कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थल है। यहां हड़प्पा सभ्यता के बहुत दिलचस्प और महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं। काली बंगा एक छोटा नगर था।
इसके बारे में सबसे पहले एल.पी. टेसीटोरी ने बताया था। 1952 में इसकी खोज अमलानंद घोष ने की थी।जबकि इसका उत्खनन कार्य वी.वी. लाल तथा वी. के. थापर ने 1961-69 तक किया।
यह कांस्य युगीन सभ्यता कहलाती है। सरस्वती नदी का तट! दरअसल यह सभ्यता एक नदी के किनारे विकसित हुई जिसे सरस्वती नदी माना जाता है. कालीबंगा के थेड़ से मिले अवशेषों के आधार पर कहा गया है कि लगभग 4600 वर्ष पूर्व यहाँ सरस्वती नदी के किनारे हड़प्पाकालीन सभ्यता फल-फूल रही थी. यह नदी अब घग्घर नदी के रुप में है इस प्रवाह का क्षेत्र बहुधान्यदायक कहलाता है।इस सभ्यता के लोग अफगान से टिन व खेतड़ी से तांबा मंगवा लेते व कांसा बनाते थे। खुदाई के दौरान दो टीले मिले है।इसमें से एक टीले पर दुर्गनुमा घर बने है। जबकि दुसरे टीले पर छोटे-छोटे घर बने है जिससे अनुमान होता है कि उस समय भी उच्च वर्ग के लोग अलग रहते है।वैसे कालीबंगा के टीले को देखने का अब कोई सार नजर नहीं आता है क्योंकि जो उत्खनन स्थल या खेत वगैरह के अवशेष थे, उन्हें मोमजामा डालकर मिट्टी से पाट दिया गया है.
यह सभ्यता मातृ प्रधान थी।
इस सभ्यता की सड़के समकोण पर काटती थी।
घर के दरवाजे व खिडकियां मुख्य सडक की ओर न खुलकर पीछे की ओर खुलते थे।
इनकी सड़के आक्सफोर्ड, चेम्स फोर्ड, ग्रीकजाल पद्धति कहलाती है।
यहां की खाद्य फसल गेंहु व जौ थी। जो मिश्रित रूप से बोयी जाती थी।
जूते हुये खेत, शल्य चिकित्सा, कपास के साक्ष्य मिलेे है।
स्वास्तिक का चिन्ह यहां मिला है।
कालीबंगा संग्रहालय 1985-86 में स्थापित है।
कालीबंगा सभ्यता के लोग शव साथ दैनिक उपयोग में आने वाली चीजे साथ रखते थे।
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