दावणा | पशु को चरते समय छोड़ने के लिए पैरों में बांधी जाने वाली रस्सी |
हटडी | मिर्च मसाले रखने का यंत्र |
कुटी | बाजरे की फसल का चारा |
ओरणी | खेत में बीज को डालने के लिए हल के साथ लगाई जाती है इसको “नायलो” भी कहते है |
पराणी, पुराणी | बैलो या भैसों को हाकने की लकड़ी |
कुदाली, कुश | मिट्टी को खोदने का यंत्र |
ढींकळी | कुएँ के ऊपर लगाया गया यंत्र जो लकड़ी का बना होता है. |
चडस | यह लोहे के पिंजरे पर खाल को मडकर बनाया जाता है जो कुओं से पानी निकालने के काम आता है |
चू, चऊ | हल के निचे लगा शंक्वाकार लोहे का यंत्र |
पावड़ा | खुदाई के लिए बनाया गया उपकरण |
तांती | जो व्यक्ति बीमार हो जाता है उसके सूत या मोली का धागा बाँधा जाता है यह देवता की जोत के ऊपर घुमाकर बांधा जाता है |
बेवणी | चूल्हे के सामने राख (बानी) के लिए बनाया गया चौकोर स्थान |
जावणी | दूध गर्म करने और दही जमाने की मटकी |
बिलौवनी | दही को बिलौने के लिए मिट्टी का मटका |
नेडी | छाछ बिलौने के लिए लगाया गया खूंटा या लकड़ी का स्तम्भ |
झेरना | छाछ बिलोने के लिए लकड़ी का उपकरण इसको “रई” भी कहते है |
नेतरा, नेता | झरने को घुमाने की रस्सी |
छाजलो | अनाज को साफ करने का उपकरण |
बांदरवाल | मांगलिक कार्यों पे घर के दरवाजे पर पत्तों से बनी लम्बी झालर |
छाणों | सुखा हुआ गोबर जो जलाने के काम आता है |
बिजूका – (अडवो, बिदकणा) | खेत में पशु-पक्षियों से फसल की रक्षा करने के लिए मानव जैसी बनाई गयी आकृति |
उर्डो, ऊर्यो, ऊसरडो, छापर्यो | ऐसा खेत जिसमे घास और अनाज दोनों में से कुछ भी पैदा न होता हो |
अडाव | जब लगातार काम में लेने से भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाने पर उसको खाली छोड़ दिया जाता है |
अखड, पड़त, पडेत्या | जो खेत बिना जुता हुआ पड़ा रहता है |
पाणत | फसल को पानी देने की प्रक्रिया |
बावणी | खेत में बीज बोने को कहा जाता है |
ढूँगरा, ढूँगरी | जब फसल पक जाने के बाद काट ली जाती उसको एक जगह ढेर कर दिया जाता है |
बाँझड | अनुपजाऊ भूमि |
गूणी | लाव की खींचने हेतु बैलो के चलने का ढालनुमा स्थान |
चरणोत | पशुओं के चरने की भूमि |
बीड | जिस भूमि का कोई उपयोग में नहीं लिया जाता है जिसमें सिर्फ घास उगती हो |
सड़ो, हडो, बाड़ | पशुओं के खेतों में घुसने से रोकने के लिए खेत चारो तरफ बनाई गयी मेड |
गोफन | पत्थर फेकने का चमड़े और डोरियों से बना यंत्र |
तंगड-पट्टियाँ | ऊंट को हल जोतते समय कसने की साज |
चावर, पाटा, पटेला, हमाडो, पटवास | जोते गए खेतों को चौरस करने का लकड़ी का बना चौड़ा तख्ता |
जावण | दही जमाने के लिए छाछ या खटाई की अन्य सामग्री |
गुलेल | पक्षी को मारने या उड़ाने के लिए दो - शाखी लकड़ी पर रबड़ की पट्टी बांधी जाती जसमे में बीच में पत्थर रखकर फेंका जाता है |
ठाण | पशुओं को चारा डालने का उपकरण जो लकड़ी या पत्थर से बनाया जाता है |
