माल, मनुष्य व संदेशों को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाने की प्रक्रिया परिवहन कहलाती है।
राजस्थान में मुख्य रूप से 3 प्रकार का परिवहन है
राजस्थान में सर्वप्रथम राजकीय बस सेवा 1952 में टोंक में प्रारम्भ की गई।
राज्य सरकार द्वारा 1994 में सड़क निति घोषित की गई थी जिसका प्रमुख उद्देश्य सड़क क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना था राजस्थान सड़क निति घोषित करने वाला देश का प्रथम राज्य है
राज्य में सड़क विकास नीति पहली बार दिसंबर 1994 में लागू की गई थी राज्य में सितंबर 2013 में द्वितीय नई राज्य सड़क विकास नीति घोषित की गई थी
राजस्थान में ग्रामीण रोड़वेज बस सेवा 14 दिसंबर, 2012 को उदयपुर जिले से प्रारम्भ हुई।
राज्य में मार्च, 2018 तक कुल सड़कों की लम्बाई 2,36,572.27 किमी. तथा सड़कों का घनत्व 69.12 किमीप्रति 100 वर्ग किमी. था।
राष्ट्रीय राजमार्ग का संचालन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है एवं इसके निर्माण एवं रख-रखाव का कार्य राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण करता है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(NHAI) की स्थापना भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम 1988 के अन्तर्गत 1995 में की गई। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के वर्तमान(Dec 2021) प्रमुख अल्का उपाध्याय हैं।
नोट - राष्ट्रीय राजमार्गो के नम्बर नये आवंटित किये गये हैं।
राजस्थान में राष्ट्रीय उच्च मार्गो की संख्या 39 है जिनकी राजस्थान में लंबाई 8202 किमी. है।(31 मार्च 2017 तक)
राज्य में सबसे लंम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग - एनएच 15(नया 68, 11, 62) - 875 किमी.।
राज्य में सबसे छोटा राष्ट्रीय राजमार्ग - एनएच 919(पुराना 71बी) - 4.7 किमी.।
राज्य का सबसे व्यस्त राष्ट्रीय राजमार्ग - एनएच 48, 58(पुराना 8)।
राष्ट्रीय राजमार्गो की सर्वाधिक लंबाई - उदयपुर जिले में।
राष्ट्रीय राजमार्गो की न्युनतम लंबाई - सवाईमाधोपुर जिले में।
सर्वाधिक जिलों से गुजरने वाला -एनएच 27(पुराना 76) - 7 जिलों से गुजरता है।
राजस्थान से गुजरने वाले मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग
रा. राज. संख्या(पुरानी संख्या) | मार्ग का नाम | संबंधित जिले | राज्य में कुल ल. किमी. में | विशेष |
---|---|---|---|---|
44(3) | श्रीनगर-आगर-धौलपुर-मुंबई-कन्याकुमारी | धौलपुर(1) | 28.29 | एक जिले से गुजरता है। |
48,58(8) | दिल्ली-मुंबई | अलवर, जयपुर, अजमेर, राजसमंद, उदयपुर, डुंगरपुर(6) | 704 | देश का व्यस्तम हाइवे, देश का पहला एक्सप्रेस हाइवे |
52(12) | जयपुर जबलपुर | जयपुर, टोंक, भीलवाड़ा, बुंदी, कोटा, झालावाड़(6) | 419 | |
15 | पठानकोट-कांडला | गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर(7) | 893.5 | |
27(76) | पिण्डवाड़ा-उदयपुर-चित्तौड़गढ़-कोटा-शिवपुरी | सिरोही, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, बूंदी, कोटा, बारां(7) | 639 | पूर्व-पश्चिम कोरिडोर का हिस्सा |
11सी | चन्दवाजी-जयपुर | जयपुर(1) | 28 | एक ही जिले से गुजरता है। |
448(79ए) | किशनगढ़-नसीराबाद | अजमेर(1) | 38 | एक जिले से गुजरता है। |
58 विस्तार(76ए) | उदयपुर-ईडर | उदयपुर(1) | 87 | एक जिले से गुजरता है। |
919(71बी) | रेवाड़ी धारूहेड़ा | अलवर(1) | 4.7 | एक जिले से गुज`रता है। |
पीले रंग का पेंटेड माइलस्टोन या मील का पत्थर भारत में सिर्फ राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही लगाए जाते हैं-
राज्य सरकार द्वारा 1994 में सड़क निति घोषित की गई थी।
सड़कों के विकास, प्रचालन, सुरक्षा एवं राजमार्गो तथा सलंग्न भूमियों के नियमन हेतु राजस्थान राजमार्ग अधिनियम 2014, विधानसभा द्वारा पारित कर 8 मई 2015 से लागू किया गया।
राजस्थान स्टेट हाइवेज आथोरिटी का गठन दिनांक 2 जून, 2015 को किया गया।
सबसे बड़ा राज्य उच्च मार्ग - एसएच-1(432.80 किमी.)
