देशनोक एक छोटा सा गांव है जो राजस्थान के बीकानेर में स्थित है । पहले इस स्थान का नाम दस नोक था जिसका अर्थ होता है दस कोने बताया जाता है की पहले यहाँ की दस बस्तियां दस कोनों से जुडी हुई थी ।बीकानेर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देशनोक करणी माता मंदिर और कई अन्य त्योहारों के लिए भी जाना जाता है।
ये भारत का एक अनूठा तीर्थस्थल है जहाँ चूहों की पूजा की जाती है । ये मंदिर मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है । करणी माता, जिन्हे की भक्त माँ जगदम्बा का अवतार मानते है, का जन्म 1387 में एक चारण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मेहाजी किनिया(चारण) था। उनका बचपन का नाम रिघुबाई था। रिघुबाई की शादी साठिका गाँव के देपाजी चारण से हुई थी। जनकल्याण, अलौकिक कार्य और चमत्कारिक शक्तियों के कारण रिघु बाई को करणी माता के नाम से स्थानीय लोग पूजने लगे। वर्तमान में जहाँ यह मंदिर स्तिथ है वहां पर एक गुफा में करणी माता अपनी इष्ट देवी की पूजा किया करती थी। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्तिथ है। कहते है करनी माता 151 वर्ष जिन्दा रहकर 23 मार्च 1538 को ज्योतिर्लिन हुई थी। उनके ज्योतिर्लिं होने के पश्चात भक्तों ने उनकी मूर्ति की स्थापना कर के उनकी पूजा शुरू कर दी जो की तब से अब तक निरंतर जारी है।माना जाता है की करनी माता बीकानेर के राजाओं की शाही देवी हैं । इस मदिर को राजा गंगा सिंह ने 20वीं शताब्दी में बनवाया था । ये मंदिर आज 20,000 चूहों का घर है जिन्हें कबस(काबा) कहा जाता है यहां पर सफेद चुहों का दिखना शुभ माना जाता है।
आश्चर्य की बात यह है की इतने चूहे होने के बाद भी मंदिर में बिल्कुल भी बदबू नहीं है, आज तक कोई भी बीमारी नहीं फैली है यहाँ तक की चूहों का झूठा प्रसाद खाने से कोई भी भक्त बीमार नहीं हुआ है।और मंदिर में आने वालो भक्तो को चूहों का झूठा किया हुआ प्रसाद ही मिलता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इन चूहों में देवी के बच्चों की आत्मा होती हैं और वे बस उन्हें सम्मानित कर रहे हैं यहाँ के लोग इन चूहों को बहुत पवित्र मानते हैं।
करणी माता मंदिर का भीतरी द्वारा चांदी का बना है जो महाराजा गंगासिंह ने भेंट किया था।यहाँ मंदिर में संगमरमर पर उकेरी गयी नक्काशियां इस मंदिर की शोभा को और भी बढाती है ।
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