खेली | पशुओं के पानी पिने के लिय बनाया गया छोड़ा कुंड |
दंताली | खेत की जमीन को साफ करना तथा क्यारी या धोरा बनाने के लिए काम में ली जाती है |
लाव | कुएँ में जाने तथा कुएँ से पानी को बाहर निकालने के लिए डोरी को लाव कहा जाता है |
रेलनी | गर्मी या ताप को कम करने के लिए खेत में पानी फेरना |
नीरनी | मोट और मूँग का चारा |
नाँगला | नेडी और झेरने में डालने की रस्सी |
सींकळौ | दही को मथने की मथनी के साथ लगा लोहे का कुंदा |
लूण्यो | मक्खन. इसको “घीलडी” नामक उपकरण में रखा जाता है |
ओबरी | अनाज व उपयोगी सामान को रखने के लिय बनाया गया मिट्टी का उपकरण (कोटला) |
नातणौ | पानी, दूध, छाछ को छानने के काम आने वाला वस्त्र |
थली | घर के दरवाजे का स्थान |
नाडी - तलाई | पानी के बड़े गड्डो को तलाई आय नाडी कहा जाता है |
मेर | खेत में हँके हुए भाग के चरों तरफ छोड़ी गयी भूमि |
जैली | लकड़ी का सींगदार उपकरण |
रहँट | सिंचाई के लिए कुओं से पानी निकालने का यंत्र |
सूड | खेत जोतने से पहले खेत के झाड-झंखाड को साफ करना |
लावणी | किसान द्वारा फसल को काटने के लिए प्रयुक्त किया गया शब्द |
खाखला | गेंहू या जौ का चारा |
निंनाण | खेत से खरपतवार हटाना |
खलों | अनाज निकालने का स्थान |
दंताणी | कचरा इक्कठा करने का उपकरण |
जेली | दो सींग का लकड़ी का उपकरण जिससे लकड़ी इक्की की जाती है |
चौसींगी | चार सींग का उपकरण जिसे अनाज निकालने में प्रयोग किया जाता है |
दांती | फसल काटने का उपकरण |
कुदाली, कस्सी, पावड़ा | खुदाई के उपकरण |
हल/सीर | भूमि जोतने के काम आने वाले उपकरण |
गैंती | कठोर जमीन की खुदाई के उपकरण |
उनालू/रबी/हाड़ी | सर्दियों में बोई जाने वाली फसल, जैसे - गेहूं, चना |
स्यालू/खरीफ/सावणी | गर्मियों में बाई जाने वाली फसल, जैसे - ज्वार, बाजरा, मूंग, कपास |
बुवाई | खेत को जोतना |
हींसू | पत्थर खोदने का मजबूत लोहे का उपकरण |
बाड़ | पशुओं को खेत में नुकसान करने से रोकने के लिये लकड़ियों से बनाई गई दीवार |
खाई | पशुओं को खेत में घुसने से रोकने के लिये जमीन खोदकर बनाई गई दीवार |
झोंपड़ी | घास-फूस से तैयार किया गया मकान |
मचान/डागला | झोंपड़ीनुमा |
खूंटा | पशुओं को बांधने के लिये जमीन में गाढ़ी गई लकड़ी |
मेख | जमीन या दीवार में लगाई गई कील |
थेपड़ी | गोबर को हाथ से थेपकर सुखाना |
छाणा | गोबर को बिना थेपे ही सुखाना |
कण्डे/आरणा | जंगल से चूनकर लाये गये छाणे |
रोड़ी/कुरड़ी | गोबर-कचरे का ढेर |
बान | बुवाई से पूर्व भूमि को पोला करना |
जुड़ा | हल खिंचने के लिये बैलों के कंधों पर लगा डंगा |
समेल | जुड़े के दोनों ओर सुराख निकालकर डाली गई लकड़ी |
हकन/नूणिंया/नाड़ा | जुड़े व हल के बीच लगी रस्सी |
रखत | कुछ समय के लिये बिना बुवाई छोड़ी गई भूमि |
हड़ावो | बिना बुवाई की गई भूमि |
अडाण | सिंचाई योग्य भूमि |
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