विराम शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है ठहराव। एक व्यक्ति अपनी बात कहने के लिए उसे समझाने के लिए, किसी कथन पर बल देने के लिए आश्चर्य आदि भावों की अभिव्यक्ति के लिए, कहीं कम समय के लिए तो कहीं अधिक समय के लिए ठहरता है। भाषा के लिखित रूप में उक्त ठहरने के स्थान पर जो निश्चित संकेत चिन्ह लगाए जाते हैं उन्हें विराम चिन्ह कहते हैं।
विराम चिन्ह के प्रयोग से भाषा में अधिक स्पष्टता आती है और भाव समझने में सुविधा होती है। जैसे -
उदाहरण से स्पष्ट है कि विराम चिन्ह के प्रयोग से अर्थ परिवर्तन हो जाता है।
हिन्दी में निम्न विराम चिन्ह प्रयुक्त होते हैं -
(i)वाक्य के भीतर एक ही प्रकार के शब्दों को अलग करने, वाक्य के उपवाक्यों को अलग करने या दो उपवाक्यों के बीच संयोजक का प्रयोग न किये जाने की स्थिति में अल्प विराम का प्रयोग किया जाता है।
जैसे -
राम ने आम, सेब, केले आदि खरीदे।
हवा चली, पानी बरसा और ओले गिरे।
मोहन ने सोचा, अच्छा हुआ आज बरसात नहीं हुई।
(ii)उद्धरण चिन्ह के पूर्व, समय सूचक शब्दों को अलग करने और कभी-कभी सम्बोधन के बाद अल्प विराम का प्रयोग किया जाता है।
जैसे -
उसने कहा, मैं तुम्हारा मित्र हूं।
कल सोमवार, दिनांक 1 जुलाई से विद्यालय प्रारंभ हो रहे हैं।
राजेश, तुम आज कहां थे।
(i)वाक्य के ऐसे उपवाक्यों को अलग करने के लिए जिनके भीतर अल्प विराम या अल्प विरामों का प्रयोग हुआ है।
जैसे -
राम, मोहन, सुरेश आदि अच्छे लड़के हैं; दूसरी ओर राजेश, विकास, मनोज आदि का स्वभाव बुरा है।
(ii)मिश्र तथा संयुक्त वाक्य में विपरीत अर्थ प्रकट करने या विरोध पूर्ण कथन प्रकट करने वाले उपवाक्यों के बीच में।
जैसे -
राम तो अच्छा लड़का है; किन्तु उसकी संगत कुछ ठीक नहीं है।
(iii)विभिन्न उपवाक्यों पर अधिक जोर देने के लिए
जैसे -
मेहनत ही जीवन है; आलस्य ही मृत्यु।
समानधिकरण उपवाक्यों के बीच जब कोई संयोजक चिन्ह न हो।
जैसे -
छोटा सवाल : बड़ा सवाल
(i)साधारण, मिश्र या संयुक्त वाक्य की समाप्ति पर।
जैसे -
राम पढ़ता, तो अवश्य उत्तीर्ण होता।
(ii)अप्रत्यक्ष प्रश्नवाचक वाक्य के अन्त में।
जैसे -
उसने बताया नहीं कि वह कहां जा रहा है।
(iii)काव्य में दोहा, चौपाई, सोरठा के चरणों के अन्त में।
रघुकुल रीति सदा चलि आई,
प्राण जाय पर वचन न जाई।
(i)प्रश्न सूचक वाक्यों के अन्त में।
जैसे -
तुम कहां रहते हो ?
(ii)एक ही वाक्य में कई प्रश्नवाचक उपवाक्य हों और सभी एक ही प्रधान उपवाक्य पर आश्रित हों, तब प्रत्येक उपवाक्य के अन्त में अल्पविराम का प्रयोग करने के बाद सबसे अंत में।
जैसे -
गोंविंद क्या करता है, कहां जाता है, कहां रहता है, यह तुम क्यों जानने के इच्छुक हो ?
सम्बोधक/विस्मय सूचक चिन्ह (!)
