भारत सरकार ने व्यापक क्षेत्रीय आर्थिक साझेदारी (RCEP) में शामिल न होने का निर्णय लिया है। इस आर्थिक साझेदारी में भारत को असमान व्यापारिक घाटा होने का आसार था।
RCEP 10 आसियान देशों (ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम) और इसके 6 FTA साझेदारों (ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, भारत, चीन, जापान और कोरिया) के बीच एक प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement – FTA) है।
इस व्यापारिक समझौते के लिए वार्ता कंबोडिया में 2012 के आसियान शिखर सम्मेलन में शुरू हुई थी। इसमें वस्तुओं, सेवाओं, निवेश, आर्थिक व तकनीकी सहयोग, बौद्धिक संपदा अधिकार इत्यादि को शामिल किया जायेगा।
RCEP के 16 सदस्य देशों की कुल जनसँख्या 3.4 अरब है, इसकी कुल जीडीपी (PPP) 49.5 ट्रिलियन डॉलर है, यह विश्व की कुल जीडीपी का 38% हिस्सा है।
आसियान विश्व के सबसे तेज़ी से बढ़ते हुए बाजारों में से एक है, इन देशों में भारत के लिए व्यापार और निवेश के काफी अवसर उपलब्ध हैं। 2017-18 में आसियान भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, इस दौरान भारत और आसियान के बीच 81.33 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। यह भारत के वैश्विक व्यापार का 10.58% है। RCEP को ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप के विकल्प के रूप में भी देखा जा रहा है।
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