सन 1935 में पहली बार अधिकारिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत के संविधान निर्माण के लिए एक संविधान सभा बनाने की मांग की थी। सन् 1938 में पं. जवाहर लाल नेहरु द्वारा घोषणा की गयी कि स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण चुनी हुई संविधान सभा द्वारा किया जाएगा और उसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा।
भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन की तीव्रता को देखते हुए, ब्रिटिश सरकार ने अपने तीन मंत्रियों का एक दल भारत भेजा, जिसको हम ‘केबिनेट मिशन’ के नाम से जानते हैं। इसी केबिनेट मिशन की योजना के अनुसार, 1946 में संविधान सभा का गठन किया गया।
संविधान सभा का अर्थ है- जनता के प्रतिनिधियों की वह सभा जो संविधान का निर्माण करती है ।
संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसम्बर 1946 को, अस्थायी अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में हुई। बाद में, डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया।
संविधान सभा ने एक प्रारूप समिति बनाई, जिसके अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे। 13 दिसंबर 1946 को, जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा के सामने “उद्देश्य प्रस्ताव” पेश किया, जिसमें स्वतंत्र भारत के संविधान के मूल आदर्शों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी।
संविधान निर्माण में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा। संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 को संविधान को स्वीकार किया । 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। सन् 2015 से प्रतिवर्ष 26 नवम्बर को ‘संविधान दिवस’ मनाया जाता है।
जुलाई 1946 में, कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार संविधान सभा के लिए चुनाव (Election for Constituent Assembly) हुआ। संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से प्रान्तीय विधान सभा के सदस्यों द्वारा किया गया। संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 निर्धारित की गई थी। इनमें से 292 प्रतिनिधि ब्रिटिश भारत के 11 प्रान्तों से, 4 चीफ कमिश्नरी के प्रांतों (दिल्ली, अजमेर-मारवाड़, कुर्ग तथा ब्रिटिश-बलुचिस्तान) से एवं 93 प्रतिनिधि देशी रियासतों से चुने जाने थे।
संविधान सभा के गठन के समय, राजस्थान अनेक रियासतों में विभाजित था। अजमेर - मेरवाड़ा प्रान्त सीधे ही ब्रिटिश शासन के अधीन था। संविधान सभा में, राजस्थान से कुछ सदस्य यहाँ के मूल निवासी थे। कुछ सदस्य अन्य राज्यों के निवासी थे लेकिन राजस्थान की रियासतों में विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्यरत थे।
नाम सदस्य | रियासत |
---|---|
मुकुट बिहारी लाल भार्गव | अजमेर-मेरवाड़ा |
माणिक्यलाल वर्मा | उदयपुर |
जयनारायण व्यास | जोधपुर |
बलवंत सिंह मेहता | उदयपुर |
रामचंद्र उपाध्याय | अलवर |
दलेल सिंह | कोटा |
गोकुल लाल असावा | शाहपुरा (भीलवाड़ा) |
जसवंत सिंह | बीकानेर |
राज बहादुर | भरतपुर |
हीरा लाल शास्त्री | जयपुर |
सरदार सिंह | खेतडी |
मुकुट बिहारी लाल भार्गव स्वतंत्रता के बाद तीन बार अजमेर से लोकसभा सदस्य रहे।
माणिक्यलाल वर्मा ने अक्टूबर 1938 में प्रजामंडल पर लगी रोक हटाने के लिए हुए सत्याग्रह आंदोलन का अजमेर में संचालन किया । इन्होंने सन 1941 में मेवाड़ प्रजामंडल के पहले अधिवेशन की अध्यक्षता की। वर्मा जी का लिखा हुआ, ‘पंछिड़ा’ गीत बहुत लोकप्रिय हुआ। वे 1948 में वृहत्तर राजस्थान के प्रधानमंत्री व 1963 में राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष रहे।
जयनारायण व्यास 1927 में ‘तरूण राजस्थान’ के प्रधान संपादक तथा 1936 में ‘अखंड भारत’ के प्रकाशक रहे। 1951 से 1956 के बीच दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे।
बलवंत सिंह मेहता 1938 में मेवाड़ प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष बने। 1943 में उदयपुर में वनवासी छात्रावास की स्थापना की। यह संविधान सभा के सदस्य के रूप में मूल संविधान पर हस्ताक्षर करने वाले पहले राजस्थानी थे।
लेफ्टिनेंट कर्नल दलेल सिंह कोटा के महाराव भीम सिंह के निजी सचिव थे। 1946 से 1950 तक संविधान सभा में कार्य किया । इन्होंने संविधान की प्रति पर हस्ताक्षर किये।
राजबहादुर संविधान सभा में मनोनीत किए गए। इन्होंने समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्य किया तथा भरतपुर रियासत में बेगार प्रथा का विरोध किया। नेपाल में भारत के राजदूत रहे।
हीरालाल शास्त्री का जन्म 24 नवम्बर 1899 को जयपुर के जोबनेर कस्बे में हुआ । हीरालाल शास्त्री ने वनस्थली गांव (टोंक) में जीवन कुटीर संस्था की स्थापना की। अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद के प्रधानमंत्री तथा राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री बने।
राजा सरदार सिंह 1950 से 1952 के बीच अस्थायी संसद के सदस्य रहे। लाओस में भारत के राजदूत रहे।
नाम सदस्य | रियासत |
---|---|
सर वी.टी. कृष्णमाचारी | जयपुर |
सी.एस. वेंकटाचारी | जोधपुर |
सरदार के. एम. पन्निकर | बीकानेर |
सर टी. विजयराघवाचार्या | उदयपुर |
सर वी टी कृष्णामाचारी मूलतः तमिलनाडु के थे। ये जयपुर रियासत के दीवान थे। डी.पी. खैतान के निधन के बाद, इन्हें संविधान की प्रारूप समिति में जगह दी गई थी।
सी एस वेंकटाचारी मूलतः कर्नाटक के थे। 6 जनवरी 1951 से 25 अप्रैल 1951 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे।
सरदार के एम पन्निकर मूलतः केरल के थे। स्वतंत्रता के बाद इन्हें चीन, फ्रांस तथा मिस्र का राजदूत बनाया गया।
सर टी विजयराघवाचार्या मूलतः तमिलनाडु के थे। मेवाड़ के प्रधानमंत्री रहे। बिजौलिया किसान आंदोलन के दौरान इन्होंने अपने राजस्व मंत्री डॉ मोहन सिंह मेहता को बिजौलिया भेजा तथा किसानों से समझौता किया।
इनके अतिरिक्त राजस्थान मूल के प्रवासी, राजस्थानी प्रभुदयाल हिम्मत सिंह का पश्चिम बंगाल से, बनारसी दास झुंझुनवाला बिहार से, पदमपत सिंघानिया उत्तर प्रदेश से, संविधान सभा के सदस्य चुने गए।
© 2024 RajasthanGyan All Rights Reserved.