1 अप्रैल 1999 को राजस्थान में ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग की स्थापना की गई।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग राजस्थान सरकार द्वारा अक्टूबर 2010 में स्थापित।
अध्यक्ष - मुख्यमंत्री
उद्देश्य - ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ाकर निर्धन ग्रामीणों की आय में वृद्धि करना।
वर्तमान में भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित राजीविका द्वारा निम्नलिखित आजीविका योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है -
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा लागू।
उद्देश्य - 2024-25 तक 10-12 करोड़ परिवारों को स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जोड़ना।
पूरे राज्य भर में लागू है।
19 फरवरी 2019 को शुरू की गई।
वित्त पोषण - विश्व बैंक द्वारा
9 जिलों के 36 ब्लाकों में संचालित।
वन धन विकास योजना के तहत 8 जिलों (बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, सिरोही, उदयपुर, कोटा, बारां, झालावाड़) में वन धन विकास केंद्रों का गठन किया गया है
सितंबर 2005 में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम पारित किया गया।
फरवरी 2006 में इसे योजनागत रुप दिया गया।
उद्देश्य - ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन करना।
इसके तहत ग्राम पंचायत के वयस्क एवं अकुशल सदस्यों को 100 दिन का रोजगार दिया जाता है।
लाभार्थियों में कम से कम एक-तिहाई महिलाएं होंगी।
प्रत्येक परिवार के कम से कम एक सदस्य को रोजगार दिया जाएगा।
लाभार्थियों का पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) किया जाता है और जॉब कार्ड प्रदान किए जाते हैं।
रजिस्ट्रेशन के 15 दिन के अंदर तथा 5 किलोमीटर के दायरे में रोजगार (5 किलोमीटर क्षेत्र से बाहर होने पर 10% अतिरिक्त मजदूरी दी जायेगी) दिया जायेगा।
15 दिन के अंदर रोजगार उपलब्ध नहीं होने पर राज्य सरकार बेरोजगारी भत्ता देगी।
कार्य का निर्धारण ग्राम पंचायत करेगी।
ठेकेदारों व मशीनों से कार्य की अनुमति नहीं है।
प्रभावी जन अभाव अभियोग निराकरण प्रणाली।
मजदूरी : सामग्री = 60:40
ग्राम सभा: 1. सामाजिक अंकेक्षण करेगी। 2. कार्य की गुणवत्ता एवं योजना की प्रगति का पर्यवेक्षण करना।
केंद्र सरकार : 1. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालित। 2. मजदूरी का 100% वित्त पोषण केंद्र सरकार द्वारा 3. सामग्री का 75% वित्त पोषण केंद्र सरकार द्वारा
इसके अंतर्गत मनरेगा के तहत 100 दिवस का रोजगार पूर्ण करने पर अतिरिक्त 25 दिवस का रोजगार राज्य मद से दिया जा रहा है।
साथ ही बारां जिले की सहरिया व खैरूआ तथा उदयपुर की कथौडी जनजाति परिवारों तथा राज्य के विशेष योग्यजन श्रमिकों को 100 दिवस का अतिरिक्त रोजगार दिया जायेगा।
24 अप्रैल 2022 को शुरू
उद्देश्य : देश के प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर (तालाबों) का निर्माण/विकास करना।
विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूहों (PVTG GROUP) की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए प्रधानमंत्री PVTG विकास मिशन शुरू किया गया है।
उद्देश्य : देश में 75 PVTG समूहों का विकास करना।
राजस्थान में एकमात्र जिला बारां है जहां PVTG समूह है।
बारां जिले की सभी 8 पंचायत समितियां में निवासरत आवासहीन PVTG परिवारों को ₹2 लाख आवास निर्माण हेतु एवं ₹12,000 शौचालय निर्माण हेतु एवं मनरेगा से अकुशल मानव दिवस का देय अनुमानित पारिश्रमिक राशि ₹22,950 सहित कुल राशि ₹2.35 लाख का प्रावधान है।
इसके तहत बारां जिले में सहरिया जनजाति के परिवारों का सर्वे कराकर 23,559 पात्र परिवारों को चिन्हित किया गया है।
20 नवंबर 2016 को ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा शुरू।
लाभार्थी का चयन - सामाजिक, आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना 2011 के आधार पर। (SECC)
इसके तहत लाभार्थियों को घर बनाने के लिए ₹1,20,000 दिये जाते है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत अतिरिक्त ₹12000 शौचालय निर्माण हेतु दिए जाते हैं।
लाभार्थी मनरेगा के तहत 90 कार्यदिवसों का उपयोग घर निर्माण हेतु कर सकता है।
वित्त पोषण - केंद्र सरकार (60) : राज्य सरकार (40)
