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2019 चुनाव विश्लेषण

जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो पूर्ण बहुमत के साथ दोबारा सरकार बनाने जा रहे हैं।

election 2019 analysis

इन चुनावों में 542 सीटों (बड़ी संख्या में धनराशी मिलने के बाद वेल्लोर लोक सभा सीट पर चुनाव रद्द कर दिए गये थे) के लिए वोट डाले गये। यह मतदान 71 दिन तक चला। भारत के चुनाव आयोग के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनावों में 67.10% (अंतरिम) मतदान हुए, जो आम चुनावों के इतिहास में होने वाले अब तक के सबसे अधिक मतदान हैं। 2014 में पूर्व उच्चतम मतदान 66.44% दर्ज किया गया था। 2019 के सात-चरणों वाले चुनाव 11 अप्रैल से शुरू हुए और 19 मई को संपन्न हुए। यह भारत में आयोजित होने वाला 17 वां आम चुनाव था। सुनील अरोड़ा भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त हैं।अशोक लवासा और सुशील चंद्र भारत के 2 चुनाव आयुक्त हैं।

भारत में 90 करोड़(900 मिलियन) रजिस्ट्रड वोटर हैं। इस बार 67.10 प्रतिशत मतदान हुआ। 900 मिलियन वोटर में 468 मिलियन पुरूष, 432 मिलियन महिलाएं और 38,325 थर्ड जेंडर हैं। इस बार लोकसभा चुनावों में 78 सीटों पर महिलाएं जीती हैं, जो कि 1952 से लेकर अब तक के आम चुनाव में सर्वाधिक हैं। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से सर्वाधिक महिला सांसद चुनी गई हैं, जिनकी संख्या 11-11 है। इस चुनाव में 724 महिलाएं उम्मीदवार थीं, जिनमें कांग्रेस की सर्वाधिक 54 और बीजेपी की 53 थीं। उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक 104 महिला उम्मीदर थीं।

भारतीय जनता पार्टी( भाजपा) ने इस लोक सभा चुनाव में 303 सिटों पर जीत हासिल की है। भाजपा को कुल 37.5 प्रतिशत वोट मिले हैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को केवल 52 सिटें मिली हैं। वहीं कांग्रेस को 19.6 प्रतिशत वोट मिले हैं। लोकसभा में आधिकारिक रूप से विपक्ष बनने के लिए कुल सिटों का 10 प्रतिशत होना आवश्यक है जो की 55 है इस प्रकार कांग्रेस इस बार भी यह अंक लाने में विफल रही है। इस प्रकार कांग्रेस ‘विपक्ष का नेता’ भी नहीं दे पाएगी। इस प्रकार 2014 से हमारी सरकार लगातार 10 साल बिना विपक्ष के चलने वाली है। भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 78 सिटों में से 62 सीटों पर विजय प्राप्त की यहां कांग्रेस केवल एक सीट रायबरेली की ही जीत सकी। जबकि अमेठी की लोकसभा सीट राहुल गांधी हार गये उनके सामने भारतीय जनता पार्टी की स्मृति ईरानी थीं।

राजग/एनडीए का निर्माण 1998 के आम चुनावों में भाजपा द्वारा किया गया था; इसमें भाजपा के तत्कालीन सहयोगी दलों (जैसे समता पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना) के अलावा ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और बीजू जनता दल शामिल थे। एनडीए(राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को कुल 350 सिटें मिली हैं। 43.86 प्रतिशत वोट मिलें हैं।

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन या यूपीए भारत में एक राजनीतिक गठबंधन है। इसका नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस करती है। यूपीए को कुल 90 सिटें मिली हैं। 25.81 प्रतिशत वोट मिले हैं।

लोकसभा चुनाव के साथ कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हुए हैं। ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए हैं।

  1. अरूणाचल प्रदेश में भाजपा को 41/60 सीटें मिली हैं।
  2. ओडिशा में बिजेडी(बीजू जनता दल) को 112/146 सिटें मिली हैं (total 147 seats)
  3. आंध्र प्रदेश मेंवाईएसआर कांग्रेस पार्टी को 151/175 सीटें मिली हैं।
  4. सिक्किम में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को 17/32 सीटें मिली हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • यह 17वीं लोकसभा है।
  • लोकसभा चुनाव 2019 को 7 चरणों में करवाया गया।
  • प्रथम चरण का चुनाव 11 अप्रैल को हुआ। तीसरे चरण में सबसे ज्यादा सिटें थी।
  • लगभग 13 करोड़ लोग इस चुनाव के लिए पहली बार मतदाता थे।
  • वीवीपैट का पुरा नाम वोटर वेरीफ़ाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल है।
  • 2013 में पहली बार वीवपैट का उपयोग नागालैंड में किया गया था।
  • ईवीएम का पहली बार इस्तेमाल मई, 1982 में केरल के परूर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के 50 मतदान केन्द्रों पर हुआ।
  • 1983 के बाद इन मशीनों का इस्तेमाल इसलिए नहीं किया गया कि चुनाव में वोटिंग मशीनों के इस्तेमाल को वैधानिक रुप दिये जाने के लिए उच्चतम न्यायालय का आदेश जारी हुआ था। दिसम्बर, 1988 में संसद ने इस कानून में संशोधन किया तथा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में नई धारा-61ए जोड़ी गई जो आयोग को वोटिंग मशीनों के इस्तेमाल का अधिकार देती है। संशोधित प्रावधान 15 मार्च 1989 से प्रभावी हुआ।
  • पहली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में इवीएम के साथ विवीपेट का उपयोग किया गया।
  • नोटा का अर्थ है- नन ऑफ द एबव, यानि इनमें से कोई नहीं। NOTA का उपयोग पहली बार भारत में 2009 में किया गया था। स्थानीय चुनावों में मतदाताओं को NOTA का विकल्प देने वाला छत्तीसगढ़ भारत का पहला राज्य था। NOTA बटन ने 2013 के विधानसभा चुनावों में चार राज्यों - छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान और मध्य प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में अपनी शुरुआत की। 2014 से नोटा पूरे देश मे लागू हुआ।
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