एलोरा का कैलाश मन्दिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में प्रसिद्ध 'एलोरा की गुफ़ाओं' में स्थित है।। यह एलोरा (जिला औरंगाबाद) स्थित लयण-श्रृंखला में है।
यह मंदिर दुनिया भर में एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। बाहर से मूर्ति की तरह समूचे पर्वत को तराश कर इसे द्रविड़ शैली के मंदिर का रूप दिया गया है। यह मंदिर केवल एक चट्टान को काटकर बनाया गया है।इसका निर्माण ऊपर से नीचे की ओर किया गया है। इस मंदिर को तैयार करने में क़रीब 18(756-774ई0) वर्ष लगे और लगभग 7000 मज़दूरों ने लगातार इस पर काम किया। इसके निर्माण के क्रम में अनुमानत: 40 हज़ार टन भार के पत्थारों को चट्टान से हटाया गया। इसके निर्माण के लिये पहले खंड अलग किया गया और फिर इस पर्वत खंड को भीतर बाहर से काट-काट कर 90 फुट ऊँचा मंदिर गढ़ा गया है। मंदिर भीतर बाहर चारों ओर मूर्ति-अलंकरणों से भरा हुआ है। इस मंदिर के आँगन के तीन ओर कोठरियों की पाँत थी जो एक सेतु द्वारा मंदिर के ऊपरी खंड से संयुक्त थी। अब यह सेतु गिर गया है। सामने खुले मंडप में नंदि है और उसके दोनों ओर विशालकाय हाथी तथा स्तंभ बने हैं। यह कृति भारतीय वास्तु-शिल्पियों के कौशल का अद्भुत नमूना है।इस मन्दिर में कैलास पर्वत की अनुकृति निर्मित की गई है।कैलाश मंदिर को हिमालय के कैलाश का रूप देने में एलोरा के वास्तुकारों ने कुछ कमी नहीं की। शिव का यह दो मंजिला मंदिर पर्वत की ठोस चट्टान को काटकर बनाया गया है और अनुमान है
एलोरा में तीन प्रकार की गुफ़ाएँ हैं-
महायानी बौद्ध गुफ़ाएँ
पौराणिक हिंदू गुफ़ाएँ
दिगंबर जैन गुफ़ाएँ
इन गुफ़ाओं में केवल एक गुफ़ा 12 मंजिली है, जिसे 'कैलाश मंदिर' कहा जाता है। मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट शासक कृष्ण प्रथम ने करवया था। यह गुफ़ा शिल्प कला का अद्भुत नमूना है। एक ही चट्टान में काट कर बनाए गए विशाल मंदिर की प्रत्येक मूर्ति का शिल्प उच्च कोटि का है। इन गुफ़ाओं से एक किलोमीटर की दूरी पर एलोरा गाँव है। इसी गाँव के नाम पर ये 'एलोरा गुफ़ाएँ' कहलाती हैं।
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