बिजली संसाधनों का विकास किसी भी क्षेत्र के लिए आवश्यक है। राजस्थान के बिजली संसाधन आधुनिक कृषि, औद्योगिक और आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण कारक हैं। पश्चिम राजस्थान में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस संसाधनों की खोज और सौर ऊर्जा क्षमता ने राजस्थान को एक शक्ति अधिशेष राज्य में परिवर्तित करने की नई उम्मीद दी है।
भारत की स्वतंत्रता के समय, शहरों और गांवों की कुल (राजस्थान में) विद्युतीकृत संख्या 42 से अधिक नहीं थी और स्थापित उत्पादन क्षमता केवल 13.27 मेगावाट थी। हालाँकि, 1 जुलाई 1957 को राजस्थान राज्य विद्युत बोर्ड (RSEB) के गठन के साथ, राजस्थान में बिजली क्षेत्र को प्राथमिकता मिली और पूरे राज्य में बिजली परियोजनाएँ शुरू हुईं।
राजस्थान राज्य विद्युत बोर्ड (RSEB) राज्य में बिजली उत्पादन, हस्तांतरण और वितरण के लिए प्रमुख एजेंसी थी। लेकिन 19 जुलाई 2000 के बाद, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और उत्पादन, हस्तांतरण और वितरण कार्यों को अलग करने के लिए आरएसईबी को 5 अलग-अलग कंपनियों में पुनर्गठित किया गया है।
19 जुलाई 2000 को राजस्थान राज्य विधुत मण्डल(RSEB) को भंग करके निम्न पांच कम्पनीयों में बांट दिया गया है।
राजस्थान विधुत नियामक प्राधिकरण(RERA)
स्थापना - 2 जनवरी, 2000
मुख्यालय - जयपुर
7.34 प्रतिशत की वृद्धि के साथ उपभोक्ताओं की संख्या 145.61 लाख (मार्च-2018) से बढ़कर 156.30 लाख (मार्च- 2019) हो गई है।
जहां तक ग्रामीण परिवारों के विद्युतीकरण का संबंध है, 93.88 लाख घरों में से 92.14 लाख घरों का विद्युतीकरण किया जा चुका है।
भरतपुर, बीकानेर और कोटा में निजी बिजली वितरण कंपनी है।
2015 में, राजस्थान सरकार ने राज्य विद्युत क्षेत्र वितरण कंपनियों के लिए पावर ट्रेडिंग व्यवसाय करने के लिए राजस्थान उर्जा विकास निगम लिमिटेड (RUVNL) की स्थापना की।
मार्च, 2019 तक, राजस्थान की स्थापित बिजली क्षमता 21,077.64 मेगावाट (लगभग 21 गीगावॉट) है। वर्ष 2018-19 के दौरान कुल वृद्धि 1524.87 मेगावाट है। (राजस्थान की आर्थिक समीक्षा 2018-19)
स्रोत | स्थापित क्षमता (in MW) | कुल का प्रतिशत |
---|---|---|
तापीय उर्जा | 11385.5 | 54.0% |
पन | 1757.95 | 8.3% |
गैस | 824.6 | 3.9% |
परमाणु | 456.74 | 2.2% |
सौर | 2411.7 | 11.4% |
वायु | 4139.2 | 19.6% |
बायोमास | 101.95 | 0.5% |
संपूर्ण | 21077.64 | 100% |
परंपरागत ऊर्जा संसाधन वे होते है जिनका पूर्ण उपयोग किया जा सकता है। इनको एक बार उपयोग में लेने के बाद पुन: प्रयोग में नहीं लाया जा सकता हैं - उदाहरण - कोयला, पेट्रोलियम ।
ऊर्जा के ऐसे संसाधन जिनका कम समय में ही पुन: नवीकरण कर सकते है - उदाहरण - हवा, जल, सौर ऊर्जा।
राजस्थान के सर्वाधिक ऊर्जा प्राप्ति वाले स्त्रोत
राजस्थान में सर्वाधिक ऊर्जा की संभावना वाला स्त्रोत
राजस्थान में ग्रामिण क्षेत्रों में ऊर्जा की संभावना वाला स्त्रोत - बायोगैंस
राजस्थान में सर्वाधिक बायोगैस प्लांट वाले जिले -
राजस्थान में दुसरा परमाणु ऊर्जा सयंत्र - नापला(बांसवाड़ा मं निर्माणधीन 700*2 - 1400 मे. वा.)।
राजस्थान में नेप्था एवं गैंस पर आधारित विधुत सयंत्र - धौलपुर(110*3 - 330 मे. वा.)
