भारत में विद्युत उत्पादन का विकाश 19वीं सदी के अंत में, सन 1897 में दार्जिलिंग में बिजली आपूर्ति की शुरुआत से हुआ। ताप विद्युत, जल विद्युत और अक्षय ऊर्जा के स्रोतों के बाद भारत में परमाणु ऊर्जा बिजली का सबसे बड़ा स्रोत है। भारत में घरेलू यूरेनियम रिजर्व कम है और यूरेनियम आयात पर निर्भर है ताकि परमाणु ऊर्जा उद्योग को बढ़ावा दिया जा सके। इसलिए, 1990 से, रूस भारत के लिए परमाणु ईंधन का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है।
प्रचालन चरण, नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र के जीवनकाल का सबसे लंबा समय होता है। वर्तमान में भारत में कुल 6780 MWe क्षमता के 22 रिएक्टर प्रचालित हैं। इनमें से 18 रिएक्टर पीएचडब्ल्यूआर किस्म के तथा 4 साधारण जल रिएक्टर हैं।
संयंत्र | स्थान |
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कुडनकुलम | तमिलनाडु(कुडनकुलम) |
तारापुर | महाराष्ट्र(बोइसर) |
रावतभाटा | राजस्थान(कोटा) |
कैगा | कर्नाटक(कैगा) |
काकरापार | गुजरात(तापी) |
कलपक्कम | तमिलनाडु(कलपक्कम) |
नरोरा | उत्तर प्रदेश(नरोरा) |
कौववडा(निर्माणाधीन) | आंध्र प्रदेश |
छुटका(निर्माणाधीन) | मध्य प्रदेश(मांडला) |
तारापुर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना अक्टूबर 1969 में हुई थी। 2019 में इसको 50 वर्ष पूरे हुए हैं। तमिलनाडु स्थित देश के सबसे बड़े कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केकेएनपी)की सुरक्षा में इस साल के शुरुआत में सेंध लगाई गई( साइबर अटैक) थी।
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