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10 August 2024

सरकार ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर वर्तमान स्थिति की निगरानी के लिए एक समिति का किया गठन

भारत सरकार ने भारत-बांग्लादेश सीमा (IBB) पर वर्तमान स्थिति की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया है। समिति, बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों और अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश के समकक्ष अधिकारियों के साथ संपर्क बनाए रखेगी। गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय के अनुसार अपर महानिदेशक (एडीजी), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), पूर्वी कंमाड, इस समिति के अध्यक्ष होंगे। समिति के अन्य सदस्यों में महानिरीक्षक (आईजी), बीएसएफ फ्रंटियर मुख्यालय दक्षिण बंगाल, महानिरीक्षक (आईजी), बीएसएफ फ्रंटियर मुख्यालय त्रिपुरा, सदस्य (योजना और विकास), भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (LPAI) और सचिव, LPAI शामिल होंगे।

भारतीय मानक ब्यूरो ने आयुष क्षेत्र में मानकीकरण के लिए विभाग का किया गठन

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने आयुष क्षेत्र में मानकीकरण के लिए विभागों का गठन किया है। ये नया विभाग आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों को शामिल करते हुए आयुष उत्पादों और कार्य प्रणालियों की सुरक्षा, प्रभावकारिता और गुणवत्ता को प्रोत्‍साहन देने पर केंदित है। केंद्रीय उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में बताया कि बीआईएस ने आयुष क्षेत्र में मानकीकरण के लिए विभागों का गठन किया है। बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा कि प्रसिद्ध विशेषज्ञों के नेतृत्व में आयुष विभाग ने सात अनुभागीय समितियों का गठन किया है, जिनमें से प्रत्येक एक विशिष्ट आयुष प्रणाली की देख-रेख करती है।

बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली

हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ने और भागने के लिए मजबूर होने के तीन दिन बाद बांग्लादेश के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस ने गुरुवार को देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली। छात्र प्रदर्शनकारियों ने इस भूमिका के लिए 84 वर्षीय यूनुस की सिफारिश की थी और वह गुरुवार को पेरिस से ढाका लौटे, जहां उनका इलाज चल रहा था।

आयुर्वेद अनुसंधान एवं शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान और एमिटी विश्वविद्यालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए

शिक्षा, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी पर सहयोग करने के लिए अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), नई दिल्ली और एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा के बीच आज एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। समझौता ज्ञापन पर एआईआईए की निदेशक प्रो. तनुजा नेसरी और एमिटी विश्वविद्यालय की संयुक्त कुलसचिव आशा प्रेमनाथ ने हस्ताक्षर किए। यह एमओयू एमिटी विश्वविद्यालय के साथ चल रहे पांच वर्ष के समझौते को आगे बढ़ाता है। एमओयू पर एमिटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. अतुल चौहान की अगुवाई में और आयुष मंत्रालय, केंद्र सरकार के तत्वावधान में हस्ताक्षर किए गए। इस एमओयू का उद्देश्य सहयोगात्मक शिक्षा कार्यक्रमों, प्रकाशनों, क्षमता-निर्माण तथा संयुक्त क्षमता-निर्माण परियोजनाओं को बढ़ावा देना है। इसमें क्षमता निर्माण तथा आजीवन सीखने के माध्यम से अकादमिक उत्कृष्टता, प्रौद्योगिक उन्नति तथा अत्याधुनिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देना शामिल है। यह एमओयू अकादमिक, शोध तथा प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए छात्रों तथा शिक्षकों के आदान-प्रदान को और आसान बनाएगा।

ISRO 55वें स्थापना दिवस पर रिमोट सेंसिंग ईओएस 8 सैटेलाइट लॉन्च करेगा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने 55वें स्थापना दिवस पर 15 अगस्त 2024 को पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-08 (ईओएस -08) प्रक्षेपित करेगा। इसरो का गठन 15 अगस्त 1969 को भारत सरकार की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में किया गया था।ईओएस -08 उपग्रह को इसरो के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी)-डी3 द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा। यहाँ, डी का अर्थ विकासात्मक है। उपग्रह को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से प्रक्षेपित किया जाएगा। ईओएस -08 एक रिमोट-सेंसिंग माइक्रो सैटेलाइट है जिसका द्रव्यमान लगभग 175.5 किलोग्राम है। इसे 475 किलोमीटर की ऊंचाई पर सर्कुलर लो-अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में स्थापित किया जाएगा। उपग्रह का जीवन लगभग 1 वर्ष होगा ।इस उपग्रह में उपग्रह-आधारित आपदा निगरानी, ​​पर्यावरण निगरानी, ​​आग का पता लगाने,​​औद्योगिक और बिजली संयंत्र आपदा निगरानी, ज्वालामुखी गतिविधि अवलोकन जैसे अनुप्रयोगों के लिए मिड-वेव और लॉन्ग-वेव इन्फ्रारेड बैंड में दिन और रात दोनों के दौरान छवियों को लेने की क्षमता है।

इटली में पंथ मंदिर की खोज

हाल ही में पुरातत्वविदों ने इटली के टस्कनी में सासो पिनजुटो नेक्रोपोलिस में प्राचीन एट्रस्केन सभ्यता से संबंधित 2,700 वर्ष पुराना एट्रस्केन पंथ मंदिर (या ओइकोस) खोजा है। उन्होंने 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर हेलेनिस्टिक काल (323-31 ईसा पूर्व) तक के 120 से अधिक कक्षीय कब्रों की खोज की। यह मध्य इटली (आठवीं से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व) में तिबर (Tiber) और आर्नो (Arno) नदियों के बीच तथा एपेनिन पर्वतों (Apennine Mountains) के पश्चिम और दक्षिण में फली-फूली। यह सभ्यता, एक साझा भाषा और संस्कृति से एकजुट शहर-राज्यों का एक संघ था, जिसका उत्तरोत्तर रोमन सभ्यता पर बहुत प्रभाव पड़ा।

