लॉन्च हुई देश की बिना इंजन वाली पहली ट्रेन 'ट्रेन-18'
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानीने 29 October 2018 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में देश की पहली बिना इंजन वाली ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस, जिसे ट्रेन 18 के नाम से भी जाना जाता है को लॉन्च कर दिया है। इस ट्रेन को स्वेदेशी तकनीकि से 100 करोड़ रुपये में विकसित किया गया है।
यह एक हाईटेक, ऊर्जा-कुशल, खुद से चलनेवाला या बिना इंजन के चलने वाली ट्रेन है। लोहानी द्वारा हरी झंडी दिखाए जाने के बाद सफेद और ब्लू रंग की इन ट्रेन ने इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आईसीएफ) में कुछ यार्ड का सफर तय किया। भारत की पहली ट्रेन 'ट्रेन 18' भारतीय रेल में गेम-चेंजर साबित होगी। इस ट्रेन को विकसित करने में जितनी लागत लगती है, स्वदेशी तकनीक से इसे उससे आधी लागत में तय किया गया है। आईसीएफ के महाप्रबंधक एस. मनी ने पहले कहा था, ‘इस ट्रेन में 16 डिब्बे हैं और इसके यात्रियों को ढोने की क्षमता भी उतनी ही है, जितनी 16 डिब्बों के अन्य ट्रेन में होती है लेकिन इसमें इंजन नहीं है। यह 15-20 फीसदी ऊर्जा कुशल है और कम कार्बन फुटप्रिंट छोड़ता है।’
तमिलनाडु में स्थित रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने इस खास ट्रेन को हाइटेक सुविधाओं के साथ तैयार किया है। खास बात यह कि बिना इंजन वाली इस ट्रेन को करीब 220 किमी की स्पीड तक चलाया जा सकेगा और इसमें तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं भी मौजूद होंगी।
पहली वंदे भारत एक्सप्रेस इस साल फरवरी में दिल्ली और वाराणसी के बीच शुरू हुई थी।
दूसरी वंदे भारत एक्सप्रेस दिल्ली और कटरा के बीच शुरू हुई।
नई दिल्ली-लुधियाना इंटरसिटी एक्सप्रैस का नाम बदलकर सरबत दा भला रखा गया है।
लखनऊ-नई दिल्ली तेजस एक्सप्रैस देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन है।
ट्रेन सेट की खासियत
चेन्नै (चेन्नई ) में बनी ट्रेन-18 पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड होगी और इसे बिना इंजन के चलाया जाएगा
ट्रेन को 18 महीने के समय में बनाया गया है और इसकी लागत करीब 100 करोड़ रुपये है
ट्रेन में दिव्यांग जनों के लिए विशेष रूप से दो बाथरूम और बेबी केयर के लिए विशेष स्थान की व्यवस्था होगी
ट्रेन में 16 एसी चेयर कार कोच और 2 एक्जिक्यूटिव कोच लगाए जाएंगे, जो कि हाइटेक सुविधाओं से लैस होंगे
इसके अलावा ट्रेन में निगरानी के लिए हर कोच में 6 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे
इन खास एक्जिक्यूटिव कोच में स्पेन से मंगाई गई खास सीट भी लगी होगी, जिन्हें 360 डिग्री तक रोटेट किया जा सकेगा
ट्रेन 18 में यात्रा के दौरान आपात स्थिति में पैसेंजर ड्राइवर से बात कर सकेंगे, इसके लिए हर कोच में एक खास टॉक बैक यूनिट भी लगाई जाएगी
ट्रेन-18 में यात्रियों की सुविधा के लिए विशेष रसोई यान भी लगाया जाएगा, जिसके किचन में बने लजीज भोजन को यात्रा के दौरान लोगों को परोसा जाएगा
ट्रेन-18 का ट्रायल आगर-दिल्ली रूट पर किया जाएगा। यह ट्रेक 160 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेनों के लिए उपयुक्त है।बाद में इस ट्रेन को आम परिचालन के लिए शताब्दी और राजधानी ट्रेनों के कुछ रुटों पर भी उपयोग किया जाएगा।
इस ट्रेन को महज 18 महीनों में ही विकसित कर लिया गया जबकि उद्योग का मानदंड 3-4 सालों का है। इसमें सभी डिब्बों में आपातकालीन टॉक-बैक यूनिट्स (जिससे यात्री आपातकाल में ट्रेन के क्रू से बात कर सकें) दिए गए हैं, साथ ही सीसीटीवी लगाए गए हैं ताकि सुरक्षित सफर हो। आईसीएफ ऐसे छह ट्रेन सेट को जल्द ही उतारने वाली है।
भारतीय रेलवे पर दौड़ने वाली आम ट्रेनों से एकदम अलग ट्रेन-18 बिना इंजन की होगी। सब-अर्बन ट्रेनों की तरह इस ट्रेन के दोनों छोर पर मोटर कोच होंगे, यानी ये दोनों दिशाओं में चल सकेगी। इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड 170 किमी प्रतिघंटा के करीब रहने वाली है। यह ट्रेन पूरी तरह से वातानुकूलित होगी, सभी कोच एक दूसरे से कनेक्टेड होंगे। स्टेनलेस स्टील की बॉडी वाली इस ट्रेन में वाई-फाई, एलईडी लाइट, पैसेंजर इनफर्मेशन सिस्टम और पूरे कोच में दोनों दिशाओं में एक ही बड़ी सी खिड़की होगी।