मुख्यमंत्री कार्यालय राज्य के मुख्यमंत्री को प्रशासनिक और सचिवीय सहायता प्रदान करता है और सचिवालय प्रणाली का अभिन्न हिस्सा है। इसकी स्थापना राजस्थान में 1951 में हुई थी।
मुख्यमंत्री कार्यालय का प्रमुख अधिकारी सचिव होता है, जो वरिष्ठ IAS अधिकारी होता है। 1988 से पहले इसमें उपसचिव, विशेषाधिकारी, प्रेस सलाहकार, सहायक सचिव, पुलिस अधीक्षक (सतर्कता), और अन्य कर्मचारी नियुक्त किए जाते थे। 1998 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे पुनर्गठित कर दो सचिव (प्रथम तथा द्वितीय) नियुक्त किए, जिन्हें अलग-अलग विभागों का समन्वय करने की जिम्मेदारी दी गई।
मुख्यमंत्री कार्यालय के मुख्य कार्य:
यह कार्यालय मुख्यमंत्री के कार्यों में प्रशासनिक सहयोग और नीतिगत निर्णयों के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
राज्य के प्रशासन तंत्र के शीर्ष स्तर पर शासन सचिवालय है जो जयपुर में स्थित है। यह मंत्रिपरिषद द्वारा बनाई गई नीतियों, नियमों एवं लिए गए निर्णयों को लागू करवाने का कार्य करता है। शासन सचिवालय का मुखिया मुख्य सचिव होता है जो सामान्यतः भारतीय प्रशासनिक सेवा का वरिष्ठतम अधिकारी एवं मुख्यमंत्री का विश्वासपात्र होता है। इसकी नियुक्ति मुख्यमंत्री द्वारा की जाती है। मुख्य सचिव शासन सचिवों के माध्यम से राज्य प्रशासन का नियंत्रण व संचालन करता है। मुख्य सचिव राज्य मंत्रिपरिषद का सचिव (केबिनेट सचिव) भी होता है जो मंत्रिमंडल का सदस्य न होते हुए भी उसकी बैठकों में भाग लेता है, उसकी कार्यसूची तैयार करता है तथा बैठकों की कार्यवाही का विवरण रखता है। मुख्य सचिव समस्त प्रशासनिक विषयों में मुख्यमंत्री एवं मंत्रिपरिषद को उचित परामर्श प्रदान करता है।
मुख्य सचिव का पद ब्रिटिश विरासत है।
1 नवम्बर, 1956 से पूर्व राजस्थान ‘बी’ श्रेणी का राज्य था अतः मुख्य सचिव की नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा की जाती थी। राज्य में सन् 1958 में प्रथम बार, राज्य सरकार द्वारा राजस्थान संवर्ग के वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी की नियुक्ति मुख्य सचिव के रूप में की गई। राजस्थान के पहले मुख्य सचिव श्री के. राधाकृष्णन (1949) थे। राजस्थान की पहली महिला मुख्य सचिव श्रीमती कुशलसिंह थीं। 1973 के बाद इस पद को केंद्र सरकार के सचिव के समकक्ष मानकीकृत किया गया।
मुख्य सचिव का चयन मुख्यमंत्री के द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के सुपर टाइम स्केल प्राप्त अधिकारियों में से किया जाता है। मुख्य सचिव की नियुक्ति में प्रायः निम्न बातों का ध्यान रखा जाता है-
(i) प्रशासनिक पदों पर कार्य करने का विशद् अनुभव हो एवं वरीयता प्राप्त हो
(ii) असाधारण प्रशासनिक प्रतिभा, आकर्षक व्यक्तित्व तथा उपलब्धियों से भरा सेवाकाल हो
(iii) मुख्यमंत्री का विश्वासपात्र अधिकारी हो
राजस्थान की भाजपा सरकार ने फरवरी, 1994 में श्री मीठा लाल मेहता को उनकी योग्यता एवं नेतृत्व पहल की क्षमता के कारण ही मुख्य सचिव नियुक्त किया जबकि राज्य प्रशासन में उनसे 5-6 वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। सामान्यतः राज्य का मुख्यमंत्री परिवर्तित होते ही मुख्य सचिव भी बदल दिया जाता है। राजस्थान के पूर्व मुख्य सचिव श्री वी.बी.एल. माथुर को चार मुख्यमंत्रियों (हरिदेश जोशी, शिवचरण माथुर, भैरोसिंह शेखावत) के साथ कार्य करने का अनुभव रहा है किन्तु ऐसे उदाहरण बहुत कम हैं। विपिन बिहारी लाल माथुर मार्च 1986 से लेकर जनवरी 1992 तक प्रदेश के मुख्य सचिव थे। बी.एस. मेहता का कार्यकाल मुख्य सचिवों में सर्वाधिक लम्बा रहा।