सबसे छोटा राज्य उच्च मार्ग - एसएच-19बी(15.5 किमी.), एसएच-49(15.5 किमी.)
राज्य राजमार्गो की कुल लंबाई - 15437.85 किमी.।
मुख्य जिला सड़कों की कुल लंबाई - 8462.10 किमी.।
अन्य जिला सड़कों की कुल लंबाई - 31431.17 किमी.।
ग्रामीण सड़कों की लंबाई - 163320.54 किमी.।
राज्य में सड़कों की कुल लंबाई - 226853.86 किमी.।
राज्य में सड़क घनत्व - 66.29 किमी./100 वर्ग किमी.
राज्य में सड़क घनत्व - 331.17 किमी./लाख जनसंख्या
राजस्थान में सड़कों की सर्वाधिक लम्बाई बाड़मेर में है।
राजस्थान में सड़कों की न्यूनतम लम्बाई धौलपुर में है।
सड़कों से जुड़े सर्वाधिक गांवों वाला जिला - गंगानगर।
सड़कों से जुड़े न्यूनतम गांवों वाला जिला - सिरोही।
सड़कों से जुड़े हुए सर्वाधिक ग्राम पंचायतों वाला जिला - उदयपुर।
सड़कों से जुड़े हुए न्यूनतम ग्राम पंचायतों वाला जिला - जैसलमेर।
इसकी स्थापना 1 अक्टुबर 1964 को हुई इसका मुख्यालय जयपुर में है।
स्थापना 8 फरवरी 1979 में हुई। तब इसका नाम राजस्थान स्टेट ब्रिज लि. था। 19 फरवरी 2001 को नाम परिवर्तीत कर राजस्थान सड़क विकास एवं निर्माण निगम कर दिया गया।
इसकी स्थापना अक्टूबर 2004 में राजस्थान सरकार , इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग व फाइनेंशियल सर्विसेज की 50ः50 भागीदारी से हुई। यह उपक्रम मेगाहाइवे परियोजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है।
स्थपना 1974 में हुई इसका मुख्यालय जयपुर में है।
राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना(एनएचडीपी) का प्रारंभ भारतीय राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण द्वारा 1999-2000 में किया गया। इसको वित्त सहायता केन्द्रीय सड़क निधि, विश्व बैंक, एशियाई बैंक व जेबीआईसी(जापान) द्वारा की गई। इस परियोजना के प्रथम चरण को स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के नाम से जाना जाता है। परियोजना के द्वितीय चरण(1) को पूर्व-पश्चिम कोरिडोर के नाम से जाना जाता है। परियोजना के द्वितिय चरण(2) को उत्तर-दक्षिण कोरिडोर के नाम से जाना जाता है। परियोजना के तीसरे चरण में 4 लेन व चौथे चरण में 2 लेन राजमार्गो को निर्माण किया गया।
इस परियोजना के पांचवें चरण में प्रथम चरण(स्वर्णिम चतुर्भुज योजना) के सड़क मार्ग को 4 से 6 लेन करने की योजना है। इसके छठे चरण के तहत एक्सप्रेस वे का निर्माण करने की योजना है।। राजस्थान का पहला छः लेन एक्सप्रेस हाइवे जयपुर-किशनगढ़ है। इस परियोजन के सप्तम चरण के तहत रिंग रोड़, बाईपास फ्लाईओवर आदि का निर्माण किया जाना है।
योजना मार्ग में आने वाले जिले
चंबल एक्सप्रेस परियोजना मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान से गुजरेगी। यह स्वर्णिम परियोजना दिल्ली-कोलकाता गलियारे, उत्तर-दक्षिण गलियारे, पूर्व-पश्चिम गलियारे और दिल्ली-मुंबई राजमार्ग को जोड़ेगी।
