जिसके द्वारा विकारी शब्द की संख्या का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं।
वचन दो प्रकार के होते हैं।
पद के जिस रूप से किसी एक संख्या का बोध होता है, उसे एकवचन कहते हैं।
जैसे - मेरा, तुम्हारा, नदी, वधू, कमरा।
विकारी पद के जिस रूप से किसी की एक से अधिक संख्या का बोध होता है, उसे बहुवचन कहते हैं।
जैसे - लड़के, हमारे, कमरे, नदियां, मिठाईयां।
किसी शब्द के अन्तिम व्यंजन पर जो मात्रा हो वही उसका कारान्तर होता है जैसे
रमा - आकारान्त
अग्नि - इकारान्त
पितृ -ऋकान्तर
(कारक-ने,को,से,में पर,...)परसरग रहीत होने पर आकारान्त(रमा,चाचा,माता) शब्दों को छोड़ कर शेष शब्दों का एकवचन व बहुवचन समान रहेगा।
जैसे -अतिथि, हाथी, साधु, जन्तु, बालक, फूल, शेर, पति, मोती, शत्रु, भालू, आलू, चाक।
स्टील, पानी, दूध, सोना, चाँदी, लोहा, आग, तेल, घी, सत्य, झूठ, जनता, आकाश,मिठास, प्रेम, क्रोध, क्षमा, मोह, सामान, ताश, सहायता, वर्षा, जल।
होश,आँसू, आदरणीय, व्यक्ति हेतु प्रयुक्त शब्द आप,दर्शन, भाग्य, दाम, हस्ताक्षर, प्राण, समाचार, बाल, लोग, होश, हाल-चाल।
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