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भारत के राष्ट्रीय प्रतीक

राष्‍ट्रीय चिन्ह भारतीय पहचान और विरासत का मूलभूत हिस्‍सा हैं। विश्‍व भर में बसे विविध पृष्‍ठभूमियों के भारतीय इन राष्‍ट्रीय प्रतीकों पर गर्व करते हैं क्‍योंकि वे प्रत्‍येक भारतीय के हृदय में गौरव और देश भक्ति की भावना का संचार करते हैं।

भारत के राष्ट्रीय प्रतीक देश की छवि का प्रतिबिंब होते हैं और उन्हें बहुत ध्यान से चुना जाता है। राष्ट्रीय पशु बाघ शक्ति का प्रतीक है। राष्ट्रीय फूल कमल पवित्रता का प्रतीक है। राष्ट्रीय वृक्ष बरगद अमरता का प्रतीक है। राष्ट्रीय पक्षी मोर शिष्टता का प्रतीक है और राष्ट्रीय फल आम भारत की ट्रॅापिकल जलवायु का प्रतीक है। हमारा राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रेरणा का स्रोत रहे हैं। भारत के राष्ट्रीय प्रतीक में एकदूसरे से पीठ के बल जुड़े चार शेर शक्ति, साहस, गर्व और विश्वास का प्रतीक हैं। भारत का राष्ट्रीय खेल चुने जाने के समय हाॅकी अपने चरम पर था।

राजचिह्न

इसमें चार एशियाई शेर एक गोलाकार एबेकस पर पीठ की ओर से जुड़े हैं।

राजचिह्न के निचले हिस्से पर चार छोटे जानवर घोड़े और सांड (दृश्यमान) एवं शेर तथा हाथी (अदृश्य ) हैं ।

राजचिह्न भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था ।

राजचिह्न के नीचे खुदा हुआ सूत्र 'सत्यमेव जयते' मुण्डकोपनिषद से लिया गया है।

राष्ट्रीय गान

भारत का राष्ट्रीय गान रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा मूलतः बंगाली में रचे गए गान का हिन्दी संस्करण है।

पूरे गीत मे पाँच पद है । इसका पहला पद राष्ट्रीय गान का पूर्ण संस्करण हैं । राष्ट्रीय गान के पूर्ण संस्करण की अवधी 52 सेकंड है

राष्ट्रीय गान 'जन गण मन' पहली बार 27 दिसम्बर 1911 मे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था।

यह भारतीय संविधान द्वारा 24 जनवरी 1950 को अपनाया गया था ।

इसका अंग्रेजी प्रतिपादन टैगोर द्वारा दिया गया है ।

राष्ट्रीय गीत

भारत का राष्ट्रीय गीत(पुस्तक आनंद मठ ) बंकिमचंद्र चटर्जी ने संस्कृत में रचा था। यह पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1896 सत्र में गाया गया था।

इसका अंग्रेजी प्रतिपादन श्री अरबिंदो द्वारा दिया गया है । इस राष्ट्रीय गीत ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरणा दी है। शुरुआत में वंदे मातरम भारत का राष्ट्रीय गान था पर आजादी के बाद जन गण मन को भारत का राष्ट्रीय गान बनाया गया।

राष्ट्रीय ध्वज

राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था ।

इसकी लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 2 : 3 है ।

ध्वज के मध्य में पहिए का प्रारूप सारनाथ में अशोक के सिंह स्तंभ पर बने चक्र से लिया गया है ।

ध्वज के मध्य में स्थित पहिए धर्मचक्र में 24 तीलियां हैं ।

राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन ध्वज संहिता, 2002, द्वारा नियंत्रित है जो 26 जनवरी 2002 को लागू हुआ था ।

भारत, ध्वज संहिता 2002 के प्रावधानों के अनुसार, प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम, 1950 तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 और इस विषय पर बने किसी भी अन्य कानून में प्रदान की गई हद को छोड़कर, आम जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों आदि के सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा ।

राष्ट्रीय दिग्दर्शिका (कैलेंडर)

राष्ट्रीय कैलेंडर शक संवत पर आधारित है और इसे 22 मार्च 1957 को अपनाया गया था ।

चैत्र इस कैलेंडर का पहला महिना है । सामान्यता: 1 चैत्र 22 मार्च को होता है और लीप वर्ष में 21 मार्च को ।