25 दिसंबर 2000 को प्रारम्भ इस योजना के अंतर्गत राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों के अंतर्गत सड़कों का विकास व निर्माण किया जा रहा है। वर्ष 2015-16 से इस योजना में 60 प्रतिशत निधि केन्द्रीय सरकार व 40 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा उपब्ध कराई जाएगी। इससे पूर्व 100प्रतिशत निधि केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रदान की जाती थी।
यह योजना 7 अक्टूबर, 2005 को शुरू की गई। इस योजना में मुख्य धार्मिक व पर्यटन स्थलों को जोड़ने हेतु सड़कों का निर्माण कराया जाएगा व प्रत्येक जिले में एक आदर्श सड़क का निर्माण करवाया जाएगा।
यह देश के सीमावर्ती इलाकों(बीकानेर, जैसलमेर, गंगानगर, बाड़मेर) में सामरिक महत्व की सीमावर्ती सड़कें बनाने की सीमा सड़क संगठन(स्थापना 1960, मुख्यालय नई दिल्ली) की परियोजना है।
राज्य में सड़कों के मध्य छुटे हुए कई हिस्सों को पूर्ण करने की योजना 2007-08 में प्रारम्भ की गई।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में हरित सड़क योजना के तहत राज्य में राज्य और जिला मार्गो को चौड़ा किया जाएगा व किनारे पर पेड़ लागाये जाएंगे।
2014-15 में प्रारम्भ इस योजना के तहत प्रत्येक पंचायत मुख्यालय पर .5 से 2 किमी. लंबी सड़क का निर्माण ‘ग्रामीण गौरव पथ’ के रूप में मय नाली किया जाएगा।
निर्भया बस(महिला गौरव एक्सप्रेस) - महिलाओं को सुरक्षित परिवहन उपलब्ध कराने के लिए केन्द्रीय सड़क विकास मंत्री श्री नितिन गड़करी ने राजस्थान राज्य परिवहन निगम की 20 ‘निर्भया बसों’ को 25 मई 2016 को लोकार्पण किया।
राजस्थान लोक परिवहन सेवा - इस बस सेवा का शुभारंभ 13 नवम्बर 2015 को मुख्यमंत्री द्वारा किया गया।
बूंदी सड़क परिवहन सुरंग - यह एनएच 52 पर 1.076 किमी. लम्बी सुरंग अगस्त, 2015 में शुरू की गई।
चीरवा घाट सुरंग - यह सुरंग उदयपुर में चीरवा घाट की तलहटी में बनाई गई है। जो राष्ट्रीय राजमार्ग स. 58(पुरानी संख्या 8) पर स्थित है।
ई-टोल - जयपुर किशनगढ़ एक्सप्रेस वे प्रदेश का पहला हाईवे है जहां ई-टोल है। इलेक्ट्रोनिक टोल कलेक्शन के द्वारा टोल पर बिना रूके सिर्फ टैग स्केन के जरिए टैक्स कट जाता है।
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21(पुराना 11) राजस्थान को उत्तर प्रदेश से जोड़ता है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 पर स्थित है।
देश की पहली पॉल्यूशन फ्री टनल जयपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 स्थित है इसका नाम घाट की गुणी सुरंग है।
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 168 राजस्थान को गुजरात से जोड़ता है।
देश की सबसे बड़ी सड़क सड़क सुरंग चेनानी-नसरी सुरंग(जम्मू-कश्मीर, एनएच 44) है।
भारत में सर्वाधिक लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 44 है जिसे 7 राष्ट्रीय राजमार्गो को मिलाकर सृजित किया गया है। यह 3745 किमी. लंबा है। श्रीनगर से कन्याकुमारी तक।
दिल्ली-मुंबई इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर(1483 किमी.) परियोजना का 40 प्रतिशत(576 किमी.) हिस्सा राजस्थान में है।
