आगामी लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान हुआ और इसी के साथ लागू हो गई आदर्श आचार संहिता भी।
आदर्श आचार संहिता भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों का समूह है, जिनके द्वारा राजनीतिक दलों तथा उनके उम्मीदवारों को चुनावों से पहले रेगुलेट किया जाता है।
सर्वप्रथम आदर्श आचार संहिता के पहले संस्करण को 1960 में केरल विधानसभा चुनावों के दौरान लागू किया गया था। इन दिशानिर्देशों का पालन 1962 के लोकसभा चुनावों के दौरान सभी राजनीतिक दलों द्वारा किया गया। 1979 में भारतीय चुनाव आयोग ने सत्ताधारी दल की शक्ति को रेगुलेट करने तथा इसे चुनाव के दौरान लाभ उठाने से रोकने के लिए के लिए एक सेक्शन जोड़ा।
आदर्श आचार संहिता चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है, यह चुनाव परिणाम आने तक लागू रहती है।
आदर्श आचार संहिता में सामान्य व्यवहार, बैठक, जुलूस, मतदान दिवस, पोलिंग बूथ, पर्यवेक्षक, सत्ताधारी दल तथा चुनाव घोषणापत्र से सम्बंधित आठ प्रावधान हैं।
आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार अपनी आधिकारिक स्थिति का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं कर सकती।
सत्ताधारी दल आधिकारिक यात्रा तथा चुनाव प्रचार को एक साथ नही कर सकते।
आदर्श आचार संहिता की सबसे बड़ी कमी यह है कि इसके वैधानिक समर्थन प्राप्त नहीं है। इस कारण चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता का पालन न करने वाले विरुद्ध कड़ी करवाई नही कर पाता।
वेब साइट में नये बदलाव व नयी जानकारी की सुचना पाने के लिए अपना ईमेल और मोबाईल नं. यहां दर्ज करें
© 2024 RajasthanGyan All Rights Reserved.