शब्दों का व्यवस्थित रूप जिससे मनुष्य अपने विचारों का आदान प्रदान करता है उसे वाक्य कहते हैं एक सामान्य वाक्य में क्रमशः कर्ता, कर्म और क्रिया होते हैं। वाक्य के मुख्यतः दो अंग माने गये हैं।
वाक्य के अंग
सायना ने एक सिरिज में तीन मैच जीते। वाक्य में उद्धेश्य है।
उत्तर सायना
साधारण वाक्य में कर्ता तथा कर्ता के बारे में जो कुछ कहा जाये वह उद्द्ेश्य कहलाता है।
मुख्य रूप से उद्देश्य कर्ता को कहा जाता है।
शीना भौतिक विज्ञान पढ़ती है।
एक साधारण वाक्य में क्रिया तथा क्रिया से संबंधित पद विधेय कहलाते हैं।
विधेय मुख्य रूप से क्रिया को माना जाता है।
संदिप अंग्रेजी विधालय में भौतिक विज्ञान पढ़ाता है।
वाक्य वर्गीकरण मुख्यतः दो प्रकार से किया जाता है।
1. अर्थ के आधार पर वाक्य - आठ प्रकार
2. रचना के आधार पर वाक्य - तीन भेद
जब वाक्य में क्रिया का सामान्य रूप से होना पाया जाये तो वहां विधान वाचक वाक्य होगा।
जैसे - शीना पढ़ना चाहती है।, सुरेश गांव में रहता है।
जब वाक्य में क्रिया से पहले निषेध वाचक शब्द आयें तो वहां निषेध वाचक वाक्य होता है।
जैसे - मनोज गांव नहीं जायेगा।
संदेह वाचक, संकेत वाचक, इच्छा वाचक, आज्ञा वाचक, प्रश्नवचक तथा विस्मयवाचक वाक्यों की क्रियाओं से पहले न, नहीं आने पर भी वह वाक्य निषेध वाचक नहीं होगा।
जब वाक्य में क्रिया के होने या न होने में संदेह कि स्थित बनी रहे तो उसे संदेह वाचक वाक्य कहते हैं।
संदिग्ध भूतकाल, संभाव्य वर्तमानकाल, संदिग्ध वर्तमानकाल तथा संभाव्य भविष्यतकाल कि क्रियाएं जिन वाक्यों में आयें वे वाक्य संदेह वाचक ही होंगे।
जैसे - उसने पत्र पढ़ा होगा।
लगता है। कोई हमारी बातें सुन रहा रहा है।
संभवतः विक्रम कल आये।
हो सकता है मैं बाजार जाऊं।
जब वाक्य में एक क्रिया का होना दुसरी क्रिया पर आश्रित हो तो उसे संकेत वाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे - जो परिश्रम करेगा वह सफल होगा।
जब वाक्य में कहने वाले कि इच्छा या कामना का बोध हो तो उसे इच्छा वाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे - भगवान तुम्हारा भला करे।
नोट - इच्छा या कामना किसी अन्य से अपने लिए या किसी अन्य के लिए होती है। और यह आवश्यक नहीं कि इच्छा या कामना हमेशा अच्छी ही हो। बुरी इच्छा या कामना भी इच्छा वाचक ही होती है।
जब वाक्य में आदेश या अनुमति दिये जाने का बोध हो तो वहां आज्ञा वाचक वाक्य होता है।
जैसे - तुम अब घर जा सकते हो।
जब वाक्यों से प्रश्न कियेे जाने का बोध होतो वहां प्रश्नवाचक वाक्य होगा।
जैसे - तुम कहां रहते हो ?