प्रमुख अफगान बादशाह शेरशाह सूरी को सड़क निर्माता भी कहा जाता है। इसने बंगाल से आगरा दिल्ली होते हुए क्वेटा(पाकिस्तान) तक ग्रांड ट्रक रोड़ बनवायी।
भारत के संविधान में रेलवे को संघ सूची का विषय बनाया गया है। रेलवे विकास का दायित्व केंद्र सरकार के अन्तर्गत रेल मंत्रालय का है।
भारत में रेलमार्गो का निर्माण 1850 में तत्कालीन वायसराय लाॅर्ड डलहौजी के कार्यकाल में आरम्भ हुआ। देश में पहली रेलगाड़ी 22 दिसंबर 1851 को रूड़की में निर्माण कार्य के माल ढुलाई के लिए चलाई गई। आधिकारिक तौर पर 16 अप्रैल 1853 को देश की पहली रेलगाड़ी बोरीबंदर(मुंबई) से थाने के बीच(33.81 किमी.) चलाई गई। इस रेलगाड़ी को तीन लोकोमोटिव इंजनों साहिब, सिंध, और सुल्तान ने खींची थी। यह रेल ग्रेट-इण्डियन पेनिनस्यूलर रेलवे कम्पनी ने स्थापित की।
1925 में एटंवर्थ कमेटी की सिफारिश पर रेल बजट को आमबजट से अलग किया गया। 2017-18 में पुनः रेलवे बजट को आम बजट में शामिल कर लिया गया।
विश्व में सबसे प्राचीन चालु इंजन फेयरी क्वीन है। भारती की पहली विधुत रेल ‘डेक्कन क्वीन’ थी, जिसे 1929 में कल्याण से पुणे के बीच चलाया गया।
भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण 1951 में किया गया।
वर्तमान में भारत में कुल 73 रेलमंडल है जो 17 रेल जोन के अंतर्गत कार्य करते हैं। कोलकत्ता मेट्रो को 17वें रेलवे जोन के रूप में स्थापना की स्वीकृती 29 दिसंबर 2010 को मिली। बजट 2011-12 में 17वां रेलवे जोन बनाया गया। इसका मुख्यालय कोलकत्ता में है।
केन्द्रीय रेलवे मंत्री पियूष गोयल ने आंध्र प्रदेश के लिए नए रेलवे जोन “दक्षिणी तटीय रेलवे जोन” के निर्माण की घोषणा की, इसका मुख्यालय विशाखापट्नम में स्थित होगा। इस रेलवे जोन में गुंतकल, गुंटूर तथा विजयवाड़ा डिवीज़न शामिल होंगे। यह डिवीज़न केन्द्रीय रेलवे के अधीन आते हैं। यह दक्षिणी तटीय रेलवे जोन देश का 18वां रेलवे जोन होगा। वर्तमान में भारत में 17 रेलवे जोन तथा 73 डिवीज़न हैं।
भारत में सबसे बड़ा जोन उत्तर रेलवे व सबसे छोटा जोन मेट्रो रेल्वे कोलकत्ता है। सिक्किम को रेल नेटवर्क से जोड़ने के हेतु ‘सिवोक रांगपो परियोजना’ चलाई गई।
भारतीय रेल्वे अमेरिका, चीन व रूस के बाद विश्व में चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। 31 मार्च 2020 तक देश में रेलमार्गो की कुल लंबाई 67,956 किमी. हो चुकी थी। भारत में रेलमार्गो की सर्वाधिक लंबाई उत्तर प्रदेश में है।
पहली वंदे भारत एक्सप्रेस इस साल फरवरी में दिल्ली और वाराणसी के बीच शुरू हुई थी।
दूसरी वंदे भारत एक्सप्रेस दिल्ली और कटरा के बीच शुरू हुई।
नई दिल्ली-लुधियाना इंटरसिटी एक्सप्रैस का नाम बदलकर सरबत दा भला रखा गया है।
लखनऊ-नई दिल्ली तेजस एक्सप्रैस देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन है।
80 घंटे और 15 मिनट और लगभग 55 शेड्यूल स्टॉप के साथ, विवेक एक्सप्रेस भारत के सबसे लंबे ट्रेन रूट को कवर करती है। यह असम के डिब्रूगढ़, उत्तर-पूर्व भारत से कन्याकुमारी, तमिलनाडु तक जुड़ता है जो कि मुख्यभूमि भारत का सबसे दक्षिणी छोर है। यह डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी तक कुल 4286 किमी की दूरी तय करती है। 2013 में होने वाली स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती मनाने के लिए इन ट्रेनों को शुरू किया गया था।
