वे शब्द, जिनके द्वारा किसी कार्य का करना या होना पाया जाता है, उन्हें क्रिया पद कहते हैं।
जैसे - खाना, पिना, हँसना, बोलना।
कर्म के आधार पर क्रिया के मुख्यतः दो भेद हैं
वे क्रिया जिनको करने के लिए कर्म की आवश्यकता नहीं होती अकर्मक क्रिया कहलाती है।
जैसे - पक्षी उड़ता है।, बच्चा रोता है।, राधा नाचती है।, हवा चलती है।
वे क्रिया जिनको करने के लिए कर्म की आवश्यकता होती है सकर्मक क्रिया कहलाती है।
जैसे - लड़का पढ़ता है।, मोहन खाना बना रहा है।, बच्चे टि.वी. देख रहे हैं।
जिन वाक्यों में क्रिया करने के लिए कर्म की आवश्यकता होती है। जैसे खाना बनाने के लिए खाने की आवश्यकता है। पढ़ने के लिए किताब की आवयकता है।
जिन वाक्यों में क्या,किसको आदि से प्रश्न करने पर संतोष जनक उत्तर मिल जाये वे क्रियाऐं सकर्मक होती है, तथा उत्तर उस क्रिया का कर्म होता है।
जब वाक्य में क्रिया के साथ एक कर्म प्रयुक्त हो तो उसे एक कर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे - महेश ने फल खरीदे।
कभी कभी वाक्य में दो कर्म होते हैं एक गौण कर्म व दुसरा मुख्य कर्म।
गौण कर्म - यह क्रिया से दुर होता है प्राणि वाचक होता है। तथा विभक्ति सहित होता है।
मुख्य कर्म - यह क्रिया के पास होता है, अप्राणी वाचक होता है, विभक्ति रहित होता है।
जैसे - शीना ने रिना को पुस्तक दी।
यहां रिना गौण कर्म है तथा पुस्तक मुख्य कर्म है।
इसके आधार पर भी क्रिया के निम्न भेद होते हैं-
जब किसी वाक्य में एक ही क्रिया का प्रयोग हुआ हो, उसे सामान्य क्रिया कहते हैं।
जैसे - लड़का पढ़ता है।
जब किसी वाक्य में दो क्रियाएँ प्रयुक्त हुई हों तथा उनमें से एक क्रिया दूसरी क्रिया से पहले सम्पन्न हुई हो तो पहले सम्पन्न होने वाली क्रिया पूर्व कालिक क्रिया कहलाती है।
जैसे - मैं खाना पका कर पढ़ने लगा। यहाँ पढ़ने से पूर्व खाना पकाने का कार्य हो गया अतः पकाना क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाएगी।
वे क्रियाएँ, जिन्हें कत्र्ता स्वयं न करके दूसरों को क्रिया करने के लिए प्रेरित करता है, उन क्रियाओं को प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
जैसे - दुष्यन्त हेमन्त से पत्र लिखवाता है। कविता सविता से पत्र पढ़वाती है।
वे क्रियाएँ, जहाँ कर्म तथा क्रिया दोनों एक ही धातु से बनकर साथ प्रयुक्त होती हैं।
जैसे- हमने खाना खाया।
क्रिया के होने का समय काल कहलाता है।
काल के मुख्यतः तिन भेद होते हैं।
बीते समय का बोध कराने वाली क्रियाऐं भूतकालिक क्रियाऐं कहलाती है।
भूतकाल के मूख्यतः छः भेद है।
(क) सामान्य भूत काल
(ख) आसन्न भूत काल
(ग) पूर्ण भूत काल
(घ) संदिग्ध भूतकाल
(ड़) अपूर्ण भूतकाल
(च) हेतु-हेतुमद् भूतकाल
जब बीते समय का बोध कराने वाली क्रिया का केवल एक शब्द आये तो वहां सामान्य भूत काल होता है।
जैसे - गया, पढ़़ा,लिखी,देखे।
मैनें राजस्थानज्ञान वेब साइट देखी।
सामान्य भूतकाल की क्रिया के अन्त में है, हैं, हो, हूँ आये तो आसन्न भूतकाल होगा।
जैसे - गया है, लिखी है, देखे हैं, गया हूँ।
मैनें राजस्थान पर कहानी लिखी है।
