केंद्र सरकार ने एक बेहद महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर से विवादास्पद अनुच्छेद 370 समाप्त करने का फैसला किया है| इस अनुच्छेद के खंड-ए को छोड़कर बाकी सभी खंडों को समाप्त कर दिया गया है। साथ ही इस सीमावर्ती राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में तब्दील कर दिया गया है। इसके लिये सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो भागों में विभक्त करने वाले जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 को 5 अगस्त को राज्यसभा में पेश किया। इसमें लद्दाख को अलग कर केंद्रशासित क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव किया गया है, लेकिन चंडीगढ़ की तरह उसकी भी विधानसभा नहीं होगी, यह राज्यपाल के तहत काम करेगा। कश्मीर और जम्मू डिवीज़न विधानसभा के साथ एक अलग केंद्रशासित प्रदेश होगा, जहाँ दिल्ली और पुडुचेरी की तरह विधानसभा होगी। यानी अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश होगा, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश रहेगा। राज्य में अब तक 22 जिले थे। दो केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में 20 और लद्दाख में 2 जिले होंगे। गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देता है। इसके तहत भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में सिर्फ तीन क्षेत्रों- रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बना सकती है। इसके अलावा किसी कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिये होती है। लेकिन अब इस अनुच्छेद के हटने के बाद न यहाँ का अलग संविधान होगा और न ही अलग झंडा। पहले यहां पर राज्यपाल शासन लगता था, लेकिन अब यहाँ पर राष्ट्रपति शासन लागू होगा।
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