अनुच्छेद 164 के अनुसार मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्यमंत्री के परामर्श से करेगा।
मुख्यमंत्री किसी दोनों में से किसी भी सदन का सदस्य हो सकता है, यदि नहीं है तो 6 माह के अन्दर सदस्यता ग्रहण करनी पड़ेगी। सामान्यतः मुख्यमंत्री निचले सदन(विधानसभा) से चुना जाता है लेकिन अनेक अवसरों पर उच्च सदन(विधान परिषद) के सदस्य को भी बतौर मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया है।
मुख्यमंत्री राज्य का वास्तविक मुखिया होता है।
सामान्यत मुख्यमंत्री का कार्यकाल 5 वर्ष या जब तक विधानसभा में विश्वास प्राप्त है। अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर राज्यपाल मुख्यमंत्री एवं मंत्रिपरिषद् को पदच्युत कर राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकता है।
वेतन ओर भत्ते राज्य विधानमण्डल द्वारा निर्धारित किये जाते हैं।
मुख्यमंत्री के कार्य एवं शक्तियों का विवेचन निम्न बिंदुओं के आधार पर कर सकते हैं -
मंत्रियां के बीच कार्यों व विभागों का बंटवारा करना।
मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करना तथा मंत्रियों के क्रियाकलापों में सहयोग एवं समन्वय स्थापित करना।
वह किसी भी मंत्री को त्याग पत्र देने को कह सकता है या उसे बर्खास्त करने की सिफारिश राज्यपाल से कर सकता है।
मुख्यमंत्री के इस्तीफे या मृत्यु की स्थिति में मंत्रिपरिषद स्वतः विघटित हो जाती है।
वह राज्यपाल से विधानसभा को विघटित करने की सिफारिश कर सकता है।
मुख्यमंत्री राज्यपाल व मंत्रीपरिषद के बीच कड़ी का कार्य करता है।
राज्यपाल द्वारा महत्वपूर्ण अधिकारियों की नियुक्ति(जैसे- महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य, राज्य निर्वाचन आयुक्त) मुख्यमंत्री के परामर्श से की जाती है।
विधानसभा का सत्र बुलाने या स्थगित करने के संबंध में राज्यपाल को सलाह देता है।
वह सभापटल पर सरकारी नीतियों की घोषणा करता है।
मुख्यमंत्री राज्य सरकार का प्रमुख प्रवक्ता होता है।
वह राज्य योजना बोर्ड का अध्यक्ष होता है।
क्षेत्रीय परिषद का उपाध्यक्ष का पद ग्रहण करता है।
अन्तर्राज्यीय परिषद(अनुच्छेद 263) और राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठकों में भाग लेकर राज्य का प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि इनकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करता है।
अनुच्छेद 163
राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी। जिसका प्रधानमुख्यमंत्री होगा। स्वविवेकीय शक्तियों को छोड़कर अन्य मामलों में राज्यपाल मुख्यमंत्री के परामर्श के अनुसार कार्य करेगा।
अनुच्छेद 164(1)
मुख्यमंत्री की नियुक्त राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्यमंत्री के परामर्श से करेगा और मंत्री राज्यपाल के प्रसादपर्यन्त पद धारण करेंगे।
अनुच्छेद 167
राज्यपाल को जानकारी देने आदि के संबंध में मुख्यमंत्री के कत्र्तव्य
राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री थे।
पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल थे।
जयनारायण व्यास एकमात्र मनोनीत एवं निर्वाचित मुख्यमंत्री थे।
मोहनलाल सुखाड़िया सर्वाधिक अवधि(चार बार) तक मुख्यमंत्री रहे।
मुख्यमंत्री बरकतुल्ला खां के समय भारत-पाक युद्ध(1971) हुआ। इनकी मृत्यु कार्यकाल के दौरान हुई।
मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के समय आपातकाल लागू हुआ।
भैरोंसिंह शेखावत पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने।
जगन्नथ पहाड़िया पहले अनुसूचित जाति के मुख्यमंत्री बने।
हीरा लाल देवपुरा सबसे कम समय तक मुख्यमंत्री रहे।
वसुंधरा राजे सिंध्यिा पहली महिला मुख्यमंत्री बनी।
वर्तमान में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री हैं।
मुख्यमंत्री का नाम | पद ग्रहण | पद मुक्त | राजनीतिक दल |
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हीरा लाल शास्त्री | 07 अप्रेल 1949 | 05 जनवरी 1951 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
सी एस वेंकटाचारी | 06 जनवरी 1951 | 25 अप्रेल 1951 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जय नारायण व्यास | 26 अप्रेल 1951 | 03 मार्च 1952 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
टीका राम पालीवाल | 03 मार्च 1952 | 31 अक्टूबर 1952 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जय नारायण व्यास [2] | 01 नवम्बर 1952 | 12 नवम्बर 1954 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
मोहन लाल सुखाडीया | 13 नवम्बर 1954 | 11 अप्रेल 1957 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
मोहन लाल सुखाडीया [2] | 11 अप्रेल 1957 | 11 मार्च 1962 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
मोहन लाल सुखाडीया [3] | 12 मार्च 1962 | 13 मार्च 1967 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
राष्ट्रपति शासन (13 मार्च 1967 से 26 अप्रेल 1967 तक) | |||
मोहन लाल सुखाडीया [4] | 26 अप्रेल 1967 | 09 जुलाई 1971 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
बरकतुल्लाह खान | 09 जुलाई 1971 | 11 अगस्त 1973 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
हरी देव जोशी | 11 अगस्त 1973 | 29 अप्रेल 1977 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
राष्ट्रपति शासन (29 अगस्त 1973 से 22 जून 1977 तक) | |||
भैरों सिंह शेखावत | 22 जून 1977 | 16 फरवरी 1980 | जनता पार्टी |
राष्ट्रपति शासन (16 मार्च 1980 से 6 जून 1980 तक) | |||
जगन्नाथ पहाड़ीया | 06 जून 1980 | 13 जुलाई 1981 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
शिव चंद्र माथुर | 14 जुलाई 1981 | 23 फरवरी 1985 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
हीरा लाल देवपुरा | 23 फरवरी 1985 | 10 मार्च 1985 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
हरी देव जोशी [2] | 10 मार्च 1985 | 20 जनवरी 1988 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
शिव चंद्र माथुर [2] | 20 जनवरी 1988 | 04 दिसम्बर 1989 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
हरी देव जोशी [3] | 04 दिसम्बर 1989 | 04 मार्च 1990 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
भैरों सिंह शेखावत [2] | 04 मार्च 1990 | 15 दिसम्बर 1992 | भारतीय जनता पार्टी |
राष्ट्रपति शासन (15 दिसम्बर 1992 से 4 दिसम्बर 1993 तक) | |||
भैरों सिंह शेखावत [3] | 04 दिसम्बर 1993 | 29 दिसम्बर 1998 | भारतीय जनता पार्टी |
अशोक गहलोत | 01 दिसम्बर 1998 | 08 दिसम्बर 2003 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
वसुन्धरा राजे सिंधिया | 08 दिसम्बर 2003 | 11 दिसम्बर 2008 | भारतीय जनता पार्टी |
अशोक गहलोत [2] | 12 दिसम्बर 2008 | 13 दिसम्बर 2013 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
वसुन्धरा राजे सिंधिया [2] | 13 दिसम्बर 2013 | 17 दिसम्बर 2018 | भारतीय जनता पार्टी |
अशोक गहलोत [3] | 17 दिसम्बर 2018 | पदस्थ | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
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