सामान्य भूतकाल की क्रिया के अन्त में था, थे, थी, आ जाये तो पूर्ण भूतकाल होगा।
जैसे - गया था, पढ़ी थी, लिखे थे।
हमने बचपन में खेल खेले थे।
सामान्य भूतकाल के क्रिया के अन्त में होगा, होंगे, होगी आये तो संदिग्ध भूतकाल होता है।
जैसे - गया होगा, पढ़ी होगी, लिखे होंगे।
तुमने किताब पढ़ी होगी।
क्रिया के अन्त में रहा था, रही थी, रहे थे आये तो अपूर्ण भूतकाल होता है।
जैसे - जा रहा था, खा रही थी, हंस रहे थे।
जब मैं वहां से गुजरा तो बच्चे खेल रहे थे।
बीते समय कि एक क्रिया का होना जब बीते समय की दुसरी क्रिया पर आश्रित हो तो वहां हेतु-हेतुमद् भूतकाल होता है।
बरसात होती तो फसलें पक जाती।
वाक्य में फसलें पकना बरसात होने पर आश्रित थी अतः न बरसात हुई और न ही फसलें पकी।
एक महीना और पढ़ता तो चयन हो जाता।
पांच भेद
क्रिया के अन्त में ता है, ती है, ते हैं आये तो सामान्य वर्तमान काल होगा।
जैसे - पढ़ता है, लिखती है, जाते हैं।
मोहन पांचवी कक्षा में पढ़ता है।
क्रिया के अन्त में रहा है, रही है, रहे हैं आये।
जैसे - पढ़ रहा है, लिख रही है, जा रहे हैं।
वह गाना लिख रहा है।
वर्तमान काल की क्रिया के अन्त में होगा, होंगे, होगी आए तो संदिग्ध वर्तमान काल होता है।
जैसे - पढ़ रहा होगा, लिख रही होगी, देख रहे होंगे।
राम किताब लिख रहा होगा।
वर्तमान काल की क्रिया से पहले शायद, संभवत,लगता है, हो सकता है आदि संभावनावाची शब्द आ जाये तो संभावय वर्तमान काल होता है।
लगता है कोई हमारी बातें सुन रहा है।, शायद कोई बाहर खड़ा है।
आज्ञार्थक क्रियाओं का प्रयोग मुख्यतः आज्ञार्थ वर्तमान काल में हि होता है।
जैसे - पढ़,पढ़ो, पढे, पढ़ें, पढुं।
तू लिख।, तुम हंसो।, वह गांव जाए।, वे यहां खेले।, मैं गांव से कब आऊँ ?
आने वाले समय का बोध कराने वाली क्रियाऐं भविष्यत् कालिक क्रियाएंे कहलाती है।
मुख्यतः तीन भेद
(क) सामान्य भविष्यत् काल
(ख) आज्ञार्थ भविष्यत् काल
(ग) संभाव्य भविष्यत् काल
जब क्रिया के अन्त में एगा, एगी, एंगे आये तो सामान्य भविष्यत काल होता है।
जैसे - वह पढ़ेगा, गीता लिखेगी, वे सुनेंगे।
कल वह राजस्थान के बारे में पढ़ेगा।
क्रिया के अन्त में इएगा आये तो आज्ञार्थ भविष्यत् काल होगा।
जैसे - पढिएगा।
इस बात पर विचार करियेगा।
क्रिया के अन्त में ए, एं, ओ, ऊं आये तथा क्रिया से पुर्व संभावनावाची शब्द शायद, संभवत, लगता है, हो सकता है आ जाये तो संभाव्य भविष्यत काल होगा।
संभवत कल पिताजी आये। हो सकता है मोहन बाजार जाये।, शायद में गांव जाऊँ।
जब भविष्यत् काल की एक क्रिया का होना भविष्यत् काल की दुसरी क्रिया पर आश्रित हो तो हेतु-हेतुमद् भविष्यत् काल होता है।
जो परिश्रम करेगा वह सफल होगा।, जैसा कार्य करेंगे वैसा फल मिलेगा।
हेतु-हेतुमद भविष्यत काल को कुछ हि जानकार मानते है लेकिन मुख्यतः भविष्यत काल के केवल तीन भेद होते हैं।
1. राम ने पत्र पढ़ लिया होगा - संदिग्ध भूतकाल
2. राम पत्र पढ़ रहा होगा - संदिग्ध वर्तमान
3. राम गांव से शहर आया है - आसन्न भूतकाल
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