उद्देश्य : स्थानीय आवश्यकतानुसार आधारभूत संरचना का विकास, जनोपयोगी परिसंपत्तियों का निर्माण करना।
विधायक को अपने निर्वाचन क्षेत्र (ग्रामीण या शहरी) में प्रतिवर्ष विकास कार्यों के लिए 5 करोड रुपये की राशि दी जाती है।
इसमें से कम से कम 20% राशि SC-ST के विकास हेतु खर्च करनी होगी।
शुरू : सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा 23 दिसंबर 1993 से।
उद्देश्य : स्थानीय आवश्यकतानुसार आधारभूत संरचना का विकास, जनोपयोगी परिसंपत्तियों का निर्माण करना।
प्रत्येक सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में प्रतिवर्ष 5 करोड़ रुपये तक की राशि के विकास कार्यों हेतु जिला कलेक्टर को अनुशंसा कर सकता है।
लोकसभा के निर्वाचित सांसद अपने क्षेत्र में ही राशि खर्च कर सकते हैं।
राज्यसभा के निर्वाचित सांसद राज्य के किसी भी जिले में राशि खर्च कर सकते हैं।
मनोनीत सांसद (लोकसभा या राज्यसभा) संपूर्ण भारत में कहीं भी राशि खर्च कर सकते हैं।
देश के किसी भी हिस्से में गंभीर प्राकृतिक आपदा की स्थिति में एक सांसद प्रभावित क्षेत्र में अधिकतम 1 करोड़ रुपये की राशि खर्च कर सकता है।
1986-87 में आधारभूत सुविधाओं एवं रोजगार के अवसर सृजित करने हेतु शुरू किया गया।
अलवर, खैरथल-तिजारा एवं डीग के मेव बाहुल्य 14 खंडों में संचालित।
2005-06 से राजस्थान सरकार द्वारा पुनः प्रारंभ।
पूर्वी राजस्थान के 9 जिलों की 21,92 गांवों में लागू।
जिलें : भरतपुर, करौली, धौलपुर (BCD), सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ (हाड़ौती), गंगापुर सिटी।
2005-06 से राजस्थान सरकार द्वारा लागू।
दक्षिणी मध्य अरावली के 5 जिलों के 17,46 गांवों में लागू।
जिलें : ब्यावर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, पाली (BBCRP)
केंद्रीय प्रवर्तित कार्यक्रम।
गृह मंत्रालय द्वारा संचालित।
7वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान लागू।
उद्देश्य : आधारभूत ढांचे के विकास के माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों का संतुलित विकास एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना।
यह कार्यक्रम 5 सीमावर्ती जिलों बाड़मेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, जैसलमेर एवं अनूपगढ़ के 16 खंडों में संचालित है।
2005-06 से राजस्थान सरकार द्वारा लागू।
ग्रामीण क्षेत्रों में कराए जाने वाले कार्यों के लिए जिला कलेक्टर अधिकृत है।
राज्य के प्रत्येक जिले में जिला कलेक्टर द्वारा नवाचारों के समावेश के साथ स्थानीय आवश्यकतानुसार विकास कार्यों में समरूपता लाना।
शुरू: 2022
उद्देश्य : राज्य के संपूर्ण क्षेत्र में आधारभूत संरचना एवं ग्रामीण विकास करना।
पुराना नाम - गुरु गोलवलकर जनभागीदारी विकास योजना।
नाम परिवर्तन- फरवरी 2020 में।
वित्त पोषण - राज्य सरकार द्वारा।
उद्देश्य - ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक संपत्तियों के निर्माण व रखरखाव में जन भागीदारी सुनिश्चित करना।
संपत्ति | सरकारी योगदान | जनभागीदारी |
---|---|---|
श्मशान/कब्रिस्तान | 90% | 10% |
अन्य सामुदायिक संपत्ति | 70% | 30% |
अन्य संपत्ति परंतु TSP क्षेत्र में | 80% | 20% |
2005 में राजस्थान सरकार द्वारा मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बायोफ्यूल मिशन लाया गया।
2007 में राजस्थान सरकार द्वारा ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अधीन बायोफ्यूल नीति जारी कर बायोफ्यूल प्राधिकरण का गठन किया गया।
10 अगस्त 2019 - राजस्थान बायोडीजल नियम लागू किए गए।
वर्ल्ड बायोफ्यूल डे - 10 अगस्त
बायोफ्यूल के निर्माण में उपयोगी पौधे - रतनजोत (जेट्रोफा) और करंज।
बायोफ्यूल प्राधिकरण की उपलब्धियां
2016 में ‘बंजर भूमि एवं चारागाह विकास बोर्ड’ का गठन किया गया।
11 फरवरी 2022 को बंजर भूमि एवं चारागाह विकास बोर्ड का पुनर्गठन किया गया।
ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा।
इसके अंतर्गत प्रतिवर्ष एक सांसद द्वारा एक गांव गोद लिया जाता है।
लोकसभा सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्र का कोई भी गांव।
राज्यसभा सांसद राज्य में कोई भी गांव।
मनोनीत सांसद संपूर्ण भारत में कोई भी गांव को गोद ले सकता है।
उद्देश्य : चयनित गांव के निवासियों के जीवन स्तर और जीवन गुणवत्ता में पर्याप्त सुधार लाना।
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