लिंग शब्द का अर्थ होता है चिह्न या पहचान। व्याकरण के अन्तर्गत लिंग उसे कहते हैं, जिसके द्वारा किसी शब्द के स्त्री या पुरुष जाति का होने का बोध होता है।
लिंग दो प्रकार के होते हैं -
जिसके द्वारा किसी शब्द की पुरुष जाति का बोध होता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं।
जैसे - राम, काला, पहाड़, सोना।
जिसके द्वारा किसी शब्द की स्त्री जाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं।
जैसे - सीमा, अध्यापिका, एकादशी, लता।
लिंग की पहचान शब्दों के व्यवहार से होती है।
जिन शब्दों के अन्त में आँ, एँ लगा सके वो स्त्री लिंग होगा। शेष सभी पुल्लिंग होंगे।
जिन शब्दों के अन्तिम व्यंजन पर बड़े ऊ व बड़ी ई कि मात्रा हो मुख्यतः स्त्री लिंग होते हैं।
पुरूष, मनुष्य,लड़का,कौवा, उल्लू, खटमल,तोता,बाज,सांप,मेंढ़क,गैण्डा,कछुआ,पशु,बैल,कुत्ता।
पर्वतों के नाम, महीनों के नाम, दिनों या वारों के नाम, ग्रहों के नाम, देशों के नाम, वृक्षों के नाम, अनाजों के नाम(अपवाद ज्वार), द्रव पदार्थों के नाम, समय सुचक नाम, देवताओं के नाम,धातुओं के नाम(अपवाद चांदी), समुद्रों के नाम मुख्य रूप से पुल्लिंग में आते हैं। इनके अलावा शरीर के अंगों के नाम भी पुल्लिंग में आते है लेकिन कुछ अपवाद स्वरूप(ठुडी, कोहनी, जीभ,गर्दन,अंगुली) भी हैं।
जैसे - भारत, सूर्य, सोना, नीम, बाजरा, पीतल, सोमवार, चैत्र, जुन, हिमालय।
भाषाओं, बोलियों, लिपियों, तिथियों,नदियों,देवियों, महिलाओं के नाम, लताओं के नाम मुख्य रूप से स्त्रीलिंग में आते हैं।
जैसे - गंगा, देवनागरी, हिन्दी, एकादशी, दुर्गा, सीता, अमर बेल।
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