विसर्ग(:) + से पहले मुख्यतः 'र्',' ो',' श्',' ष्' ,'स्' का बनेगा(: + सार्थक शब्द), यदि इनके बाद संधि युक्त पद में इनके बाद सार्थक शब्द हो।
निर्विकल्प - निः + विकल्प
निराशा - निर् + आशा - निः + आशा
दुरूह - दुः + ऊह
मनोज - मनः +ज(जन्मा)
पयोद - पयः + द(देने वाला)
दुश्शासन - दुः + शासन
निष्काम - निः + काम
निस्तेज - निः + तेज
(:) विर्सग + के बाद अघोष वर्ण आये तो विर्सग का श्, ष्, स् बनेगा या विर्सग ज्यों का त्यों रहेगा।
विर्सग के बाद घोष वर्ण हो तो विसर्ग कि जगह 'र्' ' ो' बनेगी या: का लोप होगा।
विसर्ग किसी स्वर युक्त व्यंजन के बाद ही होता है। अतः विसर्ग से पहले व्यंजन में जिस स्वर की मात्रा हो विसर्ग से पहले वह स्वर मानें।
संधि नियम का गलत प्रयोग कहां हुआ है।
मनः + कामना - मनोकामना
निः + का - निष्काम
निः + मम - निर्मम
ज्योतिः + मान - ज्योतिर्माण
उत्तर
मनः + कामना - मनःकामना होता है। क्योकि विर्सग के बाद अघोष वर्ण आया है, और मनोकामना अशुद्ध शब्द है।
विसर्ग से पहले अ आ से भिन्न स्वर + बाद में काई घोष वर्ण - तो विसर्ग का र् बनेगा।
निः + नय - निर्णय
दुः + अवस्था - दुरवस्था
दुः + गति - दुर्गति
आशीः + वाद - आशीर्वाद
अन्तः/पुनः/अधः + घोष वर्ण - का र्
अन्तः + गत - अन्तर्गत
पुनः + जन्म - पुनर्जन्म
पुनः + गमन - पुनर्गमन
अन्त + आत्मा - अन्तरात्मा
अधः + ओष्ठ - अधरोष्ठ
विसर्ग (:) से पहले अ + घोष व्यंजन या अ - तो विसर्ग कि जगह ो की मात्रा बनेगी।
जहां विसर्ग की जगह ो कि मात्रा बने वहां वास्तव में विसर्ग का उ बनता है तथा उ पुर्व अ से मिलकर ओ कि मात्रा में बदल जाता है।
निम्न में से विसर्ग का उ किस विकल्प में बना है-
1. निर्जन
2. दुरूपयोग
3. मनोरथ
4. दुःख
उत्तर
मनः + हर - मनोहर
सरः + वर - सरोवर
पयः + धि - पयोधि
मनः + बल - मनोबल
यशः + गान - यशोगान
तमः + गुण - तमोगुण
यशः + बल - यशोबल
अधः + मुख - अधोमुख
तपः + वन - तपोवन
यशः + धरा - यशोधरा
अ: + अ आये तो -(:) विर्सग कि जगह ' ो' तथा अ की जगह 'ऽ' अवग्रह चिन्ह या अ का लोप होता है।
मनः + अवस्था - मनोऽवस्था/मनोवस्था
यशः + अनुकूल - यशोऽनुकूल
तपः + अनुसार - तपोनुसार
अ(:) + अ को छोड़ कोई भी स्वर आये तो विसर्ग का लोप हो जाता है।
अतः + एव - अतएव
मनः + उच्छेद - मनउच्छेद
मनः + उर - मनउर
मनः + ओज - मनओज
इ/उ(:) + र - विसर्ग(:) का लोप तथा विसर्ग से पूर्व हस्व स्वर(इ का ई, उ का ऊ) दिर्घ हो जाता है।
निः + रोग - नीरोग
दुः + राज - दुराज
निः + रन्ध्र - नीरन्ध्र
निः + रस - नीरस
दुः + रम्य - दूरम्य
: + च, छ, श(अघोष, तालव्य वर्ण) -: का श्
: + ट, ठ, ष(मूर्धन्य) -: का ष्
: + त, थ, स(दन्त्य) -: का स्
निः + चल - निश्चल
दुः + शासन - दुश्शासन
धनुः + टंकार - धनुष्टंकार
रामः + षष्ठ - रामष्षष्ठ
चतुः + टीका - चतुष्टीका
निः + तेज - निस्तेज
मनः + ताप - मनस्ताप
निः + संदेह - निस्संदेह/निःसंदेह
अ/आ (:) + क, ख, प, फ -: का स् या: ज्यों का त्यों रहेगा।
नमः + कार - नमस्कार
पुरः + कृत - पुरस्कृत
तिरः + कार - तिरस्कार
अधः + पतन - अघःपतन
पयः + पान - पयःपान
तपः + पूत - तपःपूत
रजः + कण - रजःकण
यशः + कामना - यशःकामना
मनः + कामना - मनःकामना
अ/आ से भिन्न + क, ख, प, फ -: का ष् या: ज्यों का त्यों रहेगा।
निः + काम - निष्काम
दुः + प्रभाव - दुष्प्रभाव
दुः + कर - दुष्कर
आविः + कृत - आविष्कृत
दुः + ख - दुःख
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