राष्ट्रीय कैलेंडर में भी 365/366 दिन होते है ।

चैत्र सामान्य रूप से 30 दिनों का तथा लीप वर्ष 31 दिनों का होता है ।

राष्ट्रीय खेल

भारत का राष्ट्रीय खेल चुने जाने के समय हाॅकी बहुत लोकप्रिय था। सन् 1928-1956 के बीच हाॅकी ने स्वर्णिम युग देखा और भारत ने ओलंपिक में लगातार 6 स्वर्ण पदक जीते थे। हाॅकी को भारत का राष्ट्रीय खेल चुने जाने के समय इसमें बेजोड़ और अतुलनीय प्रतिभाएं थीं। उस समय तक भारत ने 24 ओलंपिक मैच खेले थे और सभी जीते थे।

न कमल है हमारा राष्ट्रीय फूल और न ही हॉकी राष्ट्रीय खेल

सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के तहत एक जवाब में केंद्र सरकार ने चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन किया है कि कमल और हॉकी राष्ट्रीय महत्व से नहीं जुड़े हैं। सरकार का उद्देश्य सभी लोकप्रिय खेलों को बढ़ावा देना है। इसलिए किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल के रूप में घोषित नहीं किया गया है। यह आरटीआइ बिहार के मधुबनी (रामपट्टी) के शिक्षक कृष्ण कुमार ने लगाई थी।

राष्ट्रीय वृक्ष

बरगद(फाइकस बैंगा‍लेंसिस) का पेड़ अपनी हमेशा फैलते रहने वाली शाखाओं के कारण अमरता का प्रतीक है। भारत की एकता इस पेड़ के विशाल और गहरी जड़ों से प्रतिबिंबित होती है। इस पेड़ को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है जिसका अर्थ इच्छाएं पूरी करने वाला वृक्ष होता है। बरगद का पेड़ विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों को आश्रय देता है जो भारत और उसमें रहने वाले विभिन्न धर्मों, जातियों और नस्लों का प्रतीक है।

राष्ट्रीय फूल

भारतीय पौराणिक कथाओं में कमल(निलम्बोा नूसीपेरा गेर्टन) का बहुत महत्व है। यह आश्चर्यजनक तौर पर गंदे पानी में उगता है। इसके लंबे डंठल के शीर्ष पर फूल लगा रहता है। कमल का फूल अशुद्धता से अछूता रहता है। यह पवित्रता, उपलब्धि, लंबे जीवन और अच्छे भाग्य का प्रतीक है।

राष्ट्रीय फल

आम(मेग्नीवफेरा इंडिका) मूलतः भारत का है और पूरी तरह से देशी है। आम प्राचीन काल से भारत में उगता आया है। प्राचीन समय से ही आम की स्वादिष्टता पर कई प्रसिद्ध कवियों ने रचनाएं लिखी हैं।

राष्ट्रीय पक्षी

सन् 1963 में मोर(पावो क्रिस्तातूस) को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था क्योंकि यह पूरी तरह से भारतीय संस्कृति और परंपरा का हिस्सा था। मोर शिष्टता और सुंदरता का प्रतीक है। मोर को राष्ट्रीय पक्षी चुने जाने का एक कारण इसका पूरे देश में पाया जाना भी है।

राष्ट्रीय पशु

बाघ को जंगल का राजा कहा जाता है और यह भारत के समृद्ध वन्य जीवन को दर्शाता है। भारत में बाघों को बचाने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर शुरु किया गया और सन् 1973 में बंगाल टाइगर(पेंथरा टाइग्रिस) को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया। इससे पहले शेर भारत का राष्ट्रीय पशु था।

राष्ट्रीय जलीय जीव

गंगा नदी में पायी जाने वाली डॉल्फिन(प्लेटिनिस्टा गेंगेटिका) भारत की राष्ट्रीय जलीय जीव है। भारत सरकार ने 05 अक्टूबर 2009 , तक किसी भी जलचर को राष्ट्रीय जीव घोषित नहीं किया गया था। 05 अक्टूबर 2009 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई गंगा नदी घाटी प्राधिकरण की एक बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुझाव पर विलुप्त हो रही गंगा डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित करने का फैसला किया गया।

राष्ट्रीय नदी

भारत सरकार द्वारा गंगा नदी को 4 नवम्बर, 2008 को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया। तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (1600 किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है।

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