12 जनवरी 2018 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने सौंवें उपग्रह को प्रक्षेपित कर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि प्राप्त की है।
इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन (पीएसएलवी) सी-40 के द्वारा कार्टोसेट-2 के अतिरिक्त 30 अन्य सैटेलाइट भी प्रक्षेपित किये। इन उपग्रहों में 28 विदेशी उपग्रह भी सम्मिलित थे।
गत वर्ष अगस्त में इसरो का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पीएसएलवी-सी39 असफल रहा था, जिसके बाद मिली इस उपलब्धि से इसरो के इतिहास में कामयाबियों एक नया अध्याय जुड़ गया है।
प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी सी-40 द्वारा भेजे गए उपग्रहों में भारत का एक माइक्रो एवं एक नैनो उपग्रह शामिल है, जबकि छह अन्य देशों - कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के तीन माइक्रो और 25 नैनो उपग्रह शामिल किए गए हैं। सभी 31 उपग्रहों का कुल वजन 1323 किलोग्राम है।
इसरो और एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच हुए व्यापारिक समझौते के अंतर्गत इन 28 विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया। यह 100वां उपग्रह कार्टोसेट -2 श्रृंखला का तीसरा उपग्रह है।
कार्टोसेट 2 उपग्रह का वजन 710 किलोग्राम है। कार्टोसैट-2 उपग्रह को 'आई इन द स्काइ' या 'आकाश में आंख' के नाम से भी जाना जाता है। यह एक 'अर्थ इमेजिंग' (पृथ्वी अवलोकन) उपग्रह है, जो अंतरिक्ष से धरती की हाई रेजोलुशन वाली तस्वीरें लेता है। इसका प्रयोग सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया जाएगा क्यूंकि यह दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रख सकता है। इस उपग्रह से मानचित्रण करने और मौसम की सटीक जानकारी प्राप्त करने में विशेष सहायता मिलेगी।
इसके अतिरिक्त उपग्रह द्वारा भेजी गयी तस्वीरों का उपयोग शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में, तटीय भूमि उपयोग और विनियमन में, उपयोगिता प्रबंधन जैसे रोड नेटवर्क मॉनिटरिंग, जल वितरण, भूमि उपयोग के लिए नक्शे के निर्माण में किया जाएगा।
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