यह एक राजनीतिक और सुरक्षा समूह है जिसका मुख्यालय बीजिंग में है। रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने वर्ष 2001 में शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में एससीओ की स्थापना की थी।
अप्रैल 1996 में शंघाई में हुई एक बैठक में चीन, रूस, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों से निबटने के लिए सहयोग करने पर राज़ी हुए थे। तब इसे शंघाई-फ़ाइव के नाम से जाना जाता था।
वास्तविक रूप से एससीओ का जन्म 15 जून 2001 को हुआ। तब चीन, रूस और चार मध्य एशियाई देशों कज़ाकस्तान, किर्ग़िस्तान, ताजिकिस्तान और उज़बेकिस्तान के नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना की और नस्लीय और धार्मिक चरमपंथ से निबटने और व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए समझौता किया। इस संगठन का उद्देश्य नस्लीय और धार्मिक चरमपंथ से निबटने और व्यापार-निवेश बढ़ाना था। एक तरह से एससीओ (SCO) अमरीकी प्रभुत्व वाले नाटो का रूस और चीन की ओर से जवाब था।
हालांकि, 1996 में जब शंघाई इनीशिएटिव के तौर पर इसकी शुरुआत हुई थी तब सिर्फ़ ये ही उद्देश्य था कि मध्य एशिया के नए आज़ाद हुए देशों के साथ लगती रूस और चीन की सीमाओं पर कैसे तनाव रोका जाए और धीरे-धीरे किस तरह से उन सीमाओं को सुधारा जाए और उनका निर्धारण किया जाए।
ये मक़सद सिर्फ़ तीन साल में ही हासिल कर लिया गया। इसकी वजह से ही इसे काफ़ी प्रभावी संगठन माना जाता है। अपने उद्देश्य पूरे करने के बाद उज़्बेकिस्तान को संगठन में जोड़ा गया और 2001 से एक नए संस्थान की तरह से शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन का गठन हुआ।
साल 2001 में नए संगठन के उद्देश्य बदले गए। अब इसका अहम मक़सद ऊर्जा पूर्ति से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देना और आतंकवाद से लड़ना बन गया है। ये दो मुद्दे आज तक बने हुए हैं। शिखर वार्ता में इन पर लगातार बातचीत होती है।
वर्ष 2005 में भारत और पाकिस्तान को इस समूह के पर्यवेक्षकों के तौर पर शामिल किया गया था। दोनों देशों को वर्ष 2017 में पूर्ण सदस्य बनाया गया। इसके साथ ही इसके सदस्यों की संख्या आठ हो गयी।
वर्तमान में एससीओ के आठ सदस्य चीन, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तज़ाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं। इसके अलावा चार ऑब्जर्वर देश अफ़ग़ानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं।
छह डायलॉग सहयोगी अर्मेनिया, अज़रबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की हैं। एससीओ का मुख्यालय चीन की राजधानी बीजिंग में है।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में चीन, रूस के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है। भारत का कद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहा है। एससीओ को इस समय दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है। यह 40% से अधिक मानवता एवं वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 20% हिस्से का प्रतिनिधित्व करता हैं।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जून 2019 में किर्गिजस्तान के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार “मानस आर्डर ऑफ़ द फर्स्ट डिग्री” प्रदान किया गया। उन्हें यह पुरस्कार बिश्केक में प्रदान किया गया। उन्हें यह पुरस्कार 19वें शंघाई सहयोग संगठन के दौरान प्रदान किया गया। दरअसल शी जिनपिंग किर्गिजस्तान की राजकीय यात्रा पर हैं, इसके साथ-साथ उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लिया।
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