बनी-ठनी(बणी-ठणी) एक भारतीय चित्रकला है जो किशनगढ़ चित्रकला से सम्बन्धित है।
बणी-ठणी राजस्थानी शब्द का अर्थ है - सजी-धजी या सजी-संवरी।
किशनगढ़ शैली के खोजकर्ता एरिक डिक्सन व डॅा. फैयाज अली ।
बणी-ठणी को भारत की मोनालिसा की संज्ञा एरिक डिक्सन ने दी।
बणी-ठणी राजस्थाान के किशनगढ़ रियासत के तत्कालीन राजा सांवत सिंह की दासी व प्रेमिका थी।
बणी-ठणी सौंदर्य की अदभुत मिशाल होने के साथ ही उच्च कोटी की कवयित्री थी। यह स्वयं रसीक बिहारी के नाम से कविता करती थी।
एक बार राजा सावंतसिंह ने जो चित्रकार थे इसे राणियों जैसी पौशाक व आभूषण पहनाकर एकांत में उसका एक चित्र बनाया और इस चित्र को नाम दिया “बणी-ठणी”।
राजा ने यह चित्र चित्रकार निहालचंद को दिखाया व निहालचंद ने इसमें कुछ संशोधन बताये।
इस चित्र का चित्रण लगभग संवत 1755 से 1757 में हुआ, इस चित्र का आकार 48.8 X 36.6 सेमी है।
बणी ठणी के अन्य नाम - लवलीज, उत्सव प्रिया, कलावंती व नागर रमणी, राजस्थान की मोनालिसा, राजस्थान की राधा, किर्तीनिन।
राजा सावंत सिंह के अन्य नाम - चितवन,नागरीदास, चितेरे, अनुरागी।
वर्तमान में बणी-ठणी का चित्र अजमेर संग्रहालय में सुरक्षित है। व इसकी एक प्रति अल्ब्र्ट हाॅल पेरिस में सुरक्षित है।
5 मई 1973 को बणी-ठणी का चित्र भारत सरकार के डाकविभाग द्वारा 20 पैसें के डाक टिकट जारी जारी किया गया।
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