1192 ई. में तराइन के युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के हारने पर उनके क़िले ‘रायपिथौरा’ पर अधिकार कर वहाँ पर ‘क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद’ का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया। पहले यह जैन मंदिर था बाद में विष्णु मंदिर बना एवं ऐबक ने इसे मस्जिद बना दिया। भारतीय-इस्लामिक शैली में निर्मित यह प्रथम स्थापत्य है। इसका विस्तार इल्तुतमिश एवं अलाउद्दीन खिलजी ने किया।
अजमेर में इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया। यह एक संस्कृत विद्यालय था। इसकी दीवारों पर हरिकेलि नाटक के अंश हैं।
निर्माण कार्य कुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरू किया। इल्तुतमिश ने 3 मंजिल बनवायी। फिरोजशाह तुगलक ने मरम्मत एवं 1 मंजिल बनवायी एवं सिकन्दर लोदी ने भी मीनार की मरम्मत करवायी।
इसका निर्माण इल्तुतमिश ने करवाया यह दिल्ली में स्थित है।
इसका निर्माण इल्तुतमिश ने नागौर, राजस्थान में करवाया।
इल्तुतमिश ने बदायुं में बनवाया।
यह कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद का प्रवेश द्वार है अलाउद्दीन खिलजी ने बनवाया यहां पहली बार घोड़े की नाल की आकृति में मेहराब(वृत्त के चाप की सी संरचना) बनाया गया।
इसका निर्माण अलाउद्दीन खिजली ने करवाया।
मुबारक शाह खिलजी ने भरतपुर, राजस्थान में बनवायी।
इसका निर्माण गयासुद्दीन तुगलक ने करवाया।
यह दिल्ली में स्थित, पंचकोंणीय है।
दिल्ली में मोहम्मद बिन तुगलक ने बनवाया।
दिल्ली में फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया।
फिरोजशाह तुगलक द्वारा निर्मित।
निजामुद्दीन में स्थित अष्टकोंणीय मकबरा है। इसका निर्माण जौनाशाह(खान-ए-शाह-II) ने करवाया।
© 2024 RajasthanGyan All Rights Reserved.