भारत में सैन्य सुधार के लिहाज से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति का एलान एक बड़ा कदम है। जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इसका एलान किया है तब से इस पद को लेकर देश में दिलचस्पी बढ़ गई है। कहा जा रहा है कि सेना के तीनों अंगों में तालमेल बढ़ाने के लिए इस पद की जरूरत है, ताकि संकट की स्थिति में एकीकृत निर्णय लेने में आसानी हो। युद्ध अथवा किसी अन्य टकराव की स्थिति में सीडीएस की भूमिका बेहद अहम होगी। तमाम देश ऐसे हैं जिनके पास आधुनिक सेनाएं हैं और उन्होंने इस पद का गठन कर रखा है। हालांकि, इन देशों में सीडीएस के अधिकारों और शक्तियों में अंतर है। उदाहरण के लिए अमेरिका में ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का चेयरमैन अधिकारों के मामले में बेहद संपन्न है। वह सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी है और राष्ट्रपति को सैन्य मामलों में सलाह देता है।
इस पद के गठन को लेकर लंबे समय से चर्चाएं चलती रही हैं। एक पद पहले से है-चेयरमैन, चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी)। यह पद काफी कुछ सीडीएस जैसा ही है, लेकिन अधिकारों के लिहाज से इसका ज्यादा मतलब नहीं है। अभी तक परंपरा रही है कि थलसेना, वायुसेना, नौसेना प्रमुखों में जो सबसे अधिक वरिष्ठ होता है उसे सीओएससी बना दिया जाता है। इस पद पर नियुक्त व्यक्ति जब रिटायर हो जाता है तो यह पद स्वत: समाप्त हो जाता है। इस समय चेयरमैन सीओएससी के पद पर वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ हैं। उन्होंने 31 मई को नौसेना प्रमुख सुनील लांबा की सेवानिवृत्ति के बाद यह पद धारण किया है। धनोआ को सितंबर 2019 तक वायुसेना प्रमुख के पद पर रहना है। इसका मतलब है कि वह चेयरमैन सीओएससी के पद पर केवल चार माह रह सकेंगे। 2015 में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर र्पीकर ने इस पद को असंतोषजनक बताया था। सीओएससी सिस्टम दरअसल उपनिवेश काल की विरासत है। कहा जाता है कि भारत में राजनीतिक वर्ग के बीच सीडीएस को लेकर एक आशंका यह रही है कि ऐसे किसी पद का गठन नहीं किया जाना चाहिए, जिसके अत्यधिक शक्तिशाली हो जाने का खतरा हो।
सीडीएस के लिए पहला प्रस्ताव कारगिल रिव्यू कमेटी (2000) में आया था। कमेटी ने पूरे सैन्य तंत्र में सुधार के लिए सुझाव दिए थे। इसके बाद मंत्रियों के एक समूह ने भी सीडीएस के विचार का अध्ययन किया। समूह ने सुझाव दिया कि फाइव स्टार रैंक के इस पद का गठन किया जाना चाहिए। इस आशय का प्रस्ताव कैबिनेट कमेटी आन सिक्योरिटी (सीसीएस) को दिया गया। प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका : सीडीएस के प्रस्ताव पर सेनाओं के बीच कोई आम सहमति कायम नहीं हो सकी।
अभी जो ढांचा है उसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अहम मामलों में प्रधानमंत्री को सलाह देते हैं। यह सिलसिला 2018 के बाद से ही चल रहा है, जब डिफेंस प्लानिंग कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी की अध्यक्षता एनएसए करते हैं। मौजूदा समय अजीत डोभाल इस भूमिका में हैं। समिति में विदेश, रक्षा और वित्त सचिव शामिल होते हैं। इसके साथ ही तीनों सेनाओं के प्रमुख भी इसके सदस्य हैं।
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