प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट के पास राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया। यह स्मारक आजादी के बाद से देश के लिए अपनी जान देने वाले सैनिकों के सम्मान में बनाया गया है। मोदी सरकार के अहम प्रोजेक्ट में से एक स्मारक को बनाने में 176 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
इस स्मारक में आजादी के बाद 1947-48, 1962 में भारत-चीन से युद्ध, 1965 में भारत-पाक युद्ध, 1971 में बांग्लादेश निर्माण, 1999 में कारगिल और अन्य ऑपरेशन में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में इसे बनाया गया है। इसमें तीनों सेनाओं के जवान को श्रद्धांजलि दी गई है।
साल 2015 में इसके निर्माण की मंजूरी दी गई थी और 2 साल बाद साल 2017 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ। चक्रव्यूह की संरचना से प्रेरणा लेते हुए इसे बनाया गया है। यह वॉर मेमोरियल करीब 25,942 जवानों के प्रति सम्मान का सूचक है, जिन्होंने आजादी के बाद से अनेकों लड़ाइयों में देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
40 एकड़ में फैला यह स्मारक 176 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है।छह भुजाओं (हेक्सागोन) वाले आकार में बने मेमोरियल के केंद्र में 15 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है। जिसके नीचे अखंड ज्योति जलती रहेगी। मेमोरियल में भित्ति चित्र, ग्राफिक पैनल, शहीदों के नाम और परम वीर चक्र के 21 पुरस्कार विजेताओं की अर्धप्रतिमा परम योद्धा स्टाल पर लगाई गई हैं, जिसमें तीन जीवित पुरस्कार विजेता सूबेदार (मानद कैप्टन) बाना सिंह (सेवानिवृत्त), सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव और सूबेदार संजय कुमार शामिल हैं। इसकी 16 दीवारों पर 25,942 योद्धाओं का जिक्र किया गया है। ग्रेनाइट पत्थरों पर योद्धाओं के नाम, रैंक व रेजिमेंट का उल्लेख किया गया है। साथ ही स्मारक को चार चक्र पर केंद्रित किया गया है, जिसे अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र, रक्षक चक्र नाम दिया गया है।
अमर चक्र की लौ, शहीद सैनिक की अमरता का प्रतीक है। दूसरा सर्कल वीरता चक्र का है जो सैनिकों(तीन सशस्त्र सेनाओं) के साहस और बहादुरी को प्रदर्शित करता है। यह एक ऐसी गैलरी है जहां दीवारों पर सैनिकों की बहादुरी के कारनामों को उकेरा गया है। इसके बाद, त्याग चक्र(जिसमें 16 दीवार) है यह चक्र सैनिकों के बलिदान को प्रदर्शित करता है। इसमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं। इसके बाद रक्षक चक्र, सुरक्षा को प्रदर्शित करता है। इस चक्र में घने पेड़ों की पंक्ति है। ये पेड़ सैनिकों के प्रतीक हैं और देश के नागरिकों को यह विश्वास दिलाते हुए सन्देश दे रहे हैं कि हर पहर सैनिक सीमा पर तैनात है और देशवासी सुरक्षित है।
स्मारक का निचला भाग अमर जवान ज्योति जैसा रखा गया है। स्मारक के डिजाइन में सैनिकों के जन्म से लेकर शहादत तक का जिक्र है। ऐसी गैलरी भी है जहां दीवारों पर सैनिकों की बहादुरी को प्रदर्शित किया गया है। ये स्मारक उन बलिदानियों की कहानी बयां करेगा जिनकी बदौलत हम सुरक्षित हैं।
नेशनल वॉर मेमोरियल आम जन के लिए हर दिन खुलेगा। यहां प्रवेश मुफ्त रखा गया है। नवंबर से मार्च तक खुलने का समय सुबह 9 बजे से शाम साढ़े छह बजे तक रखा गया है, वहीं अप्रैल से अक्टूबर तक यह सुबह 9 बजे से शाम साढ़े सात बजे तक खुलेगा। खास दिनों में फूल चढ़ाने के समारोह का आयोजन भी होगा। हर रोज सूर्यास्त से ठीक पहले रिट्रीट सेरेमनी होगी। रविवार सुबह 9.50 बजे चेंज ऑफ गार्ड सेरेमनी होगी जो करीब आधे घंटे चलेगी।
प्रथम विश्व युद्ध और अफगान अभियान में करीब 84,000 सैनिक शहीद हुए थे। उनकी याद में अंग्रेजों ने इंडिया गेट बनवाया था। बाद में 1971 में अमर जवान ज्योति का निर्माण हुआ। अमर जवान ज्योति 1971 के भारत-पाक युद्ध में बांग्लादेश की आजादी में शहीद हुए 3,843 सैनिकों को समर्पित है। ये दोनों स्मारक कुछ खास अवधि के शहीदों को समर्पित है।
1960 में सशस्त्र बलों ने पहली बार एक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का प्रस्ताव रखा।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का मुख्य वास्तुकार वीबी डिजाइन लैब (WeBe Design Lab), चेन्नई के योगेश चंद्रहासन है। वेब डिज़ाइन लैब को वास्तुशिल्प डिजाइन की अवधारणा के लिए और परियोजना के निर्माण के समन्वय के लिए चुना गया था। इस हेतु एक वैश्विक डिजाइन प्रतियोगिता आयोजित की गई थी और परिणाम अप्रैल 2017 की शुरुआत में घोषित किया गया था और चेन्नई स्थित आर्किटेक्ट्स, वीबी डिजाइन लैब के प्रस्ताव को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के लिए विजेता घोषित किया गया था।
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