राजस्थान में प्राकृतिक गैंस पर आधारित प्रथम विधुत सयंत्र - रामगढ़(जैसलमेर)।
राजस्थान में प्रथम बायो गैस आधारित विधुत सयंत्र - पदमपुर(गंगानगर)
थर्मल पावर प्लांट कोयले का उपयोग ईंधन के रूप में करते हैं। राजस्थान में कोयले की गुणवत्ता और मात्रा बहुत खराब है। कम कार्बन प्रतिशत (30-35%) के साथ उच्च सल्फर सामग्री वाले तृतीयक युग का केवल लिग्नाइट कोयला मुख्य रूप से राजस्थान में पाया जाता है। लिग्नाइट का उपयोग आर्थिक रूप से बिजली पैदा करने में नहीं किया जा सकता है और इसलिए राजस्थान के अधिकांश बिजली संयंत्र बाहर से कोयला आयात करते हैं।
राजस्थान के थर्मल पावर प्लांट:
छाबड़ा थर्मल इस सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित राजस्थान का पहला पावर प्लांट है
छाबड़ा में जून 2019 में सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी आधारित यूनिट 5 और 6 ऑनलाइन आए - ओवरऑल कैपेसिटी 2320 मेगावाट
स्थिती - सुरतगढ़, गंगानगर में।
ये राजस्थान का प्रथम सुपर थर्मल पाॅवर प्लांट है।
ये राजस्थान का दुसरा सबसे बड़ा विधुत सयंत्र है।
आधारित - तरल ईंधन एवम् लिग्नाइट कोयला।
क्षमता - 1500 मे. वा. की कुल 6 इकाईयां 250’6 - 1500 मे. वा.
निर्माणधीन - 660-660 मे. वा. की 7 व 8 इकाई
इसे राजस्थान का आधुनिक विकासतीर्थ कहते हैं।
स्थित - कोटा में
ये राजस्थान का दुसरा सुपर थर्मल पावर प्लांट है।
ये राजस्थान का दुसरा बड़ा विधुत सयंत्र है।
आधारित - कोयला पर
क्षमता - 1240 मे. वा. की कुल 7 इकाईयां(110-110 मेगावाट की दो, 210-210 मेगावाट की तीन, 195-195 मेगावाट की दो)।
कुल क्षमता - 1200 मेगावाट
इकाइयां -दो(600-600 मेगावाट)
स्थापना - 1973 कनाड़ के सहयोग से की।
स्थित - रावतभाटा, चित्तौड़गढ़ में
आधारित - यूरेनियम। नाभिकीय ऊर्जा
क्षमता - 1350 मे.वा. की कुल 6 इकाईयां।
ये भारत में तारापुर(महाराष्ट्र) के बाद दुसरा सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा सयंत्र है।
राजस्थान ने अपनी सौर नीति की घोषणा 19 अप्रैल 2011 को की।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के मूल्यांकन के अनुसार, राजस्थान में सौर ऊर्जा से 142 गीगावॉट बिजली की क्षमता है। राज्य में मार्च, 2019 तक 3,074 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र चालू किए गए हैं। यह राजस्थान की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के कारण सम्भव हुआ है। राज्य, अधिकतम सौर विकिरण तीव्रता से समृद्ध है, क्योंकि यहां एक वर्ष में 325 से अधिक दिन धूप निकलती है तथा औसत वर्षा भी कम है।(Ref- आर्थिक समीक्षा 2018-19) 2018 के अंत में, राजस्थान भारतीय राज्यों के बीच स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता के मामले में कर्नाटक (1) और तेलंगाना (2) के बाद तीसरे स्थान पर है।
सौर नीति घोषित करने वाला राजस्थान भारत का प्रथम राज्य है।