(i)जब किसी को पुकारा या बुलाया जाता है।
जैसे -
मोहन ! इधर आओ।
(ii)हर्ष, शोक, भय, विस्मय आदि भावों के लिए।
हाय ! यह क्या हो गया।
जब किसी कथन को ज्यों का त्यों उद्धत किया जाता है तो उस कथन के दोनों ओर इसका प्रयोग किया जाता है।
अवतरण चिन्ह दो प्रकार के होते हैं -
इकहरा ‘ ’ :- जब किसी कवि का उपनाम, पुस्तक का नाम, पत्र पत्रिका का नाम, लेख या कविता का शीर्षक आदि का उल्लेख करना हो।
जैसे -
रामधारीसिंह ‘दिनकर’ ओज के कवि हैं।
‘राम चरित मानस’ के रचयिता तुलसीदास हैं।
दोहरा ‘‘ ’’ :- वाक्यांश का उद्धत करते समय।
जैसे -
‘‘स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’’ - तिलक ने कहा
(i)दो शब्दों को जोड़ने के लिए तथा द्वन्द्व एवं तत्पुरूष समास में।
जैसे -
सुख-दुख, माता-पिता
(ii)पुनरूक्त शब्दों के बीच में।
जैसे -
डाल-डाल, धीरे-धीरे
(iii)तुलनावाचक सा, सी, से के पहले
भरत-सा भाई, यशोदा-सी माता
अक्षरों में लिखी जाने वाली संख्याओं और उनके अंशों के बीच।
जैसे -
एक-तिहाई, एक-चौथाई।
नाटकों के संवादों में
जैसे -
पहला पात्र -- दुष्ट ठहर जा।
दुसरा पात्र -- हा, हा, हा
किसी कही हुई बात को स्पष्ट करने या उसका विवरण प्रस्तुत करने के लिए वाक्य के अन्त में प्रयोग होता है।
जैसे -
निम्न शब्दों की व्याख्या कीजिए:- सर्वनाम, विशेषण
लिखते समय यदि कुछ लिखने में रह जाता है तब इस चिन्ह का प्रयोग कर उसके ऊपर उस शब्द या वाक्यांश को लिख दिया जाता है।
जैसे - मुझे आज जाना है।
अजमेर
मुझे आज ^ जाना है।
किसी बड़े शब्द को संक्षिप्त रूप में लिखने हेतु आद्य अक्षर के आगे इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जैसे -
डाॅक्टर कुमार विश्वास = डाॅo कुमार विश्वास
किसी शब्द के समान अर्थ बतलाने, समान मूल्य या मान का बोध कराने हेतु।
भानु = सूर्य, 1 रूपया = 100 पैसे
वाक्य में प्रयुक्त किसी पद का अर्थ स्पष्ट करने या नाटक में पात्र के भावों को प्रकट करने के लिए। कोष्ठक में लिखा शब्द प्रायः विशेेषण होता है और वाक्य का अंग नहीं होता।
‘द ग्रेट बिग लायन’ नामक पुस्तक बाल कौतुक(असाधारण-प्रतिभाशाली शिशु) क्रिसिस नाइट द्वारा चित्रित और लिखी गई है।
राजेश -- (हंस कर) तो आप यहां थे, मुझे लगा आप चले गये।
( ) को लघु कोष्ठक, { } मझला कोष्ठक तथा [ ] को दीर्घ कोष्ठक कहते हैं। हिंदी साहित्य लेखन में लघु कोष्ठक ( ) का ही प्रयोग किया जाता है। इनका उपयोग हमेशा जोड़ी में ही होता है।
लिखते समय लेखक कुछ अंश छोड़ देता है तो उस छोड़े हुए अंश के स्थान पर ...... लगा देता है।
जैसे -
तुम्हारा सब काम करूंगा। ....... बोलो, बड़ी मां....
तुम गांव छोड़कर चली तो नहीं जाओगी ? बोलो ......।।
किसी अध्याय या ग्रंथ की समाप्ति पर इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जब दो में से किसी एक को चुनने का विकल्प हो।
जैसे - शाश्वत/सनातन/नित्य
जब ऊपर लिखी किसी बात को ज्यों का ज्यों नीचे लिखना हो तो उसके नीचे पुनः वही न लिखकर इस चिन्ह का प्रयोग करते हैं।
जैसे -
क्रम सं. | दानकर्ता का नाम | दान राशि |
---|---|---|
1 | राम | 100 रुपये |
2 | राजेश | „ |
3 | विश्वास | „ |
4 | आकाश | 50 रुपये |
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