जब वाक्य में भय, घृणा, हर्ष, शोक, दुख, खेद, कष्ट, आश्चर्य आदि भावों की अभिव्यक्ति करने वाले शब्द आयें तो वहां विस्मय वाचक वाक्य होगा।
जैसे - उफ! कितनी गर्मी है।
अरे! तुम पास हो गये।
निम्न में से संकेत वाचक वाक्य है-
1. पिता ने पुत्र की और इशारा किया।
2. विक्रम गांव जाना चाहता है।
3. रामू ने गांव की और इशारा किया।
4. इनमें से काई नहीं
उत्तर 4
ये सभी वाक्य विधान वाचक हैं क्योकि इनमें क्रिया सामान्य रूप से हो रही है।
जब वाक्य में एक कर्ता तथा एक ही क्रिया शब्द हो तो उसे सरल वाक्य कहते हैं। दुसरे शब्दों में साधारण वाक्य में एक उद्देश्य तथा एक ही विधेय होता है।
जैसे - रमेश हिन्दी पढ़ता है।
नोट - कभी-2 साधारण वाक्य में उद्देश्य तथा विधेय दोनों का विस्तार इतना अधिक होता है कि साधारण वाक्य को साधारण मानने में भ्रांति उत्पन्न होती है।
जैसे - ओमप्रकारश के छोटे बेटे विक्रम सिहाग पिछले दस वर्षो से हनुमानगढ़ के नोहर तहसील के राजस्थानज्ञान में भूगोल करवा रहें हैं।
आश्रित उपवाक्यों से मिलकर बना वाक्य मिश्रित वाक्य कहलाता है। दुसरे शब्दों में जब एक मुख्य वाक्य के साथ एक या अधिक आश्रित उपवाक्य जुड़े हो तो उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं।
मिश्रित वाक्य की पहचान हेतू आश्रित उपवाक्य का बोध होना अनिवार्य है।
जिनका स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता जो किसी अन्य वाक्य पर आश्रित रहते हैं उन्हें आश्रित उपवाक्य कहते हैं। इनके तीन भेद हैं -
1. संज्ञा उपवाक्य - कि
2. विशेषण उपवाक्य - जो(जैसा), जो के शब्दरूप
3. क्रिया विशेषण उपवाक्य - जब, जहां, यद्यपि क्योकि, यदि, जितना, तब, वहां, उधर, तथापि, इसलिए, ता, उतना।
जैसे - रीना पढ़ रही थी कि जमीन हिलने लगी।
जब जागो तब सवेरा।
जहां रहता हूं वहां घर बन जाता है।
जब दो सरल वाक्य या दो मिश्रित वाक्य समुच्चय बोधक अव्ययों से जुड़े हो तो उन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं।
जैसे - राम पढ़ रहा है और सीता वनवास में है।
मैं रेलवे स्टेशन गया किन्तु रेलगाड़ी जा चुकी थी।
समुच्चय बोधक - और, अथवा या किन्तु, परन्तु लेकिन।
1. कर्तृ वाच्य वक्य
2. कर्म वाच्य वाक्य
3. भाव वाक्य वाक्य
कर्ता - क्रिया को करने वाला(कौन/किसने की जगह उत्तर)
कर्म - जो क्रिया से पूर्व (प्रश्नवाचक किसको/क्या की जगह आये)
किसको की जगह आने वाला गौण कर्म।
जब वाक्य में प्रयुक्त कर्ता के लिंग वचन को बदलने पर क्रिया के लिंग वचन बदल जायें तो वहां कर्तृ वाच्य वाक्य होगा।
कर्ता - क्रिया
परिवर्तन - क्रिया
जैसे - रमेश आलु खाता है।
जब वाक्य में प्रयुक्त कर्म कारक के लिंग वचन बदलने पर क्रिया के लिंग वचन बदल जाये तो वहां कर्म वाच्य वाक्य होता है।
जैसे - मनोज ने उपन्यास पढ़ा।
नोट - कर्म वाक्य में कर्ता के बाद से तथा के द्वारा भी आ जाता है।
राम के द्वारा गणित पढ़ाया गया।
जब वाक्य में प्रयुक्त कर्ता के लिंग वचन बदलने पर क्रिया के लिंग वचन न बदले तथा क्रिया अकर्मक हो तो वहां भाव वाच्य वाक्य होता है।
जैसे - राम के द्वारा हंसा गया।
कर्ता के अनुसार क्रिया बदले - कर्तृ वाच्य
कर्ता के अनुसार क्रिया न बदले(क्या की जगह उत्तर हो) - कर्म वाच्य
कर्ता के अनुसार क्रिया न बदले और क्या की जगह उत्तर न हो - भाव
नोट - ऐसा वाक्य जिसमें कर्ता न दिया हो अर्थात क्रिया करने वाले का उल्लेख न हो तो वहां अपनी कल्पना से कर्ता बनाकर क्रिया से पहले क्या लगाये।
जैसे - पत्र पढ़ा गया - राम के द्वारा पत्र पढ़ा गया।
किसको या क्या में से एक का भी उत्तर मिले तो क्रिया - सकर्मक
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