राजस्थान में प्रथम सौर ऊर्जा फ्रिज बालेसर(जोधपुर) में स्थापित किया गया।
राजस्थान में प्रथम सौर ऊर्जा सयंत्र मथानिया(जोधपुर) में स्थापित किया गया।
राजस्थान में नीजिक्षेत्र में सबसे बड़ा सौर ऊर्जा सयंत्र खींवसर(नागौर) में स्थापित है।
राजस्थान में सौर ऊर्जा चलित प्रथम नाव पिछोला झील में चलाई गई।
राजस्थान में सौर ऊर्जा आधारित प्रथम दुरदर्शन रिले केन्द्र रावतभाटा चित्तौड़गढ़ में स्थित है।
राजस्थान में सौर ऊर्जा पार्क - बड़ाला(जोधपुर)।
राजस्थान में सौर ऊर्जा उपक्रम क्षेत्र(SEEZ) - जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर को घोषित किया गया है।
राजस्थान में स्थित भादला सोलर पार्क (Bhadla Solar Park) दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पावर पार्क (world’s largest solar park) है। 2020 तक, भादला सोलर पार्क दुनिया भर में सबसे बड़ा सोलर पार्क है। यह राजस्थान के जोधपुर जिले के भादला में 5,700 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस पार्क की कुल क्षमता 2245 मेगावाट है। NTPC ने 22 फरवरी, 2017 को इस सौर पार्क में 115 मेगावाट क्षमता को चालू करने की घोषणा की थी। वर्तमान में, इसकी पूर्ण क्षमता 2,245 मेगावाट है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा सौर पार्क बन गया है, जिसका निवेश बढ़कर 100 अरब रुपये हो गया है।
राजस्थान सरकार ने अपनी पवन ऊर्जा नीति की घोषणा 18 जुलाई 2012 को की। बिजली उत्पादन के लिए पवन ऊर्जा के दोहन में राजस्थान भारत का अग्रणी राज्य है। राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (एनआईडब्ल्यूई) और एमएनआरई, जीओआई के आकलन के अनुसार, राज्य में पवन ऊर्जा क्षमता 100 एम हब ऊंचाई पर लगभग 18,770 मेगावाट होने का अनुमान है। राज्य में मार्च, 2019 तक कुल 4,310.50 मेगावाट पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित की गई है। (आर्थिक समीक्षा 2018-19)। राजस्थान स्थापित उत्पादन क्षमता के मामले में देश में 5 वें स्थान पर है। सरकार ने 2012 के बाद से बिजली के उत्पादन की नीति के लिए नीति जारी की है
सार्वजनिक क्षेत्र में पवन ऊर्जा सयंत्र - 1. अमर सागर, जैसलमेर में।
यह राजस्थान का प्रथम पवन ऊर्जा सयंत्र है, 1999 में।
2. देवगढ़, प्रतापगढ़ में।
3. फलौदी, जोधपुर में।
विलायती बबुल, चावल भूसी, तिल और सरसों की तुड़ी से निर्मित।
राजस्थान में लिग्नाइट कोयले पर आधारित प्रथम विधुत सयंत्र - गिरल(बाड़मेर 250 मे. वा. 2 इकाई 125)
राज्य सरकार ने इस क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए 'बायोमास 2010 से विद्युत उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नीति' भी जारी की है। राज्य में मार्च, 2019 तक 120.45 मेगावाट क्षमता के कुल 13 बायोमास विद्युत उत्पादन संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
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