मुख्य सचिव का कार्यकाल निश्चित नहीं है। सामान्यतः सेवानिवृत्ति की आयु पूर्ण होने पर मुख्य सचिव भी सेवानिवृत्त कर दिये जाते हैं किन्तु कतिपय मामलों में मुख्यमंत्री के द्वारा मुख्य सचिव का कार्यकाल बढ़वा दिया जाता है। प्रशासनिक सुधार आयोग ने सझाव दिया था कि मुख्य सचिव को कम से कम 3-4 वर्ष सेवा करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि वह अपने कार्यकाल में कुछ सार्थक परिणाम दे सके।
राज्य प्रशासन में कार्यरत लोक सेवकों में प्रशासनिक दृष्टि से सर्वोच्च पद मुख्य सचिव (C.S.) का होता है। एस.आर. माहेश्वरी (इंडियन एड्मिनिस्ट्रेशन) के अनुसार “मुख्य सचिव राज्य प्रशासन की ‘धुरी’ (किंग पिन) है जो नीति निर्माण, नियंत्रण तथा प्रशासकीय नेतृत्व में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाहित करता है। वह सचिवालय का सर्वेसर्वा है।” मुख्य सचिव राज्यों में लोक सेवा का प्रमुख, उनका विश्वसनीय परामर्शदाता तथा अन्तर्भावना का रक्षक होता है।
राजस्थान प्रशासनिक सुधार समिति, 1963 के अनुसार मुख्य सचिव, “सरकारी यंत्र का मुखिया या मंत्रिमंडल के सलाहकार के रूप में एक विशेष स्थिति का अधिकारी होता है। वह सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका राज्य प्रशासन के मामले में अदा करता है। विभिन्न विभागों में होने वाले कार्यों को देखने के अलावा वह उनमें समन्वय का कार्य भी करता है जिससे राज्य सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियों के क्रियान्वयन में एकरूपता रहती है।”
मुख्य सचिव के कार्य और उसकी शक्तियों का उल्लेख राज्य सरकार द्वारा तैयार सरकारी कार्य नियमावली (रूल्स ऑफ बिजनेस) में है। राज्य का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी तथा मुख्यमंत्री के प्रमुख परामर्शदाता के रूप में पदासीन मुख्य सचिव के कार्य अत्यन्त विशद तथा गंभीर हैं। संक्षेप में मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं-
केंद्र सरकार में राज्य के मुख्य सचिव पद के समतुल्य कोई पद नहीं है। केंद्रीय कैबिनेट सचिव को ही राज्य के मुख्य सचिव के समकक्ष माना जा सकता है। वास्तविकता यह है कि मुख्य सचिव द्वारा प्रशासन में जितने अधिक कार्य किए जाते हैं और भिन्न-भिन्न भूमिकाएं अकेले निभाई जाती हैं, उन कार्यों के लिए केंद्र सरकार में कैबिनेट सचिव, कार्मिक सचिव, गृह सचिव और वित्त सचिव हैं।
राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री एवं उसकी मंत्रिपरिषद के सदस्यों को आवश्यक प्रशासनिक सहायता एवं परामर्श उपलब्ध कराने के लिए जो प्रशासन निकाय कार्यशील है, उसे ही 'राज्य सचिवालय' के नाम से जाना जाता है। सचिवालय राज्य सरकार का हृदय है, यहीं पर कार्यपालिका आदेशों का जन्म, समस्त नीतियों का निर्धारण और प्रशासनिक कार्यक्रमों का निर्माण होता है। सचिवालय राज्य प्रशासन के पर्यवेक्षण, निर्देशन और नियंत्रण का कार्य करता है।
राजस्थान सचिवालय की स्थापना 1949 में ‘The Rajasthan Administration Ordinance’ के माध्यम से हुई।
राजस्थान में सर्वप्रथम सचिवालयी कार्यों की शुरुआत जयपुर में शुरु हुई। राज्य स्तर पर सचिवालय एक ‘सूत्र’ (लाईन) एजेंसी है, जो कि निर्णयों को निष्पादित करता है तथा इससे नीचे निदेशालय होता है जो कि सचिवालयी विभागों को निर्णय लेने में सहायता उपलब्ध करवाता है।
राज्य प्रशासन का वास्तविक मुखिया (Defecto) मुख्यमंत्री होता है, जो सचिवालय का भी नियंत्रणकर्त्ता होता है। प्रमुख कार्यकारी को सहायता देने के लिए राज्यों में संघीय प्रशासन के समान ही मंत्रिमंडलीय समितियां और सचिवालय है। राज्य सचिवालय विभिन्न विभागों में विभक्त होता है जिसके पदसोपान के शीर्ष पर मुख्य सचिव है। कार्यकारी विभाग के प्रमुख को विभागाध्यक्ष कहा जाता है। विभागाध्यक्ष को निदेशक, संचालक, आयुक्त आदि नामों से पुकारा जाता है। राज्य का सारा सरकारी काम राज्य सचिवालय में होता है। राज्य सचिवालय का प्रधान ‘मुख्य सचिव’ कहलाता है। किसी राज्य के सचिवालय में कितने विभाग हों, इसका निर्धारण संबंधित राज्य का मंत्रिमंडल करता है।
राजनीतिक संगठन : संगठनात्मक दृष्टि से राज्य सचिवालय का ‘राजनीतिक मुखिया’ संबंधित मुख्यमंत्री होता है क्योंकि वह मंत्रिपरिषद् का अध्यक्ष भी होता है। सचिवालय प्रत्येक विभाग का राजनीतिक मुखिया केबिनेट मंत्री या राज्य मंत्री होता है। इनकी सहायता के लिए उपमंत्री एवं संसदीय सचिव होते हैं। इस प्रकार मंत्रिपरिषद् के सदस्य सचिवालय के विभिन्न विभागों के राजनीतिक प्रभारी होते हैं।
प्रशासनिक संगठन : सचिवालय का ‘प्रशासनिक मुखिया’ मुख्य सचिव होता है जो पूरे राज्य सचिवालय का प्रधान होता है। प्रशासनिक स्तर पर प्रत्येक विभाग का मुख्य अधिकारी ‘शासन सचिव’ या प्रमुख शासन सचिव होता है। इस पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवाओं का सुपर टाईम स्केल का अधिकारी आसीन होता है। सचिव के अधीन ‘अतिरिक्त/अपर सचिव’ या ‘विशेष सचिव’ का पद होता है। विशेष सचिव के अधीन कुछ सीनियर स्केल के आई.ए.एस. अधिकारी या राज्य प्रशासनिक सेवाओं के सुपरटाईम/सलैक्शन स्केल के अधिकारी पद स्थापित किये जाते हैं, जिन्हें ‘उप सचिव’ कहा जाता है। इसके पश्चात् राज्य सचिवालय सेवाओं के अधिकारी ‘अवर सचिव’ एवं ‘सहायक सचिव’ पद पर कार्यरत होते हैं। इन राजपत्रित अधिकारियों के अधीन आवश्यकतानुसार अन्य मंत्रालयिक कर्मचारी जैसे अधीक्षक (अनुभाग अधिकारी सहायक अधीक्षक), वरिष्ठ लिपिक, कनिष्ठ लिपिक स्टेनो तथा चतुर्थ श्रेणी कार्मिक इत्यादि भी नियुक्त किये जाते हैं।
राज्य प्रशासन की शीर्ष प्रशासनिक संस्था होने के कारण नीति निर्माण तथा अधीनस्थ संस्थाओं पर नियंत्रण का कार्य सचिवालय ही करता है। राज्य सचिवालय के कार्य निम्न होते हैं-
शासन सचिवालय सरकार का स्थायी अंग है जो राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद प्रशासनिक कार्यों को निर्बाध रूप से संचालित करता है। यह नीति निर्धारण, योजना क्रियान्वयन, और प्रशासनिक कार्यों के लिए आवश्यक है।
राजस्थान में सचिवालय तथा इसके विभागों की कार्यप्रणाली इत्यादि के संशोधन एवं सुधार हेतु गठित कमेटियों की सिफारिशों के अनुरूप कई परिवर्तन किये गये हैं। राजस्थान प्रशासनिक सुधार समिति 1963 (श्री हरिश्चन्द्र माथुर समिति), प्रशासनिक सुधार आयोग (1966-70), राजस्थान सचिवालय पुनर्गठन समिति 1969 (मोहन मुखर्जी समिति), सचिवालय प्रक्रिया समिति 1971, प्रशासन सुधार समिति 1992-95 (भनोत समिति) तथा राजस्थान प्रशासनिक सुधार आयोग 1999-2001 (शिवचरण माथुर आयोग) इत्यादि इस क्रम में उल्लेखनीय हैं।
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