इसरो ने अंतरिक्ष में इतिहास रच दिया है। इसरो ने एमिसैट के साथ-साथ अन्य देशों की 28 सैटेलाइट्स भी अलग-अलग कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है। इसरो का यह पहला ऐसा मिशन है, जो तीन अलग-अलग कक्षाओं में सैटेलाइट्स को स्थापित करेगा।
पीएसएलवी C-45 के जरिए जो सैटेलाइट्स लॉन्च किए गई हैं, उनमें सबसे महत्वपूर्ण है #EMISAT यानी इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट है। यह डीआरडीओ को डिफेंस रिसर्च में मदद करेगा। एमिसैट उपग्रह का मकसद विद्युत चुंबकीय माप लेना है।
पीएसएलवी-सी 45 ने भारत के स्पेसपोर्ट, सतीश धवन स्पेस सेंटर, शार, श्रीहरिकोटा के द्वितीय लांच पैड से उड़ान भरी। इस अभियान में पहली बार 4 स्ट्रैपआन मोटर वाला पीएसएलवी का QL संस्करण ने उड़ान भरी। इससे पहले पीएसएलवी ने दो, छः या फिर बिना स्ट्रेपआॅन मोटर्स के उड़ान भरी थी। इस अभियान के द्वारा भारत के मुख्य उपग्रह EMISAT को प्रक्षेपित किया गया। इसका भार 436 किलोग्राम है। इसके साथ पीएसएलवी-सी 45, विदेशों के 28 कस्टमर उपग्रहों को भी प्रक्षेपित करेगा।
इन विदेशी उपग्रहों में से 24 अमेरिका के हैं जिसमें भू अवलोकन हेतु 20 फ्लोक उपग्रहों का समूह शामिल है। साथ ही वेसल ऑटोमेटिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम के साथ चार लेमूर उपग्रह भी शामिल है। अन्य चार उपग्रह लिथुयानिया, स्पेन एवं स्वट्जरलैंड के हैं।
इस उड़ान में पीएसएलवी के चौथे चरण को अंतरिक्ष संबंधी प्रयोगों के लिए, ऑर्बिटल प्लेटफार्म के रूप में उपयोग किया जाएगा। इस चरण में 3 भारतीय पेलोड लगाए गए हैं। एमसैट इंडिया का ऑटोमेटिक पैकेट रिपीटिंग सिस्टम(एपीआरएस), इसरो का ऑटोमेटिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम(एआईएस) एवं इंडियन इंस्टिट्यूट आॅफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलाॅजी का एडवांस्ड रिटार्डिग पोटेंशियल एनालाइजर फाॅर आइनोस्फेरिक स्टडीज(एआरआईएस)।
एपीआरएस एमेच्योर रेडियो एप्लीकेशन के लिए डिजिटल रिपीटर है। एआईएस को जलयानों के ऑटोमेटिक आईडेंटिफिकेशन के लिए बनाया गया है। यह समुद्री जहाजों द्वारा प्रसारित किए गए संदेशों को ग्रहण करके उन्हें भू स्टेशनों को प्रसारित करेगा। एआआईएस एक प्लाज्मा एवं इलेक्ट्रोस्टेटिक उपकरण है, जिसे आइनोस्फीयर के रचना-सम्बन्धी अध्ययन के लिए बनाया गया है।
इस अभियान में पीएसएलवी सबसे पहले 748 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित कक्षा में EMISAT को प्रक्षेपित किया गया। उसके पश्चात अपने इंजन को दो बार फायर करने के बाद चौथा चरण-पीएस फोर, 504 किलोमीटर की निचली कक्षा में आया और 28 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया। इसके बाद यह 485 किलोमीटर की कक्षा में आयेगा और फिर तीन पेलोड की मदद से अंतरिक्ष संबंधित प्रयोग करेगा।
पहली बार पीएसएलवी के चौथे चरण में सोलर पैनल भी लगे होंगे जो कक्षा में विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करेंगे। एक टेस्ट प्लेटफाॅर्म के रूप में पीएस-4 की उपलब्धता से रियल टाइम में पृथ्वी के आइनोस्फीयर के अध्ययन का अवसर मिलेगा। जिससे भविष्य में आइनोस्फियर के सटीक माॅडल का विकास करने में मदद मिलेगी। यह उपग्रह के नेवीगेशन सिग्नल को और अधिक बेहतर एवं सटीक बनाने में सहायक होगा।
इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर में आम लोगों को रॉकेट लॉन्चिंग और स्पेस ऐक्टिविटीज दिखाने के लिए स्टेडियम सरीखी गैलरी तैयार कराई है। इसमें 5,000 लोगों के बैठने की क्षमता है। इस गैलरी के सामने दो लॉन्चपैड होंगे और यहां से बैठकर रॉकेट लॉन्चिंग का नजारा बड़ी आसानी से देखा जा सकेगा। इसरो ने आम लोगों को मुफ्त में अपने अभियानों को देखने की सुविधा अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की तर्ज पर शुरू की है। नासा की ओर से भी आम लोगों को रॉकेट लॉन्चिंग समेत स्पेस ऐक्टिविटीज को देखने का मौका दिया जाता है।
© 2024 RajasthanGyan All Rights Reserved.