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विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन यानी SCO की बैठक में शामिल हुए। SCO को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते। SCO बैठक का आयोजन इस्लामाबाद स्थित जिन्ना कन्वेंशन सेंटर में हुआ। विदेश मंत्री जयशंकर 8 साल 10 महीने बाद पाकिस्तान जाने वाले भारत के पहले नेता हैं। इनसे पहले 25 दिसंबर, 2015 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरप्राइज विजिट पर लाहौर पहुंचे थे। उनके इस दौरे के बाद से भारत के किसी भी प्रधानमंत्री या मंत्री ने पाकिस्तान की यात्रा नहीं की है। 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। तब से दोनों देशों के बीच कोई हाई-लेवल बैठक नहीं हुई है। पाकिस्तान ने 29 अगस्त, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को SCO की मीटिंग में शामिल होने के लिए न्योता दिया था। भारत की SCO चार्टर को लेकर प्रतिबद्धता जयशंकर की यात्रा का कारण है। इससे पहले 3-4 जुलाई, 2024 को कजाकिस्तान में हुए SCO समिट में PM मोदी शामिल नहीं हुए थे। उनकी जगह विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। पिछले साल किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक ने SCO की CHG बैठक होस्ट की थी। इसमें भी PM मोदी नहीं जा पाए थे और उनकी जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए थे। SCO भारत को आतंकवाद से लड़ाई और सिक्योरिटी से जुड़े मुद्दे पर अपनी बात मजबूती से रखने के लिए एक मजबूत मंच उपलब्ध कराता है। SCO की स्थापना 15 जून, 2001 को चीन, रूस और सोवियत संघ का हिस्सा रहे चार मध्य एशियाई देशों कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने मिलकर थी। SCO का उदय रूस, चीन और इन मध्य एशियाई देशों के बीच वर्ष 1996 में सीमा को लेकर हुए एक समझौते के साथ हुआ था। इसे ‘शंघाई फाइव’ समझौता कहा गया। इसके 10 सदस्य देश चीन, रूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत, पाकिस्तान, बेलारूस और ईरान हैं। साल 2017 में भारत तथा पाकिस्तान को इसके सदस्य का दर्जा मिला। इसके अलावा, अफगानिस्तान और मंगोलिया SCO के पर्यवेक्षक देशों में शामिल हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने 16 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही वे इस केंद्र शासित राज्य के पहले सीएम बन गए। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उमर अब्दुल्ला को शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। उमर अब्दुल्ला के अलावा सुरेंद्र चौधरी ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है। इसके अलावा, सकीना इट्टू और जावेद राणा ने भी मंत्री पद की शपथ ली। उल्लेखनीय है कि केंद्र शासित प्रदेश में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए हैं। कांग्रेस पार्टी ने उमर अब्दुल्ला की सरकार को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया है। कांग्रेस नई सरकार में शामिल नहीं होगी। राज्य में 90 सीटों पर हुए चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 और कांग्रेस पार्टी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
देश में वन्य जीव के साथ ही कीट वर्ग समूह के तीतली को बचाने की भी मुहिम चल रही है। इसी क्रम में असम में स्थित काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत का दूसरा तितली विविधता केंद्र बन गया है। इसमें 446 किस्म की तितलियां पाई गई हैं। अरुणाचल प्रदेश के नामदाफा राष्ट्रीय उद्यान देश का पहला तितली विविधता केंद्र है। वर्ष 2007 से इस क्षेत्र में तितलियों का अध्ययन कर रहे डॉ. मानसून ज्योति गोगोई के मुताबिक काजीरंगा अब नामदाफा राष्ट्रीय उद्यान के बाद भारत के संरक्षित क्षेत्रों में तितली प्रजातियों की विविधता में दूसरे स्थान पर है। हिमालय और पटकाई पर्वत शृंखलाओं के बाहर काजीरंगा के स्थान को देखते हुए यह रिकॉर्ड विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में राम राजा की नगरी ओरछा को भी शामिल कर लिया गया है। इस ऐतिहासिक समूह को नामांकित कराने के लिये मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा तैयार कराये गए डोजियर (संकलित दस्तावेज) को केंद्र सरकार ने यूनेस्को की विश्व धरोहर कमेटी को सौंप दिया है। वर्ष 2027-28 के लिये केंद्र द्वारा ओरछा के ऐतिहासिक समूह को विश्व धरोहर स्थल घोषित करने हेतु अनुशंसा की है। पेरिस स्थित यूनेस्को कार्यालय में भारतीय राजदूत विशाल वी शर्मा ने यूनेस्को विश्व विरासत केंद्र के निदेशक लाजारे एलौंडौ असोमो को ओरछा का डोजियर सौंपा है। यूनेस्काे ने ओरक्षा काे विश्व धराेहर सूची में शामिल करने के लिए तैयार डोजियर काे स्वीकार कर लिया है। यूनेस्को की आधिकारिक घोषणा के बाद ओरछा देश की ऐसी एकमात्र विश्व धरोहर स्थली होगी, जो राज्य संरक्षित है। ओरछा का स्थापत्य बुंदेला शासकों द्वारा विकसित किया गया था, जो अद्वितीय स्थापत्य शैली का प्रतीक है, जिसमें महलों, मंदिरों, और किलों का समावेश है।
केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते (DA) में 3% बढ़ोतरी की गई है। 16 अक्टूबर को हुई कैबिनेट मीटिंग में DA बढ़ोतरी पर फैसला हुआ। इसका फायदा करीब 49.18 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 64.89 लाख पेंशनर्स को होगा। DA हर 6 महीने में बढ़ता है। बढ़ा हुआ DA 1 जुलाई से लागू होगा। यानी, कर्मचारियों को 3 महीने का एरियर मिलेगा। महंगाई भत्ता ऐसा पैसा है, जो महंगाई बढ़ने के चलते सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए दिया जाता है। यह पैसा सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को मिलता है। इसका कैलकुलेशन देश की मौजूदा महंगाई के अनुसार हर 6 महीने पर किया जाता है। इसकी गणना संबंधित वेतनमान के आधार पर कर्मचारियों के मूल वेतन के अनुसार की जाती है।
हिमाचल प्रदेश में शिमला के जुन्गा में 16 अक्टूबर से 'फ्लाइंग फेस्टिवल' शुरू हुआ। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने 4 दिन चलने वाली इस चैम्पियनशिप का शुभारंभ किया। 2 दिन बाद रेसलर द ग्रेट खली फ्लाइंग फेस्टिवल में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। इसमें पश्चिम बंगाल की एक महिला पैरा ग्लाइडर भी शामिल होगी। फ्लाइंग फेस्टिवल में स्पॉट लैंडिंग पैरा ग्लाइडिंग चैम्पियनशिप रखी गई है। पायलट सोलो और टीम कैटेगरी में कॉम्पटीशन कर रहे हैं। शिमला में देशी और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के मकसद से दूसरी बार इस चैम्पियनशिप का आयोजन किया जा रहा है। बीते साल भी इंटरनेशनल फ्लाइंग फेस्टिवल का आयोजन जुन्गा में किया जा चुका है। प्रतियोगिता जीतने वाली पैरा ग्लाइडिंग टीम को नगद 5 लाख और सोलो क्लास में फर्स्ट प्राइज जीतने वाले प्रतिभागी को 2.25 लाख रुपए नगद इनाम दिया जाएगा। शिमला 'फ्लाइंग फेस्टिवल' के आयोजनकर्ता और शिमला ग्लाइड इन के प्रबंध निदेशक अरुण रावत हैं।
समर्थ वस्त्र मंत्रालय का एक मांग-संचालित और रोजगार-उन्मुख वृहत कौशल कार्यक्रम है। समर्थ योजना को 3 लाख लोगों को वस्त्र-संबंधी कौशल में प्रशिक्षित करने के लिए 495 करोड़ रुपये के बजट के साथ दो साल (वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26) के लिए और बढ़ा दिया गया है। योजना का उद्देश्य संगठित वस्त्र और संबंधित क्षेत्रों में रोजगार सृजन में उद्योग को प्रोत्साहित करना और उसका समर्थन करना है। इसमें कताई और बुनाई को छोड़कर वस्त्र की पूरी मूल्य श्रृंखला शामिल है। उभरती हुई तकनीक और बाजार की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाया गया है।
2025 में पहली बार भारत में होने जा रहे खो-खो वर्ल्ड कप की मेजबानी दिल्ली करेगा। इस बारे में खो खो फेडरेशन ऑफ इंडिया (केकेएफआई) ने बुधवार को त्यागराज स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में पहली बार आयोजित होने जा रहे खो खो विश्व कप की तारीखों का ऐलान और इसके लोगो का अनावरण किया। भारत के प्राचीनतम खेलों में से एक खो खो के इस विश्व कप का उद्घाटन संस्करण का आयोजन 13 से 19 जनवरी 2025 के बीच नई दिल्ली में होगा। लांच समारोह में टीम महाराष्ट्र और शेष भारत के बीच एक शानदार प्रदर्शनी मैच भी खेला गया, जिसे महाराष्ट्र ने 26-24 से जीता। मैच के बाद विश्व कप के आधिकारिक लोगो और टैगलाइन #TheWorldGoesKho का अनावरण किया गया।
एक असाधारण उपलब्धि में, पुडुचेरी में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) आईपीएस अधिकारी अनीता रॉय राष्ट्रमंडल अंतर्राष्ट्रीय क्लासिक बेंच प्रेस प्रतियोगिता, 2024 में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली पहली आईपीएस अधिकारी बन गई हैं। यह चैंपियनशिप अक्तूबर, 2024 में दक्षिण अफ्रीका के सनसिटी में आयोजित की जाएगी। इसका आयोजन राष्ट्रमंडल पॉवरलिफ्टिंग महासंघ द्वारा किया जाता है तथा यह अंतर्राष्ट्रीय पॉवरलिफ्टिंग महासंघ से संबद्ध है। इसका उद्देश्य राष्ट्रमंडल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाली, नशा मुक्त पॉवरलिफ्टिंग प्रतियोगिताओं को बढ़ावा देना और उन्हें प्रोत्साहित करना है।
एनएसजी को 1984 में कैबिनेट ने गठन करने का निर्णय लिया गया था। 22 सितम्बर 1986 को राष्ट्रपति की सहमति के बाद यह प्रभावी हुआ। इसका गठन देश में आतंकवाद से लड़ने और आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया था। इसे अक्सर “ब्लैक कैट्स” के रूप में भी जाना जाता है, जो उनके काले यूनिफॉर्म के कारण है। तब से NSG ने कई उच्च-स्तरीय आतंकवाद-रोधी और बंधक बचाव अभियानों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
हाल ही में 16 अक्तूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया गया,जिसमें भुखमरी उन्मूलन और लचीली वैश्विक खाद्य प्रणालियों के निर्माण की तत्काल आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया । वर्ष 2024 का विषय है बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिये भोजन का अधिकार। यह दिन 16 अक्तूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की स्थापना का प्रतीक है । विश्व खाद्य दिवस वर्ष 1979 में FAO के 20 वें महाधिवेशन के दौरान अस्तित्व में आया तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1984 में इसका समर्थन किया । भोजन के अधिकार को मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, 1948 द्वारा मान्यता दी गई है।
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