जॉन मथाई स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री थे।
रेल मुसाफिरों को अब गप्पू भैया सुरक्षित सफर के तरीके बताएंगे। रेलवे ने आम लोगाें को समझाने के लिए गप्पू भैया नाम से एक कार्टून कैरेक्टर लॉन्च किया है, जिसकी 9 अलग-अलग एनिमेशन फिल्म की सीरीज तैयार की गई हैं।
यह एक टक्कर रोधी तकनीक (anti – collision technology) है। इसे स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। यह SIL4 प्रमाणित है। यह प्रौद्योगिकी भारत को शून्य दुर्घटनाओं के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी। जैसे ही यह तकनीक एक निश्चित दूरी के भीतर उसी ट्रैक में दूसरी ट्रेन का पता लगाती है, तो यह तकनीक ट्रेन को रोक देगी।
यह प्रौद्योगिकी माइक्रो प्रोसेसर, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम और रेडियो संचार का उपयोग करती है। टक्कर रोधी उपकरण ट्रेनों में लगे होते हैं। यह उपकरण उपग्रह से इनपुट प्राप्त करते हैं। वे एक दूसरे के साथ मॉडेम के माध्यम से संवाद करते हैं। जब वे उसी ट्रैक पर दूसरी ट्रेन का पता लगाते हैं तो वे स्वचालित ब्रेक (automatic brakes) लगाते हैं।
राजस्थान में प्रथम रेल(मीटरगेज लाइन) जयपुर रियासत में आगरा फोर्ट से बांदीकुई के बीच अप्रैल 1874 में चलाई गई। 11 अगस्त 1879 को अजमेर में लोको कारखाना स्थापित किया गया जिसमें 1895 में पहला लोको इंजन बनकर तैयार हुआ। आजादी से पूर्व बीकानेर व जोधपुर रियासतों ने सर्वप्रथम अपने निजी रेलमार्ग स्थापित किये।
राजस्थान में 31 मार्च 2017 तक रेलमार्गो की लम्बाई 5894 किमी. थी।(प्रेस ब्योरो रेल मंत्रालय के अनुसार)
जो कि भारत के कुल रेलमार्ग का लगभग 8.7 प्रतिशत है।
जिसमें से 20 प्रतिशत यानी लगभग 1185 किमी. विधुतीकृत है।
भारतीय रेलवे के पांच रेलवे जोन उपरे(जयपुर), उरे(दिल्ली), परे(मुंबई), पमरे(जबलपुर) एवं उमरे(अलाहाबाद) का कार्यक्षेत्र राजस्थान में पड़ता है।
जिनमें एक जोन उत्तर पश्चमी रेलवे का मुख्यालय राजस्थान में है। तथा पंाच मण्डल के कार्यलय राजस्थान में है। उत्तर पश्चमी जोन 14 जून, 2002 को बनाया गया, जिसका मुख्यालय जयपुर में है। इसमें चार मण्डल शामिल है 1. जयपुर, 2. अजमेर, 3. बीकानेर, 4. जोधपुर। राज्य का 5. कोटा मण्डल पश्चिमी-मध्य जोन के अन्तर्गत आता है जिसका मुख्यालय जबलपुर है। पश्चिम मध्य रेलवे देश का पहला पूरी तरह से विद्युतीकृत रेलवे जोन है।
पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर में डबल स्टैकर ट्रेन का ट्रायल रन किया गया। यह ट्रेन राजस्थान और हरियाणा के रिवाड़ी-मदर स्टेशन(अजमेर) में चलायी जायेगी। DFCIL (Dedicated Freight Corporation India Limited) वर्तमान में 75 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से मालगाड़ियों का परिचालन कर रहा है। अब इन मालगाड़ियों की गति को 100 किलोमीटर प्रति घंटा किये जाने की योजना है।
