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बहमनी साम्राज्य

मुहम्मद बिन तुगलक ने दक्षिण में साम्राज्यवादी नीति का अनुसरण करते हुए दक्षिण के अधिकांश भाग पर अधिकार कर लिया था। मुहम्मद बिन तुगलक ने इनके प्रशासन के लिए ‘अमीरान ए सदह’ नामक अधिकारी नियुक्त किए इन्हें ‘सादी’ भी कहा जाता था। ये अधिकारी राजस्व वसूल करते थे साथ ही सैनिक टुकड़ियों के भी प्रधान होते थे। ये बहुत शक्तिशाली थे।

जब तुगलक शासन के विरूद्ध सर्वत्र विद्रोह प्रारंभ हुआ इसका लाभ उठाकर ‘सादी अमीरों’ ने भी विद्रोह प्रारंभ कर दिए। दौलताबाद में नियुक्त तुगलक वायसराय को पराजित कर दौलताबाद पर अधिकार कर लिया। इस्माइल को इन अमीरों ने अपना नेता चुना। इस्माइल ने अमीरों के इस संघ के प्रमुख व्यक्त हसन को अमीर-उल-उमरा एवं जफर खां की उपाधियों से विभूषित किया। जफर खां ने सागर और गुलबर्गा पर अधिकार कर लिया। अपनी शक्ति एवं सफलताओं के कारण जफर खां बहुत लोकप्रिय हो गया तथा इस्माइल शाह ने उसके पक्ष में सत्ता समर्पित कर दी।

1346 ई. में जफर खां ने अलाउद्दीन हसन बहमन शाह की उपाधिधारण की और नए बहमनी वंश का संस्थापक बना।

अलाउद्दीन हसन बहमन शाह(हसन गंगू)

इसने बहमनी साम्राज्य की स्थापना की। इस समय दिल्ली सल्तनत पर मुहम्मद बिन तुगलक का शासन था।

इसने कंधार, कोट्टगिरी, कल्याणी, बीदर, गुलबर्गा एवं दाबुल पर अधिकार किया।

मुहम्मद प्रथम

यह हसन गंगू का पुत्र था। इसका शासन विजयनगर एवं तेलंगाना के साथ युद्ध में बीता।

इसने तेलंगाना के युद्ध में कपाय नायक को पराजित किया तथा तेलंगाना के राजसिंहासन तख्त-ए-फिरोजा को छीन लिया।

मुहम्मद शाह प्रथम(मुहम्मद प्रथम)

मुहम्मद शाह प्रथम ने संपूर्ण बहमनी साम्राज्य को 4 प्रांतों में विभाजित किया था - 1. दौलताबाद 2. बरार 3. बीदर 4. गलबर्गा

मुहम्मद प्रथम के काल में बारूद का उपयोग पहली बार प्रारंभ हुआ, जिसने रक्षा संगठन में एक नई क्रांति पैदा की। सेनानायक को अमीर-उल-उमरा कहा जाता था।

ताजुद्दीन फिरोज

बहमनी वंश का सर्वाधिक विद्वान सुल्तानों में से एक। विदेशों से अनेक प्रसिद्ध विद्वानों को दक्षिण में आकर बसने के लिए प्रेरित किया।

इसने भीमा नदी के किनारे फिरोजाबाद नगर की नींव डाली।

शिहाबुद्दीन अहमद प्रथम

इसने राजधानी को गुलबर्गा के स्थान पर बीदर स्थानांतरित किया। नवीन राजधानी का नाम मुहम्मदाबाद रखा।

इसे इतिहास में अहमद शाह वली या संत भी कहा जाता है।

महमूद गंवा

महमूद गंवा अफाकी(ईरानी) मूल का था। प्रारंभ में यह एक व्यापारी था। बहमन सुल्तानों में हुमायुं के पुत्र निजामुद्दीन अहमद के वयस्क होने पर उसके संरक्षण के लिए एक प्रशासनिक परिषद का निर्माण किया गया। महमूद गंवा इस परिषद का सदस्य था।

महमूद-तृतीय

महमूद तृतीय के राज्यारोहण के समय महमूद गंवा को प्रधानमंत्री बनाया गया। महमूद गवां को ख्वाजा जहां की उपाधि दी गयी। महमूद गवां ने पूर्व के 4 प्रांतों को 8 प्रांतों में विभाजित किया।

