हनुमानगढ़ राजस्थान का एक जिला है। यह उत्तर राजस्थान में घग्घर नदी के दाऐं तट पर स्थित है। हनुमानगढ़ को 'सादुलगढ़' भी कहते हैं।प्राचीन काल में यह जगह भटनेर कहलाती था, क्योंकि यहाँ भाटी राजपूतों का शासन था। भटनेर, 'भट्टीनगर' का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ भट्टी अथवा भट्टियों का नगर है।दिल्ली-मुल्तान मार्ग पर स्थित होने के कारण भटनेर का सामरिक महत्व था।
यहाँ एक प्राचीन क़िला है, जिसका पुराना नाम 'भटनेर' था।यह एक धावन दुर्ग(चारों तरफ मरूस्थल से घिरा हुआ) है।यह उत्तरी सीमा के प्रहरी के रूप में विख्यात है। जैसलमेर के भाटी राजा भूपत सिंह ने भटनेर का प्राचीन किला सन 295 में बनवाया।इसमें 52 बुर्ज हैं। किला का निर्माण पक्की ईंटों व चुने पत्थर से हुआ है सन 1805 में बीकानेर के राजा सूरत सिंह ने यह किला भाटियों से जीत लिया था। इसी विजय को आधार मान कर, जो कि मंगलवार को हुई थी, इसका नाम हनुमानगढ़ रखा गया क्योंकि मंगल हनुमान जी का दिन माना जाता है। भटनेर किला उस जमाने का एक मज़बूत किला माना जाता था यहाँ तक कि तैमूर ने अपनी जीवनी 'तुजुक-ए-तैमूरी' में इसे हिंदुस्तान का सबसे मज़बूत किला लिखा है। इसके ऊँचे दालान तथा दरबार तक घोडों के जाने के लिए संकड़े रास्ते बने हुए हैं।
गोगामेड़ी हनुमानगढ़ जिले का एक शहर है। यहां भादवा शुक्लपक्ष की नवमी को गोगाजी देवता का मेला भरता है।गोगाजी गुरुभक्त, वीर योद्ध ओर प्रतापी राजा थे गुरु गोरखनाथ के परमशिस्य थे जिनकि याद मे ये मेला भरता है।
आज़ादी के बाद से यह भाग श्रीगंगानगर जिले के अर्न्तगत आता था जिसे 12 जुलाई 1994 को अलग जिला बना दिया गया था।
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