चंडीगढ़ स्थित इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के 12वीं विंग एयरफोर्स स्टेशन में आज एक कार्यक्रम में चिनुक हैवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर की पहली यूनिट(पहले बैच में 4 चिनूक हेलीकाप्टर्स) को शामिल कर लिया गया। कार्यक्रम में आईएएफ चीफ एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ भी शामिल थे। इस कार्यक्रम को 'इंडिया-चिनुक ट्रांसफर सेरेमनी' नाम दिया गया था।
चंडीगढ़ स्थित इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के 12वीं विंग एयरफोर्स स्टेशन में आज एक कार्यक्रम में चिनुक हैवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर की पहली यूनिट को शामिल कर लिया गया। कार्यक्रम में आईएएफ चीफ एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ भी शामिल थे। इस कार्यक्रम को 'इंडिया-चिनुक ट्रांसफर सेरेमनी' नाम दिया गया था।
वायुसेना को चिनूक की बहुत जरूरत थी, क्योंकि यह दुर्गम और अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में यह भारी सामान ले जाने में सक्षम है। इस हेलीकॉप्टर का प्रयोग मुख्यत: ट्रूप्स और जरूरी सैन्य सामान को ट्रांसपोर्ट करने के लिए किया जाता है। भारत ने 2015 में अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग से 15 चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदने का सौदा किया था। 2.5 अरब डॉलर (करीब 17 हजार करोड़ रुपए) के इस सौदे में 22 अपाचे हेलिकॉप्टर भी शामिल हैं।
इस साल के अंत तक भारत को सभी अपाचे और चिनूक हेलिकॉप्टर मिल जाएंगे। बोइंग ने 2018 में वायुसेना के पायलटों और फ्लाइट इंजीनियरों को चिनूक हेलिकॉप्टर उड़ाने की ट्रेनिंग भी दी थी। भारतीय वायुसेना के बेड़े में अब तक रूसी मूल के भारी वजन उठाने वाले हेलिकॉप्टर ही रहे हैं लेकिन यह पहली बार है जब वायुसेना को अमेरिका द्वारा निर्मित हेलिकॉप्टरों को बेड़े में शामिल किया गया है। यह हेलिकॉप्टर छोटे से हेलिपैड और घाटी में भी लैंड कर सकता है।
इसमें कोई शक नहीं है कि चिनूक हेलीकॉप्टर से भारतीय सेना की ताकत में इजाफा होगा। सीएच-47 चिनूक एक एडवांस्ड मल्टी मिशन हेलीकॉप्टर है, जो भारतीय वायुसेना (Indian air Force) को बेजोड़ सामरिक महत्व की हेवी लिफ्ट क्षमता प्रदान करेगा। चिनूक बहुउद्देशीय, वर्टिकल लिफ्ट प्लेटफॉर्म हेलीकॉप्टर है, जिसका इस्तेमाल सैनिकों, हथियारों, उपकरण और ईंधन ढोने में किया जाता है।
CH-47 Chinook हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल आपदाओं के समय तेजी से राहत सामग्री पहुंचाने और बड़ी संख्या में लोगों को बचाने में भी किया जा सकता है। यानी इसका इस्तेमाल मानवीय और आपदा राहत अभियानों में किया जाएगा। ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्र में यह हेलिकॉप्टर काफी कारगर हो सकता है।
मल्टी मिशन हेलिकॉप्टर को अमेरिका की प्रसिद्ध एयरोस्पेस कंपनी बोइंग ने बनाया है। अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी बोईंग (boeing chinook) ने बीते 10 फरवरी को भारतीय वायुसेना के लिए चार चिनूक सैन्य हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति गुजरात में मुंद्रा बंदरगाह पर की। कंपनी की तरफ से जारी बयान में कहा गया था कि सीएच 47एफ (आई) चिनूक को चंडीगढ़ ले जाया गया।
किसी देश के साथ प्रचालकीय सैन्य संबंध के लिए यूएसए तीन रक्षा समझौतों को आवश्यक मानत है। इसी में से एक समझौता है कॉमकासा (COMCASA)। दो अन्य समझौते हैंः लेमोआ यानी लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरंडम ऑफ एग्रीमेंट (Logistics Exchange Memorandum of Agreement :LEMOA) और ‘बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियोस्पपेटियल को-ऑपरेशन यानी ‘बेका’ (Basic Exchange and Cooperation Agreement for Geo-spatial Cooperation: BECA)। इनमें से लेमोआ पर दोनों देशों के बीच अगस्त 2016 में समझौता हो चुका है जिसके तहत दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सैन्य अड्डों का इस्तेमाल कर सकती हैं। तीसरा समझौता ‘बेका’ पर अभी कोई वार्ता आरंभ नहीं हुई है।
कॉमकासा यानी कम्युनिकेशंस एंड इंर्फोमेशन ऑन सिक्यूरिटी मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट अमेरिका ने नाटो समेत कुछ अन्य देशों के साथ किया हुआ है। यह अमेरिका की तरफ से उसके सहयोगी देशों को बेहद अत्याधुनिक रक्षा तकनीक देने और आपातकालीन स्थिति में उन्हें तत्काल मदद देने की राह निकालता है। यह अमेरिका द्वारा भारत को बेचे जा रहे सैन्य प्लेटफार्मों पर स्थापित किए जाने वाले उच्चस्तरीय सुरक्षित संचार उपकरणों के उपयोग की सुविधा प्रदान करेगा और उनकी क्षमता का पूरी तरह से दोहन करेगा। इन प्लेटफार्मों में सी -130 जे, सी -17, पी -8 आई विमान और अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर शामिल हैं।
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