान के सामुदायिक वनों में ओरान सामुदायिक जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं जो कभी-कभी सदियों पुराने होते हैं, जिन्हें पारंपरिक रूप से पवित्र माना जाता है, ग्रामीण समुदायों द्वारा संरक्षित एवं प्रबंधित किया जाता है, स्थानीय कानूनों व नियमों के साथ उनके उपयोग को नियंत्रित किया जाता है। पशुचारक अपने पशुओं को चराने के लिये ओरान में ले जाते हैं। ये समुदायों के सामाजिक कार्यक्रमों और त्योहारों के लिये एकत्रित होने के स्थान के रूप में भी काम करते हैं। ये गंभीर रूप से संकटग्रस्त ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के लिये प्राकृतिक आवास भी हैं।
हाल ही में भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) के प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र सी-डॉट तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जोधपुर ने "AI का उपयोग करके 5G और उससे आगे के नेटवर्क में स्वचालित सेवा प्रबंधन" के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इस समझौते पर DoT के टेलीकॉम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (TTDF) के तहत हस्ताक्षर किये गए हैं, जिसे ग्रामीण एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों में किफायती ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाओं को सक्षम करने के लिये प्रौद्योगिकी डिज़ाइन, विकास, दूरसंचार उत्पादों के व्यवसायीकरण तथा समाधान में कार्यरत घरेलू कंपनियों व संस्थानों को वित्त पोषण सहायता प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य 5G जैसे नेटवर्क में सृजित हो रही निरंतर जानकारी का उपयोग करके स्वचालित नेटवर्क प्रबंधन, गलती का पता लगाने और निदान तकनीकों के लिये AI ढाँचे को विकसित करना है।
सिंचाई जल की आपूर्ति की सुविधा के लिये राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िले में कृषि क्षेत्रों के लिये एक अनूठी डिजिटल जल वितरण प्रणाली शुरू की गई है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) जयपुर द्वारा विकसित नई प्रणाली किसानों को उनके खेतों तक पहुँचने वाले जल की स्थिति के बारे में जानने में सक्षम बनाएगी और मैन्युअल प्रणाली में अक्सर रिपोर्ट की जाने वाली मानवीय त्रुटि की गुंजाइश को कम करेगी। डिजिटल प्लेटफॉर्म ज़िले के सभी किसानों को जल की उपलब्धता से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिये गंग नहर और इंदिरा गांधी नहर से जल वितरित करने में पारदर्शिता बढ़ाएगा। जल संसाधन विभाग के अनुसार जल उपयोक्ता संघों के प्रमुख अपने-अपने क्षेत्र के किसानों की जानकारी पोर्टल पर केवल एक बार दर्ज करेंगे। इसके बाद किसानों को सिंचाई बारी की पर्चियाँ स्वत: ऑनलाइन मिल जाएंगी। ऑनलाइन 'बाराबंदी' (निश्चित बारी) का विस्तार किया जा सकता है और राज्य के अन्य ज़िलों में भी किसानों के लाभ के लिये एक समान जल वितरण प्रणाली के रूप में कार्यान्वित किया जा सकता है।
राजस्थान सरकार दिसंबर 2024 में तीन दिवसीय इन्वेस्टर्स समिट की मेज़बानी करने की योजना बना रही है। राज्य सरकार औद्योगीकरण को गति देने के लिये सालाना इन शिखर सम्मेलन आयोजित करने की योजना बना रही है। राज्य में व्यापार क्षेत्र का मानना है कि ऐसी घटनाओं की नियमित घटना संभावित रूप से उद्योग विभाग की अन्य ज़िम्मेदारियों से ध्यान, प्रयास और धन को दूर कर सकती है, क्योंकि इन आयोजनों के आयोजन में पूरे वर्ष की व्यापक योजना तथा तैयारी शामिल होती है। नीति निर्माण से लेकर कार्यान्वयन, बुनियादी ढाँचे के विकास, प्रशासन एवं निगरानी, विवाद समाधान और अन्य ज़िम्मेदारियों तक उद्योग-अनुकूल वातावरण प्रदान करने का कार्य कठोर है। क्षेत्र में अन्य राज्यों से निवेश आकर्षित करने के लिये एक आकर्षक औद्योगिक नीति विकसित करने पर ज़ोर दिया जाना चाहिये।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने डीआरडीओ-उद्योग-अकादमिया उत्कृष्टता केंद्र (डीआईए-सीओई) का उद्घाटन किया। यह केंद्र शिक्षा जगत, उद्योग और डीआरडीओ अनुसंधान प्रयोगशालाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर अंतःविषय अनुसंधान में क्रांति लाने और रक्षा प्रौद्योगिकी में नवप्रवर्तकों की अगली पीढ़ी को विकसित करने के लिए तैयार है।
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