प्रावधान - अनुच्छेद 124 - 147
भारत में एकीकृत न्याय व्यवस्था
सर्वप्रथम - 1773 में ऐग्यूलेटिंग एक्ट में कोलकत्ता में एस. सी.(सुप्रिम कोर्ट) की स्थापना।
सघीय/फेडरल(फेडरल शब्द 26 जनवरी 1950 को हटा दिया गया) न्यायलय का प्रावधान - 1935 के भारत शासन अधिनियम ।
अनुच्छेद - 124 सर्वोच्च न्यायालय का गठन।
अनुच्छेद 124(4) न्यायाधीशों को कार्यकाल से पूर्व हटानेे का प्रावधान(महावियोग)।
कारण - सिद्घकदाचार और अक्षयता।
अनुच्छेद - 126 कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रावधान।
अनुच्छेद - 127 तदर्थ न्यायधीश की नियुक्ति का प्रावधान।
अनुच्छेद - 130 मुख्यलाय - नई दिल्ली।
अनुच्छेद - 129 अभिलेख/रिकार्डड न्यायलय/अवमानना का दण्ड देने की शक्ति।
अनुच्छेद - 131 प्रराम्भिक क्षेत्राधिकरण की शक्ति।
एक या एक से अधिक राज्यों या एक राज्य व राज्यों व भारत सरकार के मध्य कोई विवाद पर फैसला एस. सी. करेगी।
अनुच्छेद - 132 अपीलय क्षेत्राधिकार।
अनुच्छेद - 133 दीवानी मामलों में अपील का अधिकार।
अनुच्छेद - 134 फौजदारी मामलों में अपील का अधिकार।
अनुच्छेद - 135 सैन्य मामलों मं अपील का अधिकार।
अनुच्छेद - 136 विशेष अपीेल का अधिकार।
अनुच्छेद - 137 न्यायिक पूनावलोकन की शक्ति।
अनुच्छेद - 141 सुप्रिम कोट के सभी निर्णय सम्पुर्ण भारत में मान्य होंगे।
अनुच्छेद - 143 राष्ट्रपति का सुप्रिम कोट से परामर्श लेने का अधिकार।
पहले मुख्य न्यायधीश - हीरा लाल जे कानिया।
सर्वाधिक कार्यकाल - वी. वी. चन्द चूड(7 वर्ष)।
पहली महिला न्यायधीश - फातिमा बीबी।
वर्तमान में - डॉ० न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़(50 वें मुख्य न्यायाधीश, 10 नवंबर 2024 तक)।
अनुच्छेद - 125 भारत के वेतन व भत्ते भारत की संचित नीति पर आधारित।
संसद ने सर्वोच्च न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की संख्या 31 से बढ़ाकर 34 कर दी है।
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