इन दिनों स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर (विनायक दामोदर सावरकर) का नाम काफी सुर्ख़ियों में हैं। वीर सावरकर के लिए हाल ही में भारत रत्न की मांग की जा रही है, इस पर काफी विवाद शुरू हो गया है।
विनायक दामोदर सावरकर को वीर सावरकर के नाम से जाना जाता था, उनका जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के नासिक में हुआ था।
उनकी माता जी का नाम राधाबाई तथा पिता जी का नाम दामोदर पन्त सावरकर था।
वे एक स्वतंत्रता सेनानी थे, उन्होंने 1857 की क्रांति को स्वतंत्रता का प्रथम युद्ध कहा था।
उन्होंने पुणे में अभिनव भारत सोसाइटी नामक संगठन की थी लन्दन में उन्होंने फ्री इंडिया सोसाइटी का गठन किया।
बंगाल के विभाजन के बाद उन्होने पुणे में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई।
विनायक दामोदर सावरकर ने “जोसफ मैजिनी – जीवन कथा व राजनीती” नामक पुस्तक लिखी। उन्होंने 1857 की क्रान्ति पर “द इंडियन वॉर ऑफ़ इंडिपेंडेंस” नामक पुस्तक का प्रकाशन किया था।
हालांकि वे हिन्दू महासभा के संस्थापक नही थे, परन्तु वे 1937 से 1943 के बीच हिन्दू महासभा के अध्यक्ष रहे।
वीर सावरकर ने भारत को “हिन्दू राष्ट्र” के रूप में एक निर्मित किये जाने का समर्थन किया, उन्होंने राष्ट्रवादी राजनीतिक विचारधारा “हिंदुत्व” के विकास किया।
नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए नासिक षडयंत्र काण्ड के अन्तर्गत इन्हें 9 अप्रैल, 1911 को काला पानी की सजा पर सेलुलर जेल(पोर्ट ब्लेयर) भेजा गया।
अंडमान से वापस आने के बाद सावरकर ने एक पुस्तक लिखी 'हिंदुत्व - हू इज हिंदू?' (Hindutva - Who is Hindu) जिसमें उन्होंने पहली बार हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा के तौर पर इस्तेमाल किया।
साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के छठे दिन विनायक दामोदर सावरकर को गांधी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने के लिए मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया था। हांलाकि उन्हें फरवरी 1949 में बरी कर दिया गया था।
1966 में अपनी मृत्यु के कई दशकों बाद भी भारतीय राजनीति में वीर सावरकर एक 'पोलराइजिंग फिगर' हैं। या तो वे आपके हीरो हैं या विलेन।
उनके सम्मान में अंडमान व निकोबार के पोर्ट ब्लेयर के हवाईअड्डे का नाम वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा रखा गया है।
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