आर.टी.आई. अधिनियम, 2005 की धारा 12 के प्रावधानों के अंतर्गत केंद्रीय सरकार, केन्द्रीय सूचना आयोग के नाम से ज्ञात एक निकाय का गठन करेगी।
केन्द्रीय सूचना आयोग मुख्य सूचना आयुक्त (सी.आई.सी.) और 10 से अनधिक उतनी संख्या में केंद्रीय सूचना आयुक्त, जितने जरूरी समझे जाएं, से मिलकर बनेगा।
पद की शपथ, प्रथम अनुसूची में विहित प्रपत्र के अनुसार भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिलाया जाएगा। आयोग का मुख्यालय दिल्ली में होगा। केन्द्रीय सरकार के अनुमोदन से अन्य कार्यालय देश के अन्य भागों में स्थापित किए जा सकते हैं।
आयोग अपनी शक्तियों का प्रयोग किसी अन्य प्राधिकारी के निदेशों के अधीन रहे बिना करेगा। (धारा 12)
सरकार ने सुधीर भार्गव को नया मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्त किया है। भार्गव पहले केंद्रीय सूचना आयुक्त थे। केंद्रीय सूचना अयोग में मुख्य सूचना आयुक्त समेत 11 पद सृजित हैं।
आर.टी.आई. अधिनियम, 2005 की धारा 12(3) में निम्नलिखित का प्रावधान है:
(i) प्रधानमंत्री, जो समिति का अध्यक्ष होगा;
(ii) लोक सभा में विपक्ष का नेता; और
(iii) प्रधानमंत्री द्वारा नामनिर्दिष्ट संघ का एक मंत्री।
आर.टी.आई., 2005 की धारा 12(5) प्रावधान करता है कि मुख्य सूचना आयुक्त / सूचना आयुक्त विधि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी समाज सेवा, प्रबंध, पत्रकारिता, जनसंपर्क माध्यम, या प्रशासन तथा शासन का व्यापक ज्ञान और अनुभव रखने वाले जन जीवन में प्रख्यात व्यक्ति होंगे।
आर.टी.आई., 2005 की धारा 12(6) प्रावधान करता है कि मुख्य सूचना आयुक्त या कोई सूचना आयुक्त यथास्थिति, संसद का सदस्य या किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र के विधान-मंडल का सदस्य नहीं होगा, या कोई अन्य लाभ का पद धारित नहीं करेगा या किसी राजनितिक दल से संबद्ध नहीं होगा अथवा कोई कारोबार नहीं करेगा या कोई वृति नहीं करेगा।
आर.टी.आई., 2005 की धारा 13 प्रावधान करता है कि मुख्य सूचना आयुक्त, उस तारीख से, जिसको वह अपना पद ग्रहण करता है, पांच वर्ष के लिए पद धारण करेगा और पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होगा।
आर.टी.आई., 2005 की धारा 13(5)(a) प्रावधान करता है कि मुख्य सूचना आयुक्त को संदेय वेतन और भत्ते तथा सेवा के अन्य निबंधन और शर्तें मुख्य निर्वाचन आयुक्त के सामान होगा।
आर.टी.आई., 2005 की धारा 13(2) प्रावधान करता है कि सूचना आयुक्त, उस तारीख से, जिसको वह अपना पद ग्रहण करता है, पांच वर्ष के लिए पद धारण करेगा और सूचना आयुक्त के रूप में पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होगा।
परन्तु, प्रत्येक सूचना आयुक्त इसके उपधारा के अंतर्गत अपना पद रिक्त करते हुए, आर.टी.आई., 2005 की धारा 12 की उपधारा (3) में अधिकथित रीति से, मुख्य सूचना आयुक्त के रूप नियुक्ति का पात्र होगा।
परन्तु यह और कि जहां सूचना आयुक्त, मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता है, उसकी पदावधि सूचना आयुक्त और मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में उसके पदावधि को शामिल करते हुए, कुल पांच वर्ष से अधिक नहीं होगी। आर.टी.आई., 2005 की धारा 13(5)(b) प्रावधान करता है कि सूचना आयुक्त को संदेय वेतन और भत्ते तथा सेवा के अन्य निबंधन और शर्तें मुख्य एक निर्वाचन आयुक्त के सामान होगी।
