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लोक सेवा आयोग भाग - 14 अनुच्छेद 308-23

संघ लोक सेवा आयोग(UPSC)

1919 के अधिनियम में प्रावधान

1923 फर्नहमली कमीशन की सिफारिश पर 1926 से कार्यरत प्रथम अध्यक्ष - सर रोस बार्कर।

1935 में नाम - फेडरल लोक सेवा आयोग(FPSC)

1950 में नाम - .UPSC

प्रथम अध्यक्ष - एच. के. कृपलानी।

अनुच्छेद 315 में गठन का प्रावधान

अनुच्छेद 316 - नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा

अनुच्छेद 317 - अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल - 6/65 वर्ष जो भी पहले हो।

वर्तमान में 1(अध्यक्ष)$10(सदस्य) = 11 सदस्य हो।

वर्तमान अध्यक्ष - प्रो. डेविड आर. सिम्लिह।

त्याग पत्र - सभी राष्ट्रपति को।

शपथ - राष्ट्रपति द्वारा।

वेतन - 90,000 मात्र।

कार्यकाल से पूर्व - सुप्रिम कोर्ट की सिफारिश पर राष्ट्रपति हटा सकता है।

अनुच्छेद 320 - कार्य एवं शक्तियां

अखिल भारतीय केन्द्रिय तथा अन्य सेवाओं की भर्ती परिक्षा आयोजित करवाता है।

ऐसी सेवाओं के पदाधिकारीयों का एक सेवा से दुसरी सेवा में अन्तरण करने की सिफारिश करना।

सेवा के बीच में आकस्मिक अव्यवस्था होने पर जैसे मृत्यु, विकलांगता आदि में उसके परिलाभों को आश्रितों को देने की सिफारिश करना।

नोट

एक या एक से अधिक राज्यों का संयुक्त लोक सेवा अयोग के सदस्यों की नियुक्ति व त्याग पत्र राष्ट्रपति द्वारा।

राजस्थान लोक सेवा आयोग(RPSC)

1935 के अधिनियम में प्रावधान

स्थापना - अगस्त 1949 जयपुर में।

1956 में सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर स्थानान्तरण अजमेर।

अनुच्छेद 316 - अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा

कार्यकाल - 62/6 वर्ष जो भी पहले हो ।

कार्यकाल से पुर्व हटाने का अधिकार - राज्यपाल, अध्यक्ष या सदस्यों को निलंबित कर सकता है। परन्तु राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों को हटाने की शक्ति राष्ट्रपति में निहित है। (अनुच्छेद 317)।

प्रथम अध्यक्ष - एस. के घोष।

वर्तमान - 1(अध्यक्ष)+7(सदस्य)।

कार्य एवं शक्तियां

राज्य लोक सेवाओं की भर्ती प्रक्रिया को सम्पादित करना परिक्षा का अयोजन एवं साक्षात्कार(320) प्रथम।

राज्य सरकार को ऐसे मामलों में सलाह देना जो राज्यपाल आयोग को सौंपे।

(321) ऐसे कार्य जो विधानमण्डल सौंपे।

अपने कार्य का वार्षिक प्रतिवेदन राज्यपाल को देना।

कुछ वर्गों के सम्बन्ध में विशेष उपबन्ध -

अनुच्छेद 330 के अनुसार लोकसभा में अनुसुचित जातियों और जन जातियों के लिए स्थानों का आरक्षण किया गया है।

लोकसभा में दो आंग्ल भारतीयों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है(अनुच्छेद 331)।

अनुच्छेद 332 और 333 में राज्य विधान सभाओं में अनुसुचित जाति, अनुसुचित जनजाति के आरक्षण की तथा एक आंग्ल भारतिय के प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की गयी है।

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