बहमनी साम्राज्य का पतन

कारण

दक्खिनियों एवं अफाकियों(ईरानी, अरब और तुर्कों) के मध्य विद्वेष एवं अंतर्विरोध।

सुल्तान फिरोज का हिन्दुओं की ओर विशेष झुकाव।

सुल्तान शिहाबुद्दीन अहमद द्वारा ईरान के शिया संतों को आमंत्रित करना इससे दक्खिनी सुन्नी मुसलमानों में असंतोष बढ़ा।

बहमन सुल्तानों द्वारा लड़े गए अनेक अनिर्णित युद्ध।

बहमनी साम्राज्य एवं विजयनगर साम्राज्य के लगातार युद्ध।

बहमन साम्राज्य की आंतरिक षड़यंत्र एवं एकता का अभाव।

अंत

1490 ई. में बीदर में बारीद शाही का प्रभाव स्थापित हो गया। प्रांतीय तराफदारों ने अपनी स्वतंत्रता घोषित करना प्रारंभ कर दिया और पंद्रहवीं शताब्दी के अंत में बहमन साम्राज्य खंडित हो गया।

बहमनी साम्राज्य से अलग हुए प्रांत

बहमनी साम्राज्य का शासक कलीमुल्लाह बहमन वंश का अंतिम शासक था।

बहमनी साम्राज्य के पतन के बाद 5 दक्कन सल्तनत राज्यों का उदय हुआ।

1. बरार - सर्वप्रथम बहमनी साम्राज्य से अलग होने की घोषणा

2. बीजापुर - आदिल शाही वंश

3. अहमदनगर - निजामशाही वंश

4. गोलकुण्डा - कुतुबशाही वंश

5. बीदर - बारीद शाही वंश

1. बरार सल्तनत

वंश - इमादशाही वंश

राजधानी - एलिचपुर, गाविलगढ़

सर्वप्रथम बहमनी राज्य से अलग होने की घोषणा करने वाला क्षेत्र बरार था।

इमादशाही वंश का संस्थापक फतेहउल्लाह खां इमादुल्मुल्क था।

शासक - फतेहउल्लह → अलाउद्दीन इमादशाह → दरया इमादशाह → बुरहान इमादशाह

बुरहान इमादशाह के मंत्री तूफाल ने इसे कैद कर लिया एवं स्वयं गद्दी पर अधिकार कर लिया। अंत में अहमदनगर के शासक मुर्तजा निजाम शाह ने बुरहान को कैद से आजाद किया एवं बरार को 1574 ई. में अहमदनगर में मिला लिया।

2. बीजापुर सल्तनत

वंश - आदिलशाही वंश

राजधानी - नौरसपुर

बीजापुर के आदिलशाही राजवंश का संस्थापक युसुफ आदिलशाह खां था। आदिलशाही सुल्तान स्वयं को तुर्की आॅटोमन राजवंश के वंशज मानते थे।

3. अहमदनगर

वंश - निजामशाही वंश

राजधानी - जुन्नार, अहमदनगर एवं खिरकी

अहमदनगर के निजामशाही वंश का संस्थापक अहमदशाह था। इसको निजामुल्मुल्क की उपाधि प्रदान की गयी थी।

4. गोलकुण्डा

वंश - कुतुबशाही वंश

राजधानी - गोलकुण्डा

गोलकुण्डा के कुतुबशाही वंश का संस्थापक कुली कुतुब शाह था।

गोलकुण्डा साहित्यकारों की बौद्धिक क्रीडा स्थली था।

5. बीदर

वंश - बारीदशाही वंश

राजधानी - बीदर

बीदर में बारीदशाही वंश का संस्थापक अमीर अली बारीद था।

अमीर अली बारीद को दक्कन का लोमड़ी कहा जाता है।

इब्राहिम आदिलशाह-2 ने बीदर पर आक्रमण कर 1619 ई. में इसे बीजापुर में शामिल कर लिया था।

तथ्य

भारत सरकार ने वर्ष 2020 के लिए विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए दो नामांकन प्रस्तुत किए। वे हैं -

धोलावीरा: धोलावीरा गुजरात का एक पुरातात्विक स्थल(हड़प्पाकालीन शहर) है। इसमें प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के खंडहर हैं।

दक्कन सल्तनत के स्मारक और किले : दक्कन सल्तनत में 5 प्रमुख राज्य थे। उन्होंने दक्कन के पठार में विंध्य श्रेणी और कृष्णा नदी के बीच के क्षेत्र पर शासन किया।

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