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जम्मू-कश्मीर में परिसीमन

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर इलाके के परिसीमन की कवायद शुरु कर दी है। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून की धारा-60 के तहत जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 की जाएगी। Jammu Kashmir जम्मू-कश्मीर में परिसीमन होते ही विधानसभा सीटों की संख्या में बदलाव होगा और यहां की विधानसभा क्षेत्रों का नक्शा पूरी तरह बदल जाएगा।

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में आज तक कश्मीर का ही पलड़ा भारी रहा है, क्योंकि विधानसभा में कश्मीर की विधानसभा सीटें, जम्मू के मुकाबले ज्यादा रही हैं, लेकिन अब परिसीमन होने से जम्मू की विधानसभा सीटें बढ़ सकती है।

मौजूदा स्थिति में जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में कुल 87 सीटों पर चुनाव होता है। जिसमें 87 सीटों में से घाटी में 46, जम्मू में 37 और लद्दाख में 4 विधानसभा सीटें हैं। परिसीमन में सीटों के बदलाव में आबादी और वोटरों की संख्या का भी ध्यान रखा जाता है।

हाल ही में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 को सदन में पास करवाया था। सरकार ने अनुच्छेद 370 (3) के अंतर्गत प्रदत्त कानूनों को खत्म करते हुए जम्मू-कश्मीर पुर्नगठन 2019 विधेयक को पेश किया था। इस विधेयक के मुताबिक जम्मू कश्मीर को अब केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा होगा। लद्दाख बगैर विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश होगा।

अभी जम्मू-कश्मीर में कुल 111 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 87 जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की हैं। बाकी 24 पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लिए खाली रखी जाती हैं। अब नए परिसीमन के तहत लद्दाख के खाते की 4 सीटें हट जाएंगी, क्योंकि वहां पर विधानसभा नहीं रहेगी।

परिसीमन का अर्थ

परिसीमन से तात्पर्य किसी भी राज्य की लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं (राजनीतिक) का रेखांकन है। अर्थात इसके माध्यम से लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमायें तय की जाती हैं। आसान शब्दों में परिसीमन की मदद से यह तय होता है कि किस क्षेत्र के लोग किस विधान सभा या लोक सभा के लिए वोट डालेंगे?

भारत में परिसीमन का इतिहास

भारत में सर्वप्रथम वर्ष 1952 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। इसके बाद 1963,1973 और 2002 में परिसीमन आयोग गठित किए जा चुके हैं। भारत में वर्ष 2002 के बाद परिसीमन आयोग का गठन नहीं हुआ है।

भारत के उच्चतम न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में 12 जुलाई 2002 को परिसीमन आयोग का गठन किया गया था।

आयोग ने सिफारिसों को 2007 में केंद्र को सौंपा था लेकिन इसकी सिफारिसों को केंद्र सरकार ने अनसुना कर दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के दखल देने के बाद इसे 2008 से लागू किया गया था। आयोग ने वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया था।

परिसीमन किस आधार पर निर्धारित किया जाता है?

परिसीमन के निर्धारण में 5 फैक्टर्स को ध्यान में रखा जाता है, ये हैं;

  1. क्षेत्रफल
  2. जनसंख्या
  3. क्षेत्र की प्रकृति
  4. संचार सुविधा
  5. अन्य कारण

जम्मू कश्मीर में परिसीमन की जरुरत

2011 की जनगणना के मुताबिक जम्मू संभाग की जनसँख्या लगभग 54 लाख है, जो कि राज्य की 43% आबादी है। जम्मू संभाग 26,200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है यानी राज्य का लगभग 26% क्षेत्रफल जम्मू संभाग के अंतर्गत आता है जबकि यहां विधानसभा की कुल 37 सीटें हैं।

कश्मीर संभाग की जनसँख्या 68.88 लाख है, जो राज्य की जनसँख्या का 55% हिस्सा है। कश्मीर संभाग का क्षेत्रफल राज्य के क्षेत्रफल लगभग 16% प्रतिशत है जबकि इस क्षेत्र से कुल 46 विधायक चुने जाते हैं।

ज्ञातव्य है कि कश्मीर में 349 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर एक विधानसभा है, जबकि जम्मू में 710 वर्ग किलोमीटर पर।

राज्य के 58.33% क्षेत्रफल वाले लद्दाख संभाग में केवल 4 विधानसभा सीटें हैं।

ऊपर के आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि राज्य में जनसँख्या और क्षेत्रफल के आधार पर सीटों का बंटवारा असंतुलित है।

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