रेलवे ट्रैक की गंदगी को खत्म करने और प्लेटफार्म को साफ-सुधरा रखने के लिए भारतीय रेलवे ने अब तक कई अहम कदम उठाए हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण कदम यात्री ट्रेनों के कोच में बायो टॉयलेट लगाना है। इस काम में पश्चिम मध्य रेलवे जोन (पमरे- मुख्यालय जबलपुर) ने बाजी मार ली है। जोन ने अपने तीनों रेल मंडल जबलपुर, भोपाल और कोटा की सभी ट्रेनों के 1750 से अधिक कोच में बायो टॉयलेट लगाने का काम पूरा कर लिया है।
1992 में भारतीय रेलवे द्वारा प्रारंभ की गई यूनिगेज योजना के तहत् राज्य में मीटरगेज रेलमार्गो को तीव्रता से बाॅडगेज रेलमार्गो में परिवर्तित किया जा रहा है।
ब्रोड गेज - 4868.06 किमी.(पटरियों के मध्य दुरी 1.67 मी.)
मिटर गेज - 915.56 किमी.(पटरियों के मध्य दुरी 1/1.06 मी.)
प्रारम्भ में राजस्थान में मिटर गेज था।
नैरो गेज - 86.76 किमी.(पटरियों के मध्य दुरी .76 मी.)
नैरो गेज केवल धौलपुर में है।
बांसवाड़ा जिला रेल लाइन से जुड़ा हुआ नहीं है। डुंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल लाइन प्रोजेक्ट पुरा होने पर यह रेल लाइन से जुड़ जाएगा।
डूंगरपुर बांसवाड़ा रतलाम रेल लाइन परियोजना - इस रेल मार्ग के निर्माण के लिए 31 मई 2011 को नई दिल्ली में रेलवे बोर्ड व राज्य सरकार के बीच एमओयू साइन हुआ था। 3 जून 2011 को बांसवाड़ा में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा इस रेल लाइन का शिलान्यास किया गया। इसकी कुल लंबाई 176.4 किमी. है। देश में पहली बार किसी भी राज्य सरकार द्वारा ऐसी वृहत रेल परियोजना के लिए भूमि सहित 1250 करोड़ दिए जा रहे हैं।
उत्तर-पश्चिमी रेलवे की अंतरराष्ट्रीय रेल सेवा ‘थार एक्सप्रेस’ मुनाबाव(बाड़मेर) से खोखरापार(पाकिस्तान) के मध्य चलती है। जोधपुर से मुनाबाव(250 किमी.) जाने वाली ट्रेन ‘लिंक एक्सप्रेस’ कहलाती है।
दिल्ली-मुंबई रेलवे लाइन पर स्थित भवानी मंडी रेलवे स्टेशन (झालावाड़) से 2 राज्यों (मध्य प्रदेश और राजस्थान) की सीमा गुज़रती है। एक तरफ मध्य प्रदेश जबकि दूसरी तरफ राजस्थान है।
सिमको की स्थापना वर्ष 1957 में हुई थी, जिसे 13 नवम्बर, 2000 को बंद कर दिया गया। 9 अक्टूबर, 2008 को इसे पुनः चालु किया गया। इसे टीटगढ़ वैगन्स लि. कम्पनी ने शुरू किया है।
यह केंन्द्र 9 अक्टूबर 1965 को स्थापित किया गया था। इस केद्र में भारत का सबसे बड़ा रेलवे माॅडल कक्ष है।
इस केंद्र का निर्माण पचपद्रा(बाड़मेर) में किया गया यहां तेज गति से चलने वाली ट्रेनों का परिक्षण यिा जाएगा।
ऐशिया का मीटर गेज का सबसे बड़ा यार्ड - फुलेरा जंक्शन है।
जयपुर मेट्रो परियोजना के लिए केबिनेट ने जयपुर मेट्रो काॅर्पोरेशन का गठन 1 जनवरी 2010 को किया। मेट्रो का संचालन इसी कंपनी की जिम्मेदारी है। 24 फरवरी, 2011 को जयपुर मेट्रो के प्रथम चरण का अधिकृत शिलान्यास किया गया। 3 जून, 2015 को जयपुर देश का छठा(कोलकत्ता, दिल्ली, बैंग्लोर, मुम्बई, गुड़गांव) शहर बना जहां मेट्रो चली। प्रथम चरण में चांदपोल से मानसरोवर तक मेट्रो का शुभारम्भ किया गया। यह ट्रेक देश का पहला और एशिया का दुसरा एलिवेटेड ट्रेक है जहां जमीन से ऊपर एलिवेटेड रोड और उसके ऊपर ही गुजरती मेट्रो रेल, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में एशिया का ऐसा पहला थ्री डेक ट्रेक है।