सूचना का अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है, जो 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ। यह कानून भारत के सभी नागरिकों को सरकारी फाइलों/रिकॉडर्स में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार देता है। जम्मू एवं कश्मीर को छोड़ कर भारत के सभी भागों में यह अधिनियम लागू है। सरकार के संचालन और अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन के मद में खर्च होने वाली रकम का प्रबंध भी हमारे-आपके द्वारा दिए गए करों से ही किया जाता है। यहां तक कि एक रिक्शा चलाने वाला भी जब बाज़ार से कुछ खरीदता है तो वह बिक्री कर, उत्पाद शुल्क इत्यादि के रूप में टैक्स देता है। इसलिए हम सभी को यह जानने का अधिकार है कि उस धन को किस प्रकार खर्च किया जा रहा है। यह हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है
सभी इकाइयों/विभागों, जो संविधान या अन्य कानूनों या किसी सरकारी अधिसूचना के अधीन बने हैं अथवा सरकार द्वारा नियंत्रित या वित्तपोषित किए जाते हों, वहां से संबंधित सूचना मांगी जा सकती है।
इस कानून के तहत प्रत्येक सरकारी विभाग में जन/लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) के पद का प्रावधान है। आरटीआई आवेदन इनके पास जमा करना होता है। आवेदन के साथ केंद्र सरकार के विभागों के लिए 10 रुपये का आवेदन शुल्क देना पड़ता है। हालांकि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग शुल्क निर्धारित हैं। सूचना पाने के लिए 2 रुपये प्रति सूचना पृष्ठ केंद्र सरकार के विभागों के लिए देने पड़ते हैं। यह शुल्क विभिन्न राज्यों के लिए अलग-अलग है। आवेदन शुल्क नकद, डीडी, बैंकर चेक या पोस्टल आर्डर के माध्यम से जमा किया जा सकता है। कुछ राज्यों में आप कोर्ट फीस टिकटें खरीद सकते हैं और अपनी अर्ज़ी पर चिपका सकते हैं। ऐसा करने पर आपका शुल्क जमा माना जाएगा। आप तब अपनी अर्ज़ी स्वयं या डाक से जमा करा सकते हैं।
केंद्र सरकार के विभागों के लिए कोई निर्धारित प्रारूप नहीं है। आप एक सादे कागज़ पर एक सामान्य अर्ज़ी की तरह ही आवेदन बना सकते हैं और इसे पीआईओ के पास स्वयं या डाक द्वारा जमा कर सकते हैं। (अपने आवेदन की एक प्रति अपने पास निजी संदर्भ के लिए अवश्य रखें)
पीआईओ को आवेदन देने के 30 दिनों के भीतर सूचना मिल जानी चाहिए। यदि आवेदन सहायक पीआईओ को दिया गया है तो सूचना 35 दिनों के भीतर मिल जानी चाहिए।
यदि सूचना न मिले या प्राप्त सूचना से आप संतुष्ट न हों तो अपीलीय अधिकारी के पास सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद 19(1) के तहत एक अपील दायर की जा सकती है। हर विभाग में प्रथम अपीलीय अधिकारी होता है। सूचना प्राप्ति के 30 दिनों और आरटीआई अर्जी दाखिल करने के 60 दिनों के भीतर आप प्रथम अपील दायर कर सकते हैं।
द्वितीय अपील आरटीआई अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने का अंतिम विकल्प है। द्वितीय अपील सूचना आयोग के पास दायर की जा सकती है। केंद्र सरकार के विभागों के विरुद्ध केंद्रीय सूचना आयोग है और राज्य सरकार के विभागों के विरुद्ध राज्य सूचना आयोग। प्रथम अपील के निष्पादन के 90 दिनों के भीतर या उस तारीख के 90 दिनों के भीतर कि जब तक प्रथम अपील निष्पादित होनी थी, द्वितीय अपील दायर की जा सकती है। अगर राज्य सूचना आयोग में जाने पर भी सूचना नहीं मिले तो एक और स्मरणपत्र राज्य सूचना आयोग में भेज सकते हैं। यदि फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है तो आप इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जा सकते हैं।
