2019 संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 60 देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लिया। मोदी समेत कई नेताओं ने इस सत्र को संबोधित भी किया। लेकिन इसमें सबसे चर्चित भाषण स्वीडन की 16 साल की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने दिया। ग्रेटा ने अपने सवालों से विश्व नेताअाें को झकझोर दिया। वह बोलीं, ‘युवाओं को समझ में आ रहा है कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर आपने हमें छला है और यदि आपने कुछ नहीं किया तो युवा पीढ़ी आपको माफ नहीं करेगी। आज मुझे यहां नहीं होना चाहिए था। मुझे समुद्र पार अपने स्कूल में होना चाहिए था। पर आपने हमारे सपने, हमारा बचपन अपने खोखले शब्दों से छीना। हालांकि, मैं अभी भी भाग्यशाली हूं। लेकिन बहुत से लोग झेल रहे हैं, मर रहे हैं, पूरा ईको सिस्टम बर्बाद हो रहा है, आप सिर्फ पैसों और आर्थिक विकास की बातें करते हैं।
स्वीडन की 16 वर्षीय ग्रेटा थनबर्ग को 2019 नोबेल शांति पुरस्कार के लिए मनोनीत किया गया है। ग्रेटा पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कार्य करती हैं। ग्रेटा स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट मूवमेंट की संस्थापक हैं। इस आन्दोलन की शुरुआत पिछले वर्ष हुई थी, जब ग्रेटा ने स्वीडिश संसद के बाहर अकेले विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर कार्य करने के लिए छात्रों को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। यदि ग्रेटा इस पुरस्कार को जीत जाती हैं तो वे नोबेल शांति पुरस्कार की सबसे युवा विजेता बन जायेंगी। इससे पहले मलाला यूसुफ़जई ने 2014 में 17 वर्ष की आयु में नोबेल शांति पुरस्कार जीता था। नोबेल शांति पुरस्कार के विजेता की घोषणा अक्टूबर, 2019 में की गयी थी।
ग्रेटा थनबर्ग का जन्म 3 जनवरी, 2003 को स्वीडन में हुआ था। उन्होंने स्वीडन की संसद के समक्ष पेरिस समझौते के मुताबिक कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था। इसके लिए उन्होंने स्कूल न जा कर संसद के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने विश्व के अन्य देशों में छात्रों को प्रेइर्ट किया। दिसम्बर, 2018 तक विश्व के 270 शहरों में 20,000 में स्कूलों में हड़ताल की। ग्रेटा को स्टॉकहोल्म में टेड टॉक में संबोधन देने के लिए भी आमंत्रित किया जा चुका है।
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