दार्जिलिंग हिमालयान रेल को यूनेस्कां ने विश्व धरोहर घोषित किया है।
देश की प्रथम रेल बस ‘इजरा’ 1939 में बनी थी।
पहली रेल-बस सेवा मेड़ता रोड़ से मेड़ता सिटी नागौर(1994) के बीच प्रारंभ की गई।
फेयरी क्वीन विश्व में सबसे पुराना एवं वर्तमान में कार्यरत भाप का इंजन , जो 1885 में निर्मित हुआ था।
भारतीय संविधान में विमान पत्तन(एयरपोर्ट) संघ सुची का विषय है।
1911 में भारत में वायु परिवहन की शुरूआत हुई। इलाहबाद से नैनी के बीच विश्व की सर्वप्रथम विमान डाक सेवा का परिवहन किया गया।
1932 में जेआरडी(जहांगीर रतनजी दादाभाई) टाटा की कंपनी ने देश में पहली उड़ान भरी थी। यह कंपनी कराची से मद्रास तक साप्ताहिक विमान सेवा चलाती थी। बाद में इस कंपनी को सरकार ने अधिग्रहित(एयर इंडिया) किया।
1933 में इंडियन नेशनल एयरवेज कंपनी की स्थापना की गई। यह भारत की ध्वज-वाहक विमान सेवा है। एयर इंडिया ने 8 जून 1948 को भारत से पहली बार अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा की शुरूआत की थी। यह पहली विमान सेवा ब्रिटेन के लिए थी।
1953 में वैमानिक कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया और उन्हें दो नवनिर्मित निगमों के अधीन रखा गया। भारतीय विमान निगम और एअर इंडिया।
भारतीय विमान निगम देश के आंतरिक भागों के अतिरिक्त समीपवर्ती देश नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, म्यानमार तथा मालदीव को अपनी सेवाएं उपब्ध कराता है।
एयर इंडिया विदेशों के लिए सेवाएं उपलब्ध कराता है।
1981 वायुदूत निगम की स्थापना देश में घरेलू उड़ान के लिए तीसरे निगम के रूप में की गयी थी, जिसका बाद में भारतीय विमान निगम में विलय हो गया।
1995 में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण का गठन किया गया जो देश के 15 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों, 87 घरेलू हवाई अड्डों और 25 नागरिक विमान टर्मिनलों सहित 127 हवाई अड्डों का प्रबन्ध कर रहा है।
24 अगस्त 2007 को सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनियां एयर इंडिया एवं भारतीय विमान निगम का विलय हो गया। दोनों कंपनियां अब नेशनल एविएशन कंपनी आफ इण्डिया लिमिटेड के नाम से कार्यरत हो गयी है। कंपनी का ब्रांड नाम एयर इंडिया है।
एअर इंडिया भारत की ध्वज-वाहक विमान सेवा है। इसका प्रतिक उड़ते हुए हंस में नारंगी रंग का कोणार्क चक्र है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और निगमित कार्यालय मुम्बई में। इसका शुभंकर महाराजा है।
राजस्थान का पहला फ्लाइंग क्लब 1929 में जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह ने शुरू किया।