प्रत्येक सरकारी विभाग में जन सूचना अधिकारी (पीआईओ - PIO ) का पद होता है। आपको अपनी अर्जी उसके पास दाख़िल करनी होगी। यह उसका उत्तरदायित्व है कि वह उस विभाग के विभिन्न भागों से आप द्वारा मांगी गई जानकारी इकट्ठा करे और आपको प्रदान करे। इसके अलावा कई अधिकारियों को सहायक जन सूचना अधिकारी के पद पर नियुक्त किया जाता है। उनका कार्य जनता से आरटीआई आवेदन लेना और पीआईओ के पास भेजना है।
आप अपनी अर्जी-आवेदन पीआईओ या एपीआईओ के पास जमा कर सकते हैं। केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में 629 डाकघरों को एपीआईओ बनाया गया है। मतलब यह कि आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर आरटीआई काउंटर पर अपना आरटीआई आवेदन और शुल्क जमा करा सकते हैं। वहां आपको एक रसीद भी मिलेगी। यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वह उसे संबंधित पीआईओ के पास भेजे।
ऐसी स्थिति में आप अपना आवेदन डाक द्वारा भेज सकते हैं। इसकी औपचारिक शिक़ायत संबंधित सूचना आयोग को भी अनुच्छेद 18 के तहत करें। सूचना आयुक्त को उस अधिकारी पर 25,000 रुपये का अर्थदंड लगाने का अधिकार है, जिसने आवेदन लेने से मना किया था।
यदि पीआईओ या एपीआईओ का पता लगाने में कठिनाई होती है तो आप आवेदन विभागाध्यक्ष को भेज सकते हैं। विभागाध्यक्ष को वह अर्जी संबंधित पीआईओ के पास भेजनी होगी।
पीआईओ आरटीआई आवेदन लेने से किसी भी परिस्थिति में मना नहीं कर सकता। भले ही वह सूचना उसके विभाग/कार्यक्षेत्र में न आती हो। उसे अर्जी स्वीकार करनी होगी। यदि आवेदन-अर्जी उस पीआईओ से संबंधित न हो तो वह उसे उपायुक्त पीआईओ के पास पांच दिनों के भीतर अनुच्छेद 6(3) के तहत भेज सकता है।
क्या सरकारी दस्तावेज़ गोपनीयता क़ानून 1923 सूचना के अधिकार में बाधा है नहीं। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अनुच्छेद 22 के अनुसार सूचना का अधिकार क़ानून सभी मौजूदा क़ानूनों का स्थान ले लेगा।
एक पीआईओ सूचना देने से मना उन 11 विषयों के लिए कर सकता है, जो सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद आठ में दिए गए हैं। इनमें विदेशी सरकारों से प्राप्त गोपनीय सूचना, देश की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों की दृष्टि से हानिकारक सूचना, विधायिका के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने वाली सूचनाएं आदि। सूचना का अधिकार अधिनियम की दूसरी अनुसूची में उन 18 अभिकरणों की सूची दी गई है, जिन पर यह लागू नहीं होता। हालांकि उन्हें भी वे सूचनाएं देनी होंगी, जो भ्रष्टाचार के आरोपों और मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़ी हों।
प्रथम अपील/द्वितीय अपील की कोई फीस नहीं है। हालांकि कुछ राज्य सरकारों ने फीस का प्रावधान किया है। विभिन्न राज्यों में सूचना शुल्क/अपील शुल्क का प्रारूप अलग-अलग है।कहीं आवेदन के लिए शुल्क 10 रुपये है तो कहीं 50 रुपये। इसी तरह दस्तावेजों की फोटोकॉपी के लिए कहीं 2 रुपये तो कहीं 5 रुपये लिए जाते हैं।
फाइलों की टिप्पणियां (फाइल नोटिंग) सरकारी फाइल का अभिन्न हिस्सा हैं और इस अधिनियम के तहत सार्वजनिक की जा सकती हैं। केंद्रीय सूचना आयोग ने 31 जनवरी 2006 के अपने एक आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है।
बिल्कुल नहीं। कोई कारण या अन्य सूचना केवल संपर्क विवरण (नाम, पता, फोन नंबर) के अतिरिक्त देने की ज़रूरत नहीं है। सूचना क़ानून स्पष्टतः कहता है कि प्रार्थी से संपर्क विवरण के अतिरिक्त कुछ नहीं पूछा जाएगा।
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