राजस्थान राज्य में राजस्व मामलों के शीर्ष न्यायालय एवं राजस्व प्रशासन के लिए प्रमुख नियामक एवं नियंत्रक के रूप में राजप्रमुख के अध्यादेश के द्वारा राजस्व मण्डल की स्थापना दिनांक 1 नवंबर 1949 को हुई। 1956 में उक्त अध्यादेश के स्थान पर राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 लागू किया गया। राजस्व मण्डल राजस्व मामलों में राज्य का शीर्षस्थ अपील, पुनर्विलोकन एवं सन्दर्भ राजस्व न्यायालय हैं, जिसको तीन प्रकार से अधिकार प्राप्त हैं -
1. अपील 2. पुनर्विचार 3. रैफरेंसेज
राजस्व मण्डल का मुख्यालय अजमेर में है तथा एक सर्किट बेंच जयपुर में भी है। इसके प्रथम अध्यक्ष श्री बृजचन्द शर्मा थे।
राजस्व मंडल का कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण राजस्थान है तथा यह एक अर्द्ध न्यायिक निकाय है।
इसका अध्यक्ष भारतीय प्रशासनिक सेवा का मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी होता हैं, जिसकी सहायता हेतु 20 सदस्य होते हैं जो भारतीय प्रशासनिक सेवा, राजस्थान उच्च न्यायिक सेवा व राजस्व मामले के विशेषज्ञ वकीलों में से राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
न्यायिक अधिकारों के साथ-साथ भू-राजस्व, भू-अभिलेख संबंधी विभिन्न प्रशासकीय अधिकार भी राजस्व मण्डल को दिये गए।
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम एवं उनके अन्तर्गत बनाए गए नियमों की क्रियान्विति सम्भागीय आयुक्त, जिला कलेक्टरों, उनके अधीनस्थ अतिरिक्त जिला कलेक्टरों, उपखण्ड अधिकारियों, सहायक जिला कलेक्टर एवं कार्यपालक दण्डनायक तथा तहसीलदारों द्वारा की जाती है।
राजस्थान अधिनियमों के अन्तर्गत पुनर्विचार/रैफरेंसेज के अतिरिक्त कतिपय अन्य अधिनियमों के अन्तर्गत भी मण्डल को कुछ न्यायिक अधिकार प्रदान किए गए है, जैसे- उप-निवेशन, अधिनियम, सार्वजनिक सम्पत्ति एक्ट, नगरीय भूमि(सीलिंग) अधिनियम के अधीन अपीलों की सुनवाई आदि।
राविरा : राजस्व मंडल राजस्थान अजमेर द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका।
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