राजस्थान में जुलाई 1950 में 2 वायु सेवाएं कार्य कर रही थी एक एयर इंडिया जो मुंबई अहमदाबाद जयपुर दिल्ली मार्ग पर और दूसरी इंडियन नेशनल एयरवेज कंपनी दिल्ली जोधपुर कराची मार्ग पर अपनी सेवाएं क्रमशः जयपुर और जोधपुर को प्रदान कर रही थी
1 अगस्त 1953 को वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
इसका गठन 1 अप्रैल 1955 को भारतीय अंतरराष्ट्रीय विमानपत्तन प्राधिकरण और राष्ट्रीय विमानपत्तन प्राधिकरण को मिलाकर किया गया
20 दिसंबर 2006 को नागर विमानन निगम की स्थापना राजस्थान में की गई।
नागरिक उड्डयन गतिविधियों के संचालन हेतु राज्य में नागरिक उड्डयन विभाग के नियंत्रणाधीन निदेशालय नागरिक विमान स्थापित है जिसका गठन 1 अप्रैल 2012 को किया गया था इससे पहले राजस्थान में 20 दिसंबर 2006 को नागर विमानन निगम लिमिटेड की स्थापना की गई थी इसका उद्देश्य राजस्थान सरकार के पास उपलब्ध हेलीकॉप्टर और वायुयान का वाणिज्यिक उपयोग करने के लिए प्रस्ताव तैयार करना है
वर्तमान में राजस्थान में 10 मुख्य हवाई अड्डे हैं।
सांगानेर हवाई अड्डे से 7 फरवरी 2002 को दुबई के लिए वायुसेवा शुरू की गई। केन्द्र सरकार द्वारा सांगानेर अड्डे को 29 दिसम्बर 2005 को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा(अधिसुचना फरवरी, 2006) दिया।
उदयपुर जिले में डबोक नामक स्थान पर स्थित महाराणा प्रताप हवाई अड्डे को भी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाया गया है।
किशनगढ़ हवाई अड्डे के संचालन के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोड मिल गया है। इसे वीआईकेजी नाम दिया गया है। इंटरनेशनल सिविल एविएशन आॅर्गनाइजेशन ने यह कोड दिया है। 11 अक्टूबर, 2017 को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा इस हवाई अड्डे का उद्घाटन किया गया।
कोटा में स्थित यह हवाई अड्डा घरेलू हवाई अड्डा है यहां से 18 अगस्त, 2017 से जयपुर के बीच सीधी हवाई सेवा प्रारम्भ की गई है। यह हवाई सेवा राज्य सरकार एवं सुप्रीम एयर लाइन्स कंपनी के बीच हुए समझौते के तहत शुरू की गई है।
यह नागरिक व सेना दोनों को हवाई अड्डा है जिसे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा संचालित किया जाता है तथा इसे भारतीय वायु सेना के साथ साझा किया जा रहा है।
इसे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा वायु सेना अड्डे से संचालित किया जा रहा है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने यहां नया टर्मिनल बनाया है। यहां सेवाएं सितंबर 2017 से शुरू कर दि गई।
इसे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा वायु सेना अड्डे से संचालित किया जा रहा है। यह वायु सेना का भूमिगत हवाई अड्डा है।
यह भारतीय वायु सेना का अड्डा है।
यह भारतीय वायु सेना का अड्डा है।
यह भूमिगत सैनिक हवाई अड्डा है।
राजस्थान की प्रथम महिला जो फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में वायु सेना में शामिल हुई : निवेदिता (जयपुर)
राजस्थान की पहली महिला पायलट : नम्रता भट्ट
© 2024 RajasthanGyan All Rights Reserved.