जैसलमेर किले की दीवारें भारी बारिश के कारण ढह गईं

राजस्थान के ऐतिहासिक जैसलमेर किले की दीवारें भारी बारिश के कारण ढह गईं, जिसके कारण इस यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के बेहतर रखरखाव और संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। उचित रखरखाव के अभाव में दीवारें कमज़ोर होकर ढह गईं। जैसलमेर किला भारत का एकमात्र ‘सक्रिय/जीवंत’ किला है, जहाँ आज भी कई निवासी रहते हैं, जिससे इस किले का रखरखाव उनकी सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण हो जाता है। राजा रावल जैसल द्वारा 1156 ई. में निर्मित इस किले का निर्माण राज्य को आक्रमणों से बचाने के लिये रणनीतिक रूप से किया गया था। यह भारत को मध्य एशिया से जोड़ने वाले सिल्क रूट पर एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था। सूर्य प्रकाश के कारण रंग बदलने वाले पीले बलुआ पत्थर से निर्मित यह किला सुनहरा दिखाई देता है, जिसके कारण इसे "सोनार किला" या "स्वर्ण किला" नाम दिया गया है। किले के रखरखाव के लिये भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ज़िम्मेदार है। चित्तौड़, कुंभलगढ़, रणथंभौर, गागरोन, आमेर और जैसलमेर किलों सहित राजस्थान के पहाड़ी किलों को वर्ष 2013 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था। जैसलमेर किला, चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़ व रणथंभौर किलों के साथ प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक तथा पुरातत्व स्थल एवं अवशेष (राष्ट्रीय महत्त्व की घोषणा) अधिनियम, 1951 के तहत भारत के राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारक के रूप में संरक्षित हैं।

श्री बाबा बुड्ढा अमरनाथ की तीर्थयात्रा जम्मू-कश्मीर में शुरू

जम्मू-कश्मीर में पुंछ जिले की लोरान घाटी में श्री बाबा बुड्ढा अमरनाथ की 10 दिवसीय तीर्थयात्रा शुरू हो रही है। 08 अगस्त से शुरू हुई यात्रा का समापन सावन पूर्णिमा यानी 19 अगस्त को रक्षाबंधन के अवसर पर होगा। मान्यता के अनुसार कश्मीर के अनंतनाग में बाबा अमरनाथ की यात्रा बाबा बुड्ढा अमरनाथ के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है। यह जम्मू से 290 किलोमीटर दूर पुलस्ती नदी के किनारे समुद्र तल से 4600 फीट ऊपर स्थित है। स्वामी बुड्ढा अमरनाथ मंदिर राजपुरा मंडी में पीर पांचाल पर्वतमाला की मुख्य पट्टी के बीच स्थित है। 1852 से 1939 के बीच डोगरा शासन के दौरान इसका खूब विकास हुआ।

पेरिस ओलंपिक : समापन समारोह में पीआर श्रीजेश, मनु भाकर होंगे भारतीय दल के ध्वजवाहक

पेरिस ओलंपिक में स्पेन को 2-1 से हराकर कांस्य पदक के साथ अपना अभियान समाप्त करने वाली भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश 11 अगस्त को पेरिस 2024 ओलंपिक के समापन समारोह के दौरान मनु भाकर के साथ भारत के ध्वजवाहक होंगे। 36 वर्षीय श्रीजेश 2021 में टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम के भी सदस्य थे।

विश्व आदिवासी दिवस 2024

विश्व आदिवासी दिवस या विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतरराष्ट्रीय दिवस हर साल 9 अगस्त के दिन मनाया जाता है। यह दिन आदिवासी (Tribal) लोगों की संस्कृति, संभ्यता, उनकी उपलब्धियों और समाज और पर्यावरण में उनके योगदान की सराहना करने का दिन है। आदिवासी लोगों की पर्यावरण के संरक्षण में विशेष भूमिका देखी गई है। 2024 अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस का विषय ‘स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में आदिवासी लोगों के अधिकारों की रक्षा’ है।

नागासाकी दिवस 2024

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के नागासाकी शहर पर हुए विनाशकारी परमाणु बमबारी की याद में हर साल 9 अगस्त को विश्व नागासाकी दिवस मनाया जाता है। विश्व नागासाकी दिवस परमाणु युद्ध के विनाशकारी परिणामों की मार्मिक याद दिलाने के रूप में इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। विश्व नागासाकी दिवस का इतिहास 9 अगस्त 1945 से जुड़ा है, जब हिरोशिमा पर पहली परमाणु बमबारी के ठीक तीन दिन बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने नागासाकी शहर पर “फैट मैन” नामक परमाणु बम गिराया था।

गांधीवादी शोभना रानाडे का 99 वर्ष की आयु में निधन

शोभना रानाडे का 99 वर्ष की आयु में पुणे में निधन भारत के सामाजिक सुधार आंदोलन के एक युग का अंत है। प्रसिद्ध गांधीवादी और पद्म भूषण से सम्मानित रानाडे ने अपना जीवन वंचितों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया, और भारत के सामाजिक परिदृश्य पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। 2011 में, रानाडे को सामाजिक कार्यों के प्रति उनके आजीवन समर्पण को मान्यता देते हुए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

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