विश्व जनसंख्या दिवस विश्वभर में जनसंख्या संबंधी मुद्दों की गंभीरता और महत्व पर ध्यान दिलाने के लिए प्रतिवर्ष 11 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिवस को वर्ष 1989 संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की शासकीय परिषद द्वारा शुरू किया गया था। यह वह दिन था, जब विश्व की जनसंख्या 11 जुलाई वर्ष 1987 को पांच अरब थी, इस दिन इस वार्षिक कार्यक्रम स्थापन की अगुवाई की हुयी थी।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट वर्ष 2017 के अनुसार विश्व की वर्तमान जनसंख्या 7.6 अरब है तथा जिसकी वर्ष 2030 में 8.6 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। प्रतिवर्ष विश्व की जनसंख्या में लगभग 83 मिलियन लोग और जुड़ जाते हैं। विश्व के दो सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश चीन-1.4 और भारत-1.3 हैं तथा जो कि वैश्विक जनसंख्या में क्रमशः 19% और 18% योगदान देते है। यह अनुमान लगाया गया है, कि वर्ष 2024 के आसपास या लगभग सात वर्षों में भारत जनसंख्या के मामले में चीन से आगे निकल जाएगा।
वर्ष 1968, तेहरान में मानव अधिकारों पर एक वैश्विक सम्मेलन आयोजित किया गया था। वर्ष 2018 को इस सम्मेलन की 50 वीं वर्षगांठ के रूप में चिन्हित किया गया है, जहां पहली बार परिवार नियोजन को विश्व स्तर पर मानव अधिकार घोषित किया गया था। हर व्यक्ति के पास परिवार नियोजन के मूलभूत उपायों के माध्यम से अपने भविष्य की दिशा और दायरा निर्धारित करने का मानव अधिकार है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि (यूएनएफपीए) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने नौ मानकों को मान्यता दी है, जो कि हर समुदाय और हर व्यक्ति को मिलने चाहिए।
गैर-भेदभाव: पारिवारिक नियोजन की जानकारी और सेवाओं को जाति, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक संबद्धता, राष्ट्रीय मूल, आयु, आर्थिक स्थिति, निवास स्थान, विकलांगता की स्थिति, वैवाहिक स्थिति, यौन आकांक्षा या लिंग पहचान के आधार पर प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है ।
उपलब्धता: हर किसी के लिए परिवार नियोजन की सामग्री और सेवाएं उपलब्ध होनी चाहिए।
पहुंचनीयता/सुलभता: हर किसी के लिए परिवार नियोजन की जानकारी और सेवाओं की पहुंचनीयता/सुलभता होनी चाहिए।
स्वीकार्यता: गर्भ निरोधक सेवाओं और जानकारियों को गरिमामय तरीके से प्रदान किया जाना चाहिए तथा आधुनिक चिकित्सा पद्यति और मध्यस्थ संस्कृति दोनों का सम्मान किया जाना चाहिए।
अच्छी गुणवत्ता: गर्भनिरोधक सेवाएं सुरक्षित और स्वच्छतापूर्ण वातावरण में पेशेवर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रदान की जानी चाहिए।
सूचित निर्णय-निर्धारण: हर व्यक्ति को पूर्ण स्वायत्तता, बिना दबाव, जबरदस्ती या गलतफहमी के साथ प्रजनन विकल्प चयन करने के लिए सशक्त किया जाना चाहिए।
गोपनीयता और विश्वसनीता: सभी व्यक्तियों को गोपनीयता के अधिकार का आनंद लेना चाहिए, जब वे परिवार नियोजन की जानकारी और सेवाएं खोज रहे है।
भागीदारी: स्वास्थ्य मुद्दों सहित प्रभावित करने वाले निर्णयों में व्यक्तियों की सक्रियता और सूचित भागीदारी सुनिश्चित करना देशों की ज़िम्मेदारी है।
उत्तरदायित्व: स्वास्थ्य प्रणाली, शिक्षा प्रणाली, नेताओं और नीति निर्माताओं को परिवार नियोजन के मानव अधिकार सेवाएं प्रदान किए जाने वाले लोगों के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए।
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