भारत में कई प्राकृतिक व मानवनिर्मित झीलें पायी जाती है। प्राकृतिक झीलों को कई वर्गो में बांटा गया है।
धरातल के बड़े भाग के धसने या उठने से इनका निर्माण होता है। कश्मीर का वूलर झील(झेलम नदी पर) इसका उदाहरण है। यह भारत की मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है।
तटीय समुद्री जल का कुछ भाग बालू या प्रवाल भित्ति द्वारा मुख्य भूमि से अलग झीलनुमा आकृति बना लेता है। इसे ही लैगून झील कहते हैं। चिल्का सबसे बड़ी लैगून झील है। यह सबसे बड़ी तटीय झील भी है। यहां नौ-सेना का प्रशिक्षण केन्द्र भी है। पुलीकट झील(आंध्रप्रदेश व तमिलनाडु) बेम्बनाद(केरल), अष्ठामुडी(केरल), कोलेरू झील(आन्ध्र प्रदेश) अन्य प्रमुख लैगून झीले हैं।
हिमानी या हिमनद के अपरदन से बनी झीले - राकसताल, नैनीताल, भीमताल, समताल इनके उदाहरण हैं।
हवा द्वारा सतह की मिट्टी को उड़ाकर ले जाने से ऐसी झीलों का निर्माण होता है। इन्हें ‘प्लाया’ झील भी कहते हैं। राजस्थान की सांभर, डीडवाना, पंचभद्रा प्रमुख उदाहरण हैं।
डेल्टाई झीलों का निर्माण डेल्टाई प्रदेशों में कई वितरिकाओं के मध्य छोटी बड़ी झीलों के रूप में होता है। जो प्रायः मीठे जल की होती हैं। उदाहरण - कोलेरू झील।
जम्मू-कश्मीर में स्थित भारत की ‘वृहद्तम ताजे पानी की झील’ है। वूलर झील झेलम नदी पर निर्मित विवर्तनिक(गोखुर) झील का उदाहरण है।
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हिमानी निर्मित ताजे जल की झील।
राजस्थान में मीठे पानी की सबसे बड़ी कृत्रिम झील जयसमंद है। इस झील का निर्माण मेवाड़ के राणा जयसिंह ने गोमती नदी झामरी व बगार नदीयों का पानी रोककर;1687.91द्ध कराया गया। इस झील में छोटे.बडे़ सात टापू है। इनमें सबसे बडे़ टापू का नाम बाबा का भगड़ाध्भकड़ा है और उससे छोटे का नाम प्यारी है। इन टापूओं पर आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते है। जयसंमद झील से उदयपुर जिले को पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। जयसंमद झील को पर्यटन केन्द्र के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। इस झील से श्यामपुरा व भट्टा दो नहरें भी निकाली गई है।
यह भारत की सबसे बड़ी लैगून झील है। यह एक खारे पानी की झील है। रामसर आर्द्र भूमि सूची के अन्तर्गत चिल्का को 1981 में शामिल किया गया। चिल्का झील के अंदर कई छोटे-छोटे द्वीप हैं। जिनमें ‘नालाबाना’ द्वीप प्रमुख है।
यह झील आन्ध्र प्रदेश व तमिलनाडु की सीमा पर स्थित है यह 350 किमी. में फैला एक लैगून झील है इसका 84 प्रतिशत आन्ध्रप्रदेश व 16 प्रतिशत तमिलनाडु की सीमा में स्थित है।
यह मणिपुर के विष्णुपुर जिले में स्थित है यह उत्तर पूर्वी भारत की सबसे बड़ी(300 किमी.) झील है। यह विश्व की एक मात्र झील है जो ‘तैरती झील’ के नाम से प्रसिद्ध है। अपनी उत्पादकता और जैवविविधता के कारण यह झील ‘मणिपुर की जीवन-रेखा’ कहलाती है।
यह झील जयपुर की फुलेरा तहसील में स्थित है। बिजोलिया शिलालेख के अनुसार इसका निर्माण चैहान शासक वासुदेव ने करवाया था। यह भारत में खारे पानी की आन्तरिक सबसे बड़ी झील है इसमें खारी, खण्डेला, मेन्था, रूपनगढ नदियां आकर गिरती है।
यह देश का सबसे बड़ा आन्तरिक स्त्रोत है यहां मार्च से मई माह के मध्य नमक बनाने का कार्य किया जाता है। यहां पर रेशता नमक, क्यार नमक दो विधियों से तैयार होता है। यहां नमक केन्द्र सरकार के उपक्रम "हिन्दुस्तान साॅल्ट लिमिटेड" की सहायक कम्पनी 'सांभर साल्ट लिमिटेड' द्वारा तैयार किया जाता है। भारत के कुल नमक उत्पादन का 8.7 प्रतिशत यहां से उत्पादित होता है।
यह केरल में स्थित एक लैगून झील है। इसे भारत की सबसे लम्बा(96.5 किमी) झील माना जाता है। इस झील के पूर्वी तट पर ‘कुमारकोम पक्षी अभ्यारण’ स्थित है। प्रसिद्ध ‘नेहरू ट्राफी नौकायन प्रतियोगिता’ इस झील में प्रतिवर्ष ओणम पर्व के अवसर पर आयोजित की जाती है। इसी झील में ‘वेलिंगटन द्वीप’ है जहां पर भारत का सबसे छोटा राष्ट्रीय राजमार्ग NH-47A है।
राजस्थान के बाड़मेर जिले के बालोत्तरा के पास स्थित है। इस झील का निर्माण पंचा भील के द्वारा कराया गया अतः इसे पंचभद्रा कहते है। इस झील का नमक समुद्री झील क ेनमक से मिलता जुलता है। इस झील से प्राप्त नमक में 98 प्रतिषत मात्रा सोडियम क्लोराइड है। अतः यहां से प्राप्त नमक उच्च कोटी है। इस झील से प्राचीन समय से ही खारवाल जाति के 400 परिवार मोरली वृक्ष की टहनियों से नमक के (क्रीस्टल) स्फटिक तैयार करते है।
केरल के कोमल जिला स्थित लैगून झील जिसकी 8 शाखाएं हैं। रामसर समझौते द्वारा इसे अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्र भूमि घोषित किया गया है।
यह सिक्किम के उत्तरी भाग में 18,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जो भारत की सबसे ऊंची झील है।
भारत की सबसे बड़ी तटीय झील चिल्का झील(उड़ीसा) है।
भारत की सबसे अधिक खारे पानी की झील सांभर झील(राजस्थान) है।
भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील वूलर झील(ज.क.) है।
गोबिंद बल्लभ पंत सागर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में स्थित है। यह भारत की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है।
भारत की सबसे ऊंचाई पर निर्मित झील चो-ल्हामु झील(सिक्किम) है।
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