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यूरेनियम संवर्धन क्या है

साल 2015 में ईरान ने अमेरिका सहित ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, रूस और जर्मनी के साथ परमाणु समझौता किया था। दरअसल ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर पश्चिमी देश हमेशा सवाल खड़े करते रहे हैं, जबकि ईरान अपने इस कार्यक्रम को हमेशा शांतिपूर्ण बताता रहा है। इस समझौते के तहत तय हुआ था कि ईरान अपनी संवेदनशील परमाणु गतिविधियों को सीमित करेगा और बदले में समझौते में शामिल अन्य देश उसके ऊपर लगे आर्थिक प्रतिबंध को हटा लेंगे।

Uranium enrichment

ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से ही ओबामा के समय हुआ यह समझौता उनकी आंखों में खटकता रहा। कुछ दिन पहले उन्होंने मनमाने तरीके से अमेरिकी हितों की दुहाई देते हुए इस समझौते से पल्ला झाड़ लिया। दोनों देशों के बीच बढ़ती खटास को और हवा देते हुए अब ईरान ने भी इस समझौते को तोड़ दिया है। इसके बाद ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन की सीमा को बढ़ाते हुए परमाणु कार्यक्रम को गति देने में जुट गया है।

परमाणु रियक्टरों या परमाणु बमों में इस्तेमाल करने से पहले यूरेनियम को संवर्धित (Purified) करना होता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि प्राकृतिक रूप से मिलने वाले यूरेनियम में यूरेनियम-235 की मात्रा बहुत कम होती है। यह यूरेनियम का ही एक रूप है, जो तेजी से विखंडित होकर बड़ी मात्रा में ऊर्जा उन्मुक्त करता है। इस प्रक्रिया को विखंडन कहते हैं। प्राकृतिक रूप से मिलने वाले यूरेनियम में सिर्फ 0.7 फीसद ही यूरेनियम-235 होता है। प्राकृतिक यूरेनियम में अधिकांश मात्रा यूरेनियम-238 की होती है। ये दोनों यूरेनियम के समस्थानिक (आइसोटोप्स) कहलाते हैं।

यूरेनियम संवर्धन की प्रक्रिया

किसी खदान से निकला यूरेनियम शुरुआती तत्व होता है। इस कच्चे यूरेनियम में एक फीसद यूरेनियम ऑक्साइड होता है। कच्चे यूरेनियम को प्रोसेसिंग की जरूरत होती है। जब इसकी रसायनों के साथ अभिक्रिया कराई जाती है, तो ऑक्साइड हासिल होता है। इससे येलो केक तैयार होता है। येलो केक एक पाउडर होता है, जिसमें 80 फीसद यूरेनियम ऑक्साइड रहता है।

यूरेनियम की संवर्धन प्रक्रिया के तहत येलो केक एक गैस में तब्दील होता है, जिसे यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड कहते हैं। इस गैस को सेंट्रीप्यूज में भेजा जाता है, जहां इस गैस को तेजी से घुमाया जाता है। इस प्रक्रिया में यूरेनियम-238 से लैस अपेक्षाकृत ज्यादा भारी गैस बाहर निकल जाती है, जबकि यूरेनियम-235 युक्त अपेक्षाकृत हल्की गैस बीच में रह जाती है। संवर्धन संयंत्रों में हजारों सेंट्रीफ्यूज एक दूसरे से जुड़े होते हैं। इनमें से प्रत्येक गैस को संवर्धित करके दूसरे सेंट्रीफ्यूज में भेजते रहते हैं। ये क्र लगातार चलता रहता है। संवर्धन प्रक्रिया के अंत में दो चीजें मिलती हैं। एक तो संवर्धित यूरेनियम जिसका इस्तेमाल ईंधन बनाने या बमों में किया जाता है। दूसरा तत्व यूरेनियम का कचरा कहलाता है।

Gas centrifuge cascade

अगर कोई संयंत्र पांच हजार सेंट्रीफ्यूज के तहत 4 फीसद यूरेनियम का संवर्धन करता है तो सिर्फ 1500 सेंट्रीफ्यूज को और जोड़कर 20 फीसद संवर्धन क्षमता हासिल की जा सकती है। यहां से कुछ सेंट्रीफ्यूज के और इस्तेमाल से 90 फीसद संवर्धन हासिल किया जा सकता है। यूरेनियम-235 के 20 फीसद संवर्धन का जो वजन 400 किग्रा होगा, 90 फीसद संवर्धन के बाद 28 किग्रा ही रह जाता है।

इस संवर्धन सीमा को बढ़ाने में ईरान को तकनीकी दिक्कत इसलिए नहीं आ सकती है क्योंकि संवर्धन के शुरुआती चरणों में ही ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है। उसके बाद के चरण आसान हो जाते हैं। 90 फीसद यूरेनियम संवर्धन में जितने संसाधन लगते हैं, उसका आधा ही 0.7 से चार फीसद संवर्धन में भी लगता है। संवर्धन जब 20 फीसद पर पहुंच जाता है तो उसे उच्च संवर्धित यूरेनियम कहते हैं। इसके बाद हथियारों के रूप में इस्तेमाल करने वाले यूरेनियम के लिए 90 फीसद गुणवत्ता हासिल हो जाती है।

परमाणु रियक्टरों में इस्तेमाल होने वाले यूरेनियम का संवर्धित चार फीसद यूरेनियम-235 होता है। जबकि परमाणु बमों में इसका संवर्धन 90 फीसद तक होना जरूरी है। 2015 में हुए परमाणु समझौते के तहत ईरान को यूरेनियम संवर्धन की छूट केवल 3.67 फीसद तक ही दी गई थी। अब वह इस सीमा